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मकान और जमीन बेचकर पिता ने संवारा बेटी का भविष्य, बनी बिहार की पहली गोल्ड मेडलिस्ट स्विमर - Mahi Shwet Raj success story

पटना की माही श्वेतराज ने स्विमिंग की तीन अलग-अलग विधाओं में गोल्ड मेडल जीतकर बिहार का नाम रोशन किया . उसके संघर्ष की कहानी पढ़िये.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 3 hours ago

Updated : 3 hours ago

Mahi Shwet Raj
माही श्वेतराज (ETV Bharat)

पटना: बेटी के सपनों को पंख देने के लिए पिता ने अपना मकान, दुकान और जमीन तक बेच दी. पटना में बेटी के करियर का कोई स्कोप नजर नहीं आया तो ट्रेनिंग दिलाने के लिए परिवार के साथ बेंगलुरु शिफ्ट हो गए. आसपास के लोगों के तानों को नजरअंदाज किया. बेटी की प्रतिभा पर भरोसा किया और उसे निखारने के लिए बेंगलुरु में प्रशिक्षण दिलाना शुरू किया. आज पिता का त्याग सफल हुआ, क्योंकि बेटी ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर सिर्फ बिहार ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन किया है.

माही की सफलता के पीछे परिवार का संघर्षः यह कहानी बिहार के अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैराक माही श्वेत राज की है. माही बिहार के लिए किसी स्विमिंग टूर्नामेंट में पहला गोल्ड मेडल लाने वाली पहली मेडलिस्ट बनी है. इसके अलावा हाल ही में मंगलुरू में संपन्न हुए 17 वें नेशनल स्विमिंग चैंपियनशिप में तीन स्पर्धा में शामिल होकर 3 गोल्ड मेडल हासिल किया है. इसके साथ ही माही किसी एक नेशनल चैंपियनशिप में तीन गोल्ड मेडल जीतने वाली बिहार की पहली खिलाड़ी भी बनी है.

बिहार की पहली गोल्ड मेडलिस्ट तैराक. (ETV Bharat)

बचपन में तैराकी देख लोगों ने कहा जलपरी: माही के पिता सतीश ज्योति ने बताया कि साल 2009 में उनका पैर टूट गया था. ठीक होने पर फिजियोथैरेपिस्ट ने स्विमिंग की सलाह दी. पाटलिपुत्र अशोक होटल के स्विमिंग पुल में स्विमिंग के लिए उन्होंने रजिस्ट्रेशन कराया. एक व्यक्ति के लिए साल का 15000 शुल्क था वही पूरे परिवार के साथ 16000 शुल्क था. उन्होंने पूरे परिवार के साथ स्विमिंग शुरू किया. 9 साल की उम्र में जब माही तैरती थी तो आसपास के लोग कहते थे यह जलपरी है.

Mahi Shwet Raj
परिजन के साथ माही. (ETV Bharat)

बेचनी पड़ी घर, दुकान और जमीनः माही की मां श्वेता ज्योति ने बताया कि बिहार में जब अच्छा कर रही थी तो बेटी को वह लोग नेशनल प्लेटफार्म पर लेकर गए. वहां उनकी बेटी सबसे अंतिम रही और कई लोगों ने बिहार में स्विमिंग की व्यवस्था पर मखौल उड़ाया. इसके बाद बेटी को प्रशिक्षण दिलाने के लिए बेंगलुरु शिफ्ट हो गए. यह काफी खर्चीला था. आर्थिक तंगी आई तो उन लोगों ने पटना के राजा बाजार स्थित अपना मकान बेच दिया, जूते चप्पल की दुकान थी उसे बेच दी, दानापुर में चार कट्ठा मकान बेच दिया.

