बीकानेर. हिंदू धर्म में माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट (संकष्टी) चतुर्थी कहते हैं. माघ महीने की चतुर्थी को माघ चतुर्थी भी कहते हैं. संकट चतुर्थी में भगवान गणेश की आराधना की जाती है. माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, सुखी जीवन की कामना के लिए यह व्रत करती हैं. इसलिए माही चौथ भी कहा जाता है. संकट चतुर्थी व्रत के पूजन में तिल का उपयोग होता है और प्रसाद में तिलकुटे का भोग लगाने के कारण इसे तिलकुटा चौथ भी कहते हैं.
विधि विधान से पूजा : वैसे तो हिंदू धर्म में किसी भी पूजा या मांगलिक कार्य की शुरूआत भगवान श्री गणेश की आराधना के साथ ही होती है. बात करें चतुर्थी के दिन पूजा-अर्चना की तो भगवान श्रीगणेश के मंत्र का जाप करते हुए पूजा-अर्चना करनी चाहिए और भगवान श्री गणेश को प्रिय दूर्वा अर्पित करनी चाहिए. लाल वस्त्र धारण करते हुए भगवान गणेश की पूजा करने के लिए माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति यह तस्वीर सामने रखकर पूजा करें.
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गणेश चालीसा संकटनाशन गणेश स्तोत्र का जाप : भगवान गणेश की पूजा में गणेश मंत्र का जाप करना चाहिए. गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करते हुए भगवान गणेश को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए.
रात्रि में चंद्र दर्शन और अर्ध्य : भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद रात्रि में चंद्र दर्शन करते हुए अर्ध्य देना चाहिए. इस दिन अपने सगे संबंधी परिवार और मित्रों को भोजन भी करने की परंपरा है.