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महाशिवरात्रि: नागा साधुओं ने बाबा विश्वनाथ को लगाई मेवाड़ की हल्दी, महिलाओं ने निभाई लोकाचार की रस्म - MAHASHIVRATRI 2025

विश्वनाथ मंदिर में हल्दी की रस्म अदा की गई. महिलाओं ने गाये लोकगीत

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काशी विश्वनाथ विवाह (photo credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 24, 2025, 10:04 PM IST

वाराणसी: महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दिन भगवान भूतभावन का विवाह माता गौरा से होता है. इस विवाह परंपरा को काशी में सैकड़ों साल से धूमधाम से निर्वाह किया जा रहा है. इसको लेकर महिलाओं द्वारा पूरे विधि विधान से लोकाचार करते हुए शिव और पार्वती का विवाह संपन्न कराया जाता है. इसके तहत सोमवार शाम विश्वनाथ मंदिर के महंत निवास पर हल्दी की रस्म अदा की गई. महिलाओं ने बाबा भोलेनाथ के विवाह के पूर्व हल्दी रस्म धूमधाम से ढोल, नगाड़ों लोकगीत गीत गाकर निर्वाह किया.

‘पहिरे ला मुंडन क माला मगर दुल्हा लजाला..’,‘दुल्हा के देहीं से भस्मी छोड़ावा सखी हरदी लगावा ना...’,'शिव दुल्हा के माथे पर सोहे चनरमा....’ ये गीत की पंक्तियां सोमवार की शाम काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर गुंजायमान रही थीं. भूतभावन भगवान शिव के विवाह से पूर्व हल्दी के लोकाचार का. महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ से जुड़ी लोकपरंपरा का निर्वाह इस वर्ष श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा के नागा साधुओं एवं महात्माओं की ओर से किया गया. श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा की ओर से बाबा के लिए हल्दी महाराणा प्रताप की धरती मेवाड़ से मंगाई गई.

इसे भी पढ़ें - महाशिवरात्रि पर लगातार 32 घंटे तक दर्शन देंगे बाबा विश्वनाथ, इन नियमों का पालन जरूरी, मंदिर प्रशासन ने जारी की एडवाइजरी - VISHWANATH TEMPLE VARANASI

श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा की उदयपुर शाखा के प्रभारी संत दिगंबर खुशहाल भारती के नेतृत्व में नागा साधुओं एवं संन्यासियों का समूह मणिकर्णिका तीर्थ से शोभायात्रा के रूप में टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास के लिए प्रस्थान किया. डमरुओं की गर्जना और हर हर महादेव के घोष के साथ साधु-संतों और गृहस्थ भक्तों का समूह महंत आवास पहुंचा. एक थाल में हल्दी, 11 थाल में फल, पांच थाल में मेवा-मिठाई, एक थाल में वस्त्र और एक थाल में आभूषण लेकर वे महंत आवास पहुंचे. यहां परंपरागत ढंग से सभी का स्वागत किया गया.

संत दिगंबर शुखहाल भारती ने बाबा के लिए मेवाड़ से मंगाई गई हल्दी की थाल, जिसका पूजन प्रयागराज में किया गया था, बाबा को अर्पित की. महंत परिवार के सदस्यों ने सभी साधु-महात्माओं को अंगवस्त्रम् एवं रुद्राक्ष की माला भेंट कर उनका स्वागत किया. इसके बाद महिलाओं ने हल्दी की रस्म पूरी की. एक तरफ मंगल गीतों का गान हो रहा था दूसरी तरफ बाबा को हल्दी लगाई जा रही थी. मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान हो रहा था. ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित गीत गाये गए.

नंदी, शृंगी, भृंगी आदि गण नाच-नाच कर सारा काम कर रहे हैं. शिव का सेहरा और पार्वती की मौरी कैसे तैयार की जा रही है. हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए ‘साठी क चाऊर चूमिय चूमिय..’ गीत गाकर महिलाओं ने भगवान शिव की रजत मूर्ति को चावल से चूमा. बाबा के तेल-हल्दी की रस्म दिवंगत महंत डॉ. कुलपति तिवारी की पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में हुई. पूजन अर्चन का विधान उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने पूरा किया. बाबा को खास बनारसी ठंडई, पान और पंचमेवा का भोग लगाया गया. इससे पूर्व बाबा का विशेष राजसी-स्वरूप में शृंगार संजीव रत्न मिश्र ने किया.