Mahi Shwet Raj
जीते गये मेडल. (ETV Bharat)

"आज जब बेटी इतनी सारी मेडल ला चुकी है तो लगता है कि उन लोगों ने कुछ भी नहीं गंवाया बल्कि बहुत कुछ कमाया है. आज जब लोग उन्हें उनकी बेटी की उपलब्धि के लिए बधाई देते हैं तो उनका मस्तक गर्व से ऊंचा हो जाता है."- श्वेता ज्योति, माही की मां

मां को ब्रेन स्ट्रोक फिर भी टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शनः श्वेता ज्योति ने बताया कि उनकी बेटी ने साल 2017 में जूनियर स्विमिंग टूर्नामेंट में नेशनल लेवल पर पदक जीता और उसके बाद से अब तक दो दर्जन से अधिक पदक जीत चुकी है. कई बार माही का जब टूर्नामेंट हो रहा होता है तो उनकी भी बेचैनी बढ़ जाती थी. वह काफी सोचने लगी और दिनभर माही की डाइट और उसके फिटनेस को लेकर सोचने लगी. इसी बीच उन्हें दो बार ब्रेन स्ट्रोक आ गया. 7 महीने वह बेड पर रही. 10- 15 दिनों से वह घर में काम करना शुरू की है.

Mahi Shwet Raj
मां के साथ माही. (ETV Bharat)

मेडल जीतने से पहले 2 महीने बेड पर थी माही: माही श्वेत राज ने बताया कि पिछले वर्ष उन्होंने थाईलैंड में तीन ब्रॉन्ज और दुबई में दो ब्रॉन्ज मेडल जीता था. इसके बाद उन्हें स्पाइन इंजरी हो गई थी. मार्च और अप्रैल महीने में 2 महीने बेड पर रहना पड़ा. 2-2 इंटरनेशनल टूर्नामेंट मिस कर गई. लेकिन साईं (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) का काफी सहयोग रहा. उनका बेहतर रिहैब कराया गया. साइकोलॉजिस्ट थे जो उनकी मेंटल काउंसलिंग करते थे और मोटिवेट करते थे.

बिहार में अब स्विमिंग के लिए बेहतर माहौलः माही ने बताया कि विगत 3 वर्षों में बिहार में सभी खेल आगे बढ़े हैं और स्विमिंग के लिए भी काफी काम हुआ है. राजगीर में 50 मी का स्विमिंग ट्रैक बनने से यहां स्विमिंग कंपटीशन की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों के लिए बेहतर माहौल बना है. बिहार के खेल डीजी रविंद्रन संकरण उन्हें स्विमिंग किट और अन्य जरूरी संसाधन जो स्विमिंग के लिए जरूरी है, वह BSSA की ओर से उपलब्ध कराते हैं. जब वह इंजर्ड थी तो फोन पर बात करके उन्हें मोटिवेट करते रहते थे.

Mahi Shwet Raj.
परिजन के साथ माही. (ETV Bharat)

5 घंटे की प्रतिदिन स्विमिंग प्रैक्टिसः माही ने बताया कि अभी के समय वह चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से फिजिकल एजुकेशन में ग्रेजुएशन कर रही हैं और यूनिवर्सिटी की ओर से उन्हें फुल स्कॉलरशिप है. प्रतिदिन 5 घंटे स्विंमिंग की प्रैक्टिस करती है. डेढ़ घंटे जिम करना होता है. यह उसका रूटीन है. माही ने बताया कि टूर्नामेंट से पहले उनकी मां बीमार थी और उन्हें भी इंजरी थी लेकिन जब वह कंपटीशन में जाती है तो अपना सारा गुस्सा फ्रस्ट्रेशन पानी पर निकालती हैं.

बिहार सरकार ने सब इंस्पेक्टर का पद ऑफर कियाः माही को पशुओं से काफी लगाव है. यह प्रवृत्ति उन्हें अपने माता-पिता से प्राप्त हुई है. घर में एक कुत्ता और एक बिल्ली पाली हुई है. बिहार सरकार की ओर से माही को सब इंस्पेक्टर का पद ऑफर हुआ है. यह पद मेडल लाओ नौकरी पाओ योजना के तहत मिला है. माही के बड़े भाई अनमोल भी राष्ट्रीय स्तर के स्विमर हैं. अनमोल को भी बिहार सरकार ने सचिवालय में सहायक का पद ऑफर किया है.

