नई दिल्ली: दिल्ली की गलियों में उत्सव का माहौल है और साथ ही सियासी हलचल भी तेज हो गई है. त्योहारों के इस दौर में राजनीतिक दलों के नेता जनता के बीच जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी अब शुरू हो चुकी है. रामलीला के समय में सभी पार्टियों के नेता सक्रियता से भगवान श्री राम और मां दुर्गा के प्रति अपनी भक्ति जता रहे थे.
रामलीला खत्म होते ही, वसंत विहार इलाके में आम आदमी पार्टी के स्थानीय नेता द्वारा महर्षि वाल्मीकि मेले का आयोजन किया गया. इस मेले में आम आदमी पार्टी के कई प्रमुख नेता शामिल हुए, जिनमें दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय, दुर्गेश पाठक और दक्षिण ज़ोन के अध्यक्ष कृष्णा जाखड़ शामिल थे. मेले के दौरान महर्षि वाल्मीकि के सिद्धांतों, उनके जीवन के उद्देश्य और रामचरितमानस की रचना पर चर्चा की गई.
इस आयोजन में स्थानीय लोगों ने बड़ी संख्या ने भाग लिया, जो यह दर्शाता है कि राजनीतिक दल अब से और अधिक सक्रिय होने का प्रयास कर रहे हैं. ये आयोजन केवल धार्मिक या सांस्कृतिक मूल्य नहीं, बल्कि चुनावी रणनीतियों का हिस्सा भी नजर आते हैं. अन्य पार्टियों के नेताओं को यह संदेश देने का एक माध्यम है कि वे जनता के साथ हैं और उनके मुद्दों को समझते हैं.
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दिल्ली की मेयर ने इस अवसर पर भगवान वाल्मीकि के जीवन से महत्वपूर्ण सबकों की आवश्यकता की बात कही. उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार भगवान वाल्मीकि के सिद्धांतों के आधार पर काम करती है। हालांकि, उनकी टिप्पणी का एक और पक्ष यह था कि यह बीजेपी के खिलाफ कई बयान देने का भी समय है, जो राजनीतिक संवाद का हिस्सा बन गया है.
इस प्रकार, त्योहारों के दौरान ऐसे मेले और आयोजनों के माध्यम से राजनीतिक दल अपनी दावेदारी को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं. यह स्पष्ट है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दल अपनी चुनावी रणनीतियों को आकार देने के लिए ऐसे सामाजिक-सांस्कृतिक आयोजनों की ओर अग्रसर हो रहे हैं.
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