यह भी पढ़ें - वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम में टूटे सारे रिकॉर्ड; 18 दिन में करीब 68 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, विदेशी भी शामिल - KASHI VISHWANATH DHAM IN VARANASI

महाशिवरात्रि: नागा साधुओं ने बाबा विश्वनाथ को लगाई मेवाड़ की हल्दी, महिलाओं ने निभाई लोकाचार की रस्म

वाराणसी: महाशिवरात्रि पर्व 26 फरवरी को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा. इस दिन भगवान भूतभावन का विवाह माता गौरा से होता है. इस विवाह परंपरा को काशी में सैकड़ों साल से धूमधाम से निर्वाह किया जा रहा है. इसको लेकर महिलाओं द्वारा पूरे विधि विधान से लोकाचार करते हुए शिव और पार्वती का विवाह संपन्न कराया जाता है. इसके तहत सोमवार शाम विश्वनाथ मंदिर के महंत निवास पर हल्दी की रस्म अदा की गई. महिलाओं ने बाबा भोलेनाथ के विवाह के पूर्व हल्दी रस्म धूमधाम से ढोल, नगाड़ों लोकगीत गीत गाकर निर्वाह किया.

‘पहिरे ला मुंडन क माला मगर दुल्हा लजाला..’,‘दुल्हा के देहीं से भस्मी छोड़ावा सखी हरदी लगावा ना...’,'शिव दुल्हा के माथे पर सोहे चनरमा....’ ये गीत की पंक्तियां सोमवार की शाम काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर गुंजायमान रही थीं. भूतभावन भगवान शिव के विवाह से पूर्व हल्दी के लोकाचार का. महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ से जुड़ी लोकपरंपरा का निर्वाह इस वर्ष श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा के नागा साधुओं एवं महात्माओं की ओर से किया गया. श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा की ओर से बाबा के लिए हल्दी महाराणा प्रताप की धरती मेवाड़ से मंगाई गई.

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श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़ा की उदयपुर शाखा के प्रभारी संत दिगंबर खुशहाल भारती के नेतृत्व में नागा साधुओं एवं संन्यासियों का समूह मणिकर्णिका तीर्थ से शोभायात्रा के रूप में टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास के लिए प्रस्थान किया. डमरुओं की गर्जना और हर हर महादेव के घोष के साथ साधु-संतों और गृहस्थ भक्तों का समूह महंत आवास पहुंचा. एक थाल में हल्दी, 11 थाल में फल, पांच थाल में मेवा-मिठाई, एक थाल में वस्त्र और एक थाल में आभूषण लेकर वे महंत आवास पहुंचे. यहां परंपरागत ढंग से सभी का स्वागत किया गया.

संत दिगंबर शुखहाल भारती ने बाबा के लिए मेवाड़ से मंगाई गई हल्दी की थाल, जिसका पूजन प्रयागराज में किया गया था, बाबा को अर्पित की. महंत परिवार के सदस्यों ने सभी साधु-महात्माओं को अंगवस्त्रम् एवं रुद्राक्ष की माला भेंट कर उनका स्वागत किया. इसके बाद महिलाओं ने हल्दी की रस्म पूरी की. एक तरफ मंगल गीतों का गान हो रहा था दूसरी तरफ बाबा को हल्दी लगाई जा रही थी. मांगलिक गीतों से महंत आवास गुंजायमान हो रहा था. ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित गीत गाये गए.

नंदी, शृंगी, भृंगी आदि गण नाच-नाच कर सारा काम कर रहे हैं. शिव का सेहरा और पार्वती की मौरी कैसे तैयार की जा रही है. हल्दी की रस्म के बाद नजर उतारने के लिए ‘साठी क चाऊर चूमिय चूमिय..’ गीत गाकर महिलाओं ने भगवान शिव की रजत मूर्ति को चावल से चूमा. बाबा के तेल-हल्दी की रस्म दिवंगत महंत डॉ. कुलपति तिवारी की पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में हुई. पूजन अर्चन का विधान उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने पूरा किया. बाबा को खास बनारसी ठंडई, पान और पंचमेवा का भोग लगाया गया. इससे पूर्व बाबा का विशेष राजसी-स्वरूप में शृंगार संजीव रत्न मिश्र ने किया.

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