इसे भी पढ़ेंः सीएम नीतीश कुमार ने गोल्ड मेडलिस्ट माही श्वेत राज को किया सम्मानित, 2 लाख रुपये का सौंपा चेक - CM honored Mahi Shwet Raj

पटना: बेटी के सपनों को पंख देने के लिए पिता ने अपना मकान, दुकान और जमीन तक बेच दी. पटना में बेटी के करियर का कोई स्कोप नजर नहीं आया तो ट्रेनिंग दिलाने के लिए परिवार के साथ बेंगलुरु शिफ्ट हो गए. आसपास के लोगों के तानों को नजरअंदाज किया. बेटी की प्रतिभा पर भरोसा किया और उसे निखारने के लिए बेंगलुरु में प्रशिक्षण दिलाना शुरू किया. आज पिता का त्याग सफल हुआ, क्योंकि बेटी ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा कर सिर्फ बिहार ही नहीं पूरे देश का नाम रोशन किया है.

माही की सफलता के पीछे परिवार का संघर्षः यह कहानी बिहार के अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैराक माही श्वेत राज की है. माही बिहार के लिए किसी स्विमिंग टूर्नामेंट में पहला गोल्ड मेडल लाने वाली पहली मेडलिस्ट बनी है. इसके अलावा हाल ही में मंगलुरू में संपन्न हुए 17 वें नेशनल स्विमिंग चैंपियनशिप में तीन स्पर्धा में शामिल होकर 3 गोल्ड मेडल हासिल किया है. इसके साथ ही माही किसी एक नेशनल चैंपियनशिप में तीन गोल्ड मेडल जीतने वाली बिहार की पहली खिलाड़ी भी बनी है.

बिहार की पहली गोल्ड मेडलिस्ट तैराक. (ETV Bharat)

बचपन में तैराकी देख लोगों ने कहा जलपरी: माही के पिता सतीश ज्योति ने बताया कि साल 2009 में उनका पैर टूट गया था. ठीक होने पर फिजियोथैरेपिस्ट ने स्विमिंग की सलाह दी. पाटलिपुत्र अशोक होटल के स्विमिंग पुल में स्विमिंग के लिए उन्होंने रजिस्ट्रेशन कराया. एक व्यक्ति के लिए साल का 15000 शुल्क था वही पूरे परिवार के साथ 16000 शुल्क था. उन्होंने पूरे परिवार के साथ स्विमिंग शुरू किया. 9 साल की उम्र में जब माही तैरती थी तो आसपास के लोग कहते थे यह जलपरी है.

Mahi Shwet Raj
परिजन के साथ माही. (ETV Bharat)

बेचनी पड़ी घर, दुकान और जमीनः माही की मां श्वेता ज्योति ने बताया कि बिहार में जब अच्छा कर रही थी तो बेटी को वह लोग नेशनल प्लेटफार्म पर लेकर गए. वहां उनकी बेटी सबसे अंतिम रही और कई लोगों ने बिहार में स्विमिंग की व्यवस्था पर मखौल उड़ाया. इसके बाद बेटी को प्रशिक्षण दिलाने के लिए बेंगलुरु शिफ्ट हो गए. यह काफी खर्चीला था. आर्थिक तंगी आई तो उन लोगों ने पटना के राजा बाजार स्थित अपना मकान बेच दिया, जूते चप्पल की दुकान थी उसे बेच दी, दानापुर में चार कट्ठा मकान बेच दिया.

