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पूर्वांचल में ओपी राजभर के लिए 'कटप्पा' ने बिछाना शुरू किया कांटों का जाल, बोले-इस बार निकालेगी बारात - MAHENDRA RAJBHAR

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 10, 2024, 7:42 PM IST

ओम प्रकाश राजभर के साथी रहे महेंद्र राजभर उर्फ कटप्पा ने अपनी नई पार्टी का विस्तार करते हुए आगामी चुनाव के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है.

महेंद्र राजभर उर्फ कटप्पा
महेंद्र राजभर उर्फ कटप्पा. (Etv Bharat)

लखनऊ: पूर्वांचल में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ कभी सिपहसालार रहे महेंद्र राजभर ने कमर कस ली है. 2027 के विधानसभा चुनाव में राजभर जाति में सेंध लगाने के लिए बुधवार को महेंद्र राजभर ने अपने संगठन को एक बार फिर से अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं राजभर को सख्त लहजे में चेतावनी भी दी है कि 2027 के विधान सभा चुनाव में उनकी बारात निकालना तय है. महेंद्र राजभर को कभी पीएम मोदी ने कटप्पा कह कर पुकारा था.

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर के कभी खासमखास माने जाने वाले महेंद्र राजभर ने उनसे अलग होकर अपनी एक नई पार्टी सुहेलदेव सम्मान स्वाभिमान बनाई है. 2024 के चुनाव में जब ओपी राजभर यह दावा कर रहे थे कि पूर्वांचल के बीस जिलों में राजभर के बीच उनका दब दबा है. उस वक्त महेंद्र राजभर इंडी गठबंधन के साथ मिलकर ओमप्रकाश के बेटे व घोसी उम्मीदवार अरविंद राजभर के खिलाफ माहौल बना रहे थे. नतीजन अरविंद राजभर बड़े अंतराल से हारे और यह तय हो गया कि पूर्वांचल में ओपी राजभर अकेले राजभर जाति के नेता नहीं बचे हैं. बल्कि और भी है जो उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं.


लखनऊ के दारुलसफा स्थित विधायक आवास पर बुधवार को महेंद्र राजभर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर दी है. अपनी पार्टी सुहेलदेव सम्मान स्वाभिमान पार्टी की नए सिरे से कार्यकारणी तय की है. उन्होंने कहा कि ओपी राजभर कभी बीजेपी तो कभी समाजवादी पार्टी के साथ मोल तोल करते हैं कि उनका वर्चस्व पूर्वांचल के बीस जिलों में है. लेकिन वो महज एक सीट अपने बेटे को जिता नहीं सके. महेंद्र राजभर ने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में ओपी राजभर को बरात निकलेगी और उनकी राजनीति पूरी तरह से खत्म हो जायेगी.

2017 के चुनाव में मिला था कटप्पा नामः बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने मऊ में एक जनसभा के दौरान महेंद्र राजभर को महेंद्र कटप्पा कहकर संबोधित किया था. इसके बाद से पूरे मऊ और गाजीपुर में उन्हें कटप्पा के नाम से ही जाना जाने लगा. महेंद्र को ओम प्रकाश राजभर के विकल्प के तौर पर भी देखा जाने लगा है.

लखनऊ: पूर्वांचल में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ कभी सिपहसालार रहे महेंद्र राजभर ने कमर कस ली है. 2027 के विधानसभा चुनाव में राजभर जाति में सेंध लगाने के लिए बुधवार को महेंद्र राजभर ने अपने संगठन को एक बार फिर से अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं राजभर को सख्त लहजे में चेतावनी भी दी है कि 2027 के विधान सभा चुनाव में उनकी बारात निकालना तय है. महेंद्र राजभर को कभी पीएम मोदी ने कटप्पा कह कर पुकारा था.

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओपी राजभर के कभी खासमखास माने जाने वाले महेंद्र राजभर ने उनसे अलग होकर अपनी एक नई पार्टी सुहेलदेव सम्मान स्वाभिमान बनाई है. 2024 के चुनाव में जब ओपी राजभर यह दावा कर रहे थे कि पूर्वांचल के बीस जिलों में राजभर के बीच उनका दब दबा है. उस वक्त महेंद्र राजभर इंडी गठबंधन के साथ मिलकर ओमप्रकाश के बेटे व घोसी उम्मीदवार अरविंद राजभर के खिलाफ माहौल बना रहे थे. नतीजन अरविंद राजभर बड़े अंतराल से हारे और यह तय हो गया कि पूर्वांचल में ओपी राजभर अकेले राजभर जाति के नेता नहीं बचे हैं. बल्कि और भी है जो उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं.


लखनऊ के दारुलसफा स्थित विधायक आवास पर बुधवार को महेंद्र राजभर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि आगामी विधान सभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर दी है. अपनी पार्टी सुहेलदेव सम्मान स्वाभिमान पार्टी की नए सिरे से कार्यकारणी तय की है. उन्होंने कहा कि ओपी राजभर कभी बीजेपी तो कभी समाजवादी पार्टी के साथ मोल तोल करते हैं कि उनका वर्चस्व पूर्वांचल के बीस जिलों में है. लेकिन वो महज एक सीट अपने बेटे को जिता नहीं सके. महेंद्र राजभर ने कहा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में ओपी राजभर को बरात निकलेगी और उनकी राजनीति पूरी तरह से खत्म हो जायेगी.

2017 के चुनाव में मिला था कटप्पा नामः बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी ने मऊ में एक जनसभा के दौरान महेंद्र राजभर को महेंद्र कटप्पा कहकर संबोधित किया था. इसके बाद से पूरे मऊ और गाजीपुर में उन्हें कटप्पा के नाम से ही जाना जाने लगा. महेंद्र को ओम प्रकाश राजभर के विकल्प के तौर पर भी देखा जाने लगा है.

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