शिमला: ब्रिटिश काल में शिमला देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी. यहां अंग्रेज शासक गर्मियों में निवास करते थे. आजादी के संघर्ष के दौरान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और कांग्रेस के नेता शिमला आया करते थे. इस तरह शिमला बापू गांधी की कर्म स्थली के रूप में चर्चित हुई. शिमला के रिज मैदान के साथ देश-दुनिया के लोग एक शब्द वाक्य जुड़ा हुआ सुनते हैं. ये वाक्य है-शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान से... तो शिमला के इस रिज मैदान के साथ ऐतिहासिक शब्द बापू के कारण जुड़ा है. महात्मा गांधी ने आजादी से पहले शिमला में जनसभा को संबोधित किया था. ये जनसभा रिज मैदान पर हुई थी. उसी समय से ये ऐतिहासिक हो गया. अब इसी शिमला ने इस जयंती पर बापू को एक उपहार दिया है. ये उपहार एक गलती के शमन के रूप में है. बापू ने शिमला में जो यात्राएं की थीं, उनका विवरण रिज मैदान पर दर्शाया गया था. ये विवरण अधूरा था. अब इस विवरण को सही किया गया है और बापू के प्रति कृतज्ञता दर्शायी गई है.
'गांधी इन शिमला' पुस्तक के लेखक विनोद भारद्वाज बताते हैं कि वर्ष 1931 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने शिमला के रिज मैदान पर एक जनसभा को संबोधित किया था. यह पहली बार था, जब भारतीय राष्ट्रवादी नेता ने रिज मैदान पर जनसभा को संबोधित किया हो. इससे पहले सिर्फ ब्रिटिश हुकूमत से जुड़े कार्यक्रम ही रिज पर हुआ करते थे. उस समय के तत्कालीन कांग्रेस नेताओं ने अनुमति लेकर राष्ट्रपिता की जनसभा रिज मैदान पर आयोजित करवाई थी. भारी बारिश के बावजूद रिज मैदान पर 10 हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ उमड़ी थी. इस जनसभा को ऐतिहासिक कहा गया. जस समय से ही रिज मैदान को ऐतिहासिक रिज मैदान कहा जाना शुरू हुआ.
अस्सी के दशक में हुई गलती
शिमला में रिज मैदान पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पीछे अस्सी के दशक में उनकी यात्राओं का विवरण दर्ज किया गया था. इस अधूरे विवरण में बापू की महज आठ यात्राओं का ब्यौरा था, जबकि उन्होंने शिमला की दस यात्राएं की थीं. महात्मा गांधी के शिमला प्रवास पर शोधपरक पुस्तक के लेखक विनोद भारद्वाज ने इस विवरण को ठीक करवाने के लिए चार साल की लड़ाई लड़ी. इस जयंती के आगमन से कुछ ही दिन पहले अब रिज पर उसी स्थान में गलती सुधार कर संगमरमर पर सारी दस यात्राओं का विस्तार भी दिया गया है.
वर्ष 1921 में पहली बार शिमला आए थे बापू
ब्रिटिश हुकूमत के समय शिमला समर कैपिटल थी. यहां अंग्रेज शासकों ने वायसराय के लिए आलीशान भवन का निर्माण किया. वर्ष 1884 से 1888 के बीच वायसराय रीगल लॉज बना और वायसराय ने यहां निवास करना शुरू किया. अंग्रेज हुकूमत के साथ वार्ता के लिए बड़े नेता शिमला आते थे. महात्मा गांधी ने 1921 से लेकर 1946 तक शिमला की दस यात्राएं कीं. दिलचस्प बात ये है कि आजादी के बाद महात्मा गांधी एक बार भी शिमला नहीं आए. खैर, महात्मा गांधी की पहली शिमला यात्रा 1921 में हुई थी.
बापू की यात्राएं और उद्देश्य
महात्मा गांधी ने पहली यात्रा 12 मई 1921 को की थी. उनका शिमला प्रवास 17 मई 1921 तक रहा. इस दौरान उनकी वायसराय लार्ड रीडिंग से मुलाकात हुई. बापू ने 14 मई को आर्य समाज शिमला में महिला सम्मेलन को संबोधित किया. फिर 15 मई को ईदगाह मैदान शिमला में जनसभा की. इस दौरान वे उपनगर चक्कर की शांति कुटीर में निवासरत रहे. फिर महात्मा गांधी दस साल बाद मई महीने में ही शिमला आए. तब वे 13 मई से 17 मई तक शिमला में रहे. इस अवधि में वे वायसराय लार्ड विलिंगडन सहित अन्य अफसरों से गांधी इरविन पैक्ट पर पैदा हुए गतिरोध पर चर्चा कर रहे थे. उन्होंने फिर 14 मई को रिज पर जनसभा भी की थी. वे जाखू हिल के फरग्रोव में लाला मोहनलाल के निवास में ठहरे थे.
जुलाई महीने में वर्ष 1931 को बापू ने शिमला की तीसरी यात्रा की. कुल 8 दिन का प्रवास रहा और गांधी इरविन पैक्ट पर नए सिरे से चर्चा हुई. इस बार भी वे फरग्रोव में ठहरे थे. इसी साल अगस्त में चौथी यात्रा की. 25 से 27 अगस्त के बीच शिमला प्रवास के दौरान गांधी इरविन पैक्ट के नए समझौते पर साइन हुए. फिर गांधी 1939 में शिमला आए. ये सितंबर महीने का समय था. दो दिन की यात्रा में वे 4 सितंबर को शिमला आए. तब दूसरे विश्व युद्ध का समय था और वायसराय लिनलिथगो से इस युद्ध में भारत को शामिल करने से जुड़े पहलुओं पर उनकी चर्चा हुई थी. इसी कड़ी में 26 व 27 सितंबर को फिर से लॉर्ड लिनलिथगो के साथ दूसरे विश्व युद्ध की स्थितियों पर बातचीत हुई. फिर 29 जून 1940 की यात्रा में महात्मा गांधी ने वायसराय को अवगत करवाया कि युद्ध भारतवासियों पर थोपा गया है. इसी साल 24 जून से 16 जुलाई के बीच गांधी ने शिमला में सबसे लंबा प्रवास किया. कुल 23 दिनों के प्रवास में वेवल प्लान पर चर्चा के अलावा बड़े नेताओं से मुलाकात की. तब मेनरविला में ठहराव के दौरान गांधी की प्रार्थना सभाएं भी होती थीं. गांधी की अंतिम शिमला यात्रा 2 मई से 14 मई 1946 को हुई. कैबिनेट मिशन के दौरान क्रिप्स प्रस्तावना पर चर्चा हुई.
शिमला और गांधी एक-दूसरे के पर्याय
शिमला और राष्ट्रपिता गांधी एक-दूसरे के पर्याय कहे जाते हैं. उसी शिमला में महात्मा गांधी के पदचिन्हों को सुरक्षित रखना नई पीढ़ी का दायित्व है. गांधी इन शिमला पुस्तक के लेखक विनोद भारद्वाज का कहना है कि शिमला में गांधी से जुड़े कई किस्से हैं. उन सब के बारे में नई पीढ़ी को अवगत करवाना जरूरी है. भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, जो आजादी से पहले वायसराय के निवास वायसरीगल लॉज के रूप में जाना जाता था, वहां गांधी जी से जुड़े कई संस्मरण हैं. स्कूल व कॉलेज के छात्रों को उनसे परिचित करवाना चाहिए.