Mahi Shwet Raj
जीते गये मेडल. (ETV Bharat)

"आज जब बेटी इतनी सारी मेडल ला चुकी है तो लगता है कि उन लोगों ने कुछ भी नहीं गंवाया बल्कि बहुत कुछ कमाया है. आज जब लोग उन्हें उनकी बेटी की उपलब्धि के लिए बधाई देते हैं तो उनका मस्तक गर्व से ऊंचा हो जाता है."- श्वेता ज्योति, माही की मां

मां को ब्रेन स्ट्रोक फिर भी टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शनः श्वेता ज्योति ने बताया कि उनकी बेटी ने साल 2017 में जूनियर स्विमिंग टूर्नामेंट में नेशनल लेवल पर पदक जीता और उसके बाद से अब तक दो दर्जन से अधिक पदक जीत चुकी है. कई बार माही का जब टूर्नामेंट हो रहा होता है तो उनकी भी बेचैनी बढ़ जाती थी. वह काफी सोचने लगी और दिनभर माही की डाइट और उसके फिटनेस को लेकर सोचने लगी. इसी बीच उन्हें दो बार ब्रेन स्ट्रोक आ गया. 7 महीने वह बेड पर रही. 10- 15 दिनों से वह घर में काम करना शुरू की है.

Mahi Shwet Raj
मां के साथ माही. (ETV Bharat)

मेडल जीतने से पहले 2 महीने बेड पर थी माही: माही श्वेत राज ने बताया कि पिछले वर्ष उन्होंने थाईलैंड में तीन ब्रॉन्ज और दुबई में दो ब्रॉन्ज मेडल जीता था. इसके बाद उन्हें स्पाइन इंजरी हो गई थी. मार्च और अप्रैल महीने में 2 महीने बेड पर रहना पड़ा. 2-2 इंटरनेशनल टूर्नामेंट मिस कर गई. लेकिन साईं (स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) का काफी सहयोग रहा. उनका बेहतर रिहैब कराया गया. साइकोलॉजिस्ट थे जो उनकी मेंटल काउंसलिंग करते थे और मोटिवेट करते थे.

बिहार में अब स्विमिंग के लिए बेहतर माहौलः माही ने बताया कि विगत 3 वर्षों में बिहार में सभी खेल आगे बढ़े हैं और स्विमिंग के लिए भी काफी काम हुआ है. राजगीर में 50 मी का स्विमिंग ट्रैक बनने से यहां स्विमिंग कंपटीशन की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों के लिए बेहतर माहौल बना है. बिहार के खेल डीजी रविंद्रन संकरण उन्हें स्विमिंग किट और अन्य जरूरी संसाधन जो स्विमिंग के लिए जरूरी है, वह BSSA की ओर से उपलब्ध कराते हैं. जब वह इंजर्ड थी तो फोन पर बात करके उन्हें मोटिवेट करते रहते थे.

Mahi Shwet Raj.
परिजन के साथ माही. (ETV Bharat)

5 घंटे की प्रतिदिन स्विमिंग प्रैक्टिसः माही ने बताया कि अभी के समय वह चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से फिजिकल एजुकेशन में ग्रेजुएशन कर रही हैं और यूनिवर्सिटी की ओर से उन्हें फुल स्कॉलरशिप है. प्रतिदिन 5 घंटे स्विंमिंग की प्रैक्टिस करती है. डेढ़ घंटे जिम करना होता है. यह उसका रूटीन है. माही ने बताया कि टूर्नामेंट से पहले उनकी मां बीमार थी और उन्हें भी इंजरी थी लेकिन जब वह कंपटीशन में जाती है तो अपना सारा गुस्सा फ्रस्ट्रेशन पानी पर निकालती हैं.

बिहार सरकार ने सब इंस्पेक्टर का पद ऑफर कियाः माही को पशुओं से काफी लगाव है. यह प्रवृत्ति उन्हें अपने माता-पिता से प्राप्त हुई है. घर में एक कुत्ता और एक बिल्ली पाली हुई है. बिहार सरकार की ओर से माही को सब इंस्पेक्टर का पद ऑफर हुआ है. यह पद मेडल लाओ नौकरी पाओ योजना के तहत मिला है. माही के बड़े भाई अनमोल भी राष्ट्रीय स्तर के स्विमर हैं. अनमोल को भी बिहार सरकार ने सचिवालय में सहायक का पद ऑफर किया है.

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