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महेश नवमी 2024 : भोलेनाथ की आराधना से बनेंगे बिगड़े काम, जानिए कैसे करें पूजा - Mahesh Navami 2024 - MAHESH NAVAMI 2024

Mahesh Navami 2024 देवो के देव महादेव को कहा जाता है.ऐसी मान्यता है कि भोलेनाथ अपने भक्तों पर कभी कोई कष्ट नहीं आने देते हैं.भोलेनाथ से जुड़े कई पर्व भारत में मनाएं जाते हैं.ऐसा ही एक पर्व महेश नवमी है.

Mahesh Navami 2024
भोलेनाथ की आराधना से बनेंगे बिगड़े काम (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 15, 2024, 6:38 AM IST

रायपुर : भगवान भोलेनाथ भक्त की सच्ची श्रद्धा और भक्ति से प्रसन्न होते हैं.भोलेनाथ से जुड़े कई पर्व हिंदू धर्म में आते हैं. उन्हीं पर्व में से एक है महेश नवमी,जो कि माहेश्वरी समाज का एक प्रमुख पर्व भी माना जाता है.इस बार महेश नवमी 15 जून ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाएगी. ऐसी मान्यता है कि इस शुभ दिन माहेश्वरी समाज का उद्भव हुआ था. भगवान महेश की कृपा से ही माहेश्वरी समाज का अभ्युदय हुआ है. इसी मान्यता के कारण पूरा माहेश्वरी समाज इस व्रत को अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ मनाता है.

शुभ संयोग में आ रही महेश नवमी : महेश नवमी के दिन उतरा फाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, उत्पात योग, साथ ही बालव और कौरव करण का सुखद संयोग बन रहा है. यह युति सैंकड़ों वर्षों में कभी कभार आती है. इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में विराजमान रहेंगे. इस शुभ दिन उत्कल प्रांत में पर्व राजस्व संक्रांति के नाम से भी मनाया जाता है. इस दिन रवि योग भी है जो सुखद है.पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "संपूर्ण माहेश्वरी समाज इस शुभ दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना भजन कीर्तन रुद्राभिषेक करते हैं. इस पर्व को उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है.

भोलेनाथ की आराधना से बनेंगे बिगड़े काम (ETV Bharat Chhattisgarh)

'' शुभ दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर ध्यान और योग से निवृत हो जाएं.इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र, दूब, धतूरा आंक के फूल, शमी पत्र अर्पित करना चाहिए. भगवान शिव को श्वेत चंदन, रक्त चंदन, पीला चंदन भी अर्पित की जाती है. इसके साथ ही साथ अलग-अलग प्रकार के सुंदर एवं सुगंधित पुष्पों से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है."- पंडित विनीत शर्मा, ज्योतिषाचार्य

इस दिन महामृत्युंजय मंत्र, बजरंग बाण का पाठ करना उत्तम माना गया है. इस शुभ दिन नामकरण संस्कार, विद्या आरंभ संस्कार, जनेऊ संस्कार समेत सभी तरह के शुभ कार्य करना पवित्र माना गया है. इस दिन बहुत सारे लोग नई दुकान, फैक्ट्री, गृह में प्रवेश भी करते हैं. इस शुभ दिन भगवान शंकर जी का दूध, शहद, दही, पंचामृत, गन्ने के रस, जल, गंगाजल से अभिषेक करना अत्यंत कल्याणकारी माना गया है. पंचाक्षरी मंत्र रुद्री का पाठ करना आज के दिन परम योग कारक माना गया है. रुद्री पाठ करने से समस्त बाधाएं और तकलीफें दूर हो जाती है.

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, जानें भौम प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

रायपुर : भगवान भोलेनाथ भक्त की सच्ची श्रद्धा और भक्ति से प्रसन्न होते हैं.भोलेनाथ से जुड़े कई पर्व हिंदू धर्म में आते हैं. उन्हीं पर्व में से एक है महेश नवमी,जो कि माहेश्वरी समाज का एक प्रमुख पर्व भी माना जाता है.इस बार महेश नवमी 15 जून ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाएगी. ऐसी मान्यता है कि इस शुभ दिन माहेश्वरी समाज का उद्भव हुआ था. भगवान महेश की कृपा से ही माहेश्वरी समाज का अभ्युदय हुआ है. इसी मान्यता के कारण पूरा माहेश्वरी समाज इस व्रत को अत्यंत उत्साह और उमंग के साथ मनाता है.

शुभ संयोग में आ रही महेश नवमी : महेश नवमी के दिन उतरा फाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, उत्पात योग, साथ ही बालव और कौरव करण का सुखद संयोग बन रहा है. यह युति सैंकड़ों वर्षों में कभी कभार आती है. इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में विराजमान रहेंगे. इस शुभ दिन उत्कल प्रांत में पर्व राजस्व संक्रांति के नाम से भी मनाया जाता है. इस दिन रवि योग भी है जो सुखद है.पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "संपूर्ण माहेश्वरी समाज इस शुभ दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना भजन कीर्तन रुद्राभिषेक करते हैं. इस पर्व को उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है.

भोलेनाथ की आराधना से बनेंगे बिगड़े काम (ETV Bharat Chhattisgarh)

'' शुभ दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर ध्यान और योग से निवृत हो जाएं.इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र, दूब, धतूरा आंक के फूल, शमी पत्र अर्पित करना चाहिए. भगवान शिव को श्वेत चंदन, रक्त चंदन, पीला चंदन भी अर्पित की जाती है. इसके साथ ही साथ अलग-अलग प्रकार के सुंदर एवं सुगंधित पुष्पों से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है."- पंडित विनीत शर्मा, ज्योतिषाचार्य

इस दिन महामृत्युंजय मंत्र, बजरंग बाण का पाठ करना उत्तम माना गया है. इस शुभ दिन नामकरण संस्कार, विद्या आरंभ संस्कार, जनेऊ संस्कार समेत सभी तरह के शुभ कार्य करना पवित्र माना गया है. इस दिन बहुत सारे लोग नई दुकान, फैक्ट्री, गृह में प्रवेश भी करते हैं. इस शुभ दिन भगवान शंकर जी का दूध, शहद, दही, पंचामृत, गन्ने के रस, जल, गंगाजल से अभिषेक करना अत्यंत कल्याणकारी माना गया है. पंचाक्षरी मंत्र रुद्री का पाठ करना आज के दिन परम योग कारक माना गया है. रुद्री पाठ करने से समस्त बाधाएं और तकलीफें दूर हो जाती है.

ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी, जानें भौम प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि व शुभ मुहूर्त

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