ETV Bharat / state

बनारस में 30 साल बाद बाहर निकले तीन फीट के महाबलेश्वर, काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को पूजा की जिम्मेदारी - Shivalinga of Mahabaleshwar - SHIVALINGA OF MAHABALESHWAR

काशी में अब आमजन को महाबलेश्वर के सुलभ दर्शन होंगे. सूरजकुंड मोहल्ले (Shivalinga of Mahabaleshwar) में खोदाई में करीब तीन फीट का विग्रह सामने आ चुका है. विकास प्राधिकरण द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा.

30 साल बाद बाहर निकले तीन फीट के महाबलेश्वर
30 साल बाद बाहर निकले तीन फीट के महाबलेश्वर (Photo credit: ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 18, 2024, 6:02 PM IST

Updated : Sep 18, 2024, 6:15 PM IST

वाराणसी : धर्म अध्यात्म नगरी काशी में कण-कण में शंकर हैं. सूरजकुंड मुहल्ले में विराजमान महाबलेश्वर का शिवलिंग 30 साल बाद जमीन से बाहर निकाला गया है. ऐसे में अब काशीवासी दर्शन पूजन कर सकेंगे. खोदाई में करीब तीन फीट का विग्रह सामने आ चुका है. विकास प्राधिकरण द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा. मंदिर में पूजन का इंतजाम कराने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय शर्मा द्वारा प्रधानमंत्री को इस संदर्भ में पत्र भी लिखा गया कि मंदिर का निर्माण अच्छे से कराया जाए.

वीडीए जल्द कराएगा मंदिर का निर्माण : केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने बताया कि हम लोगों ने प्रधानमंत्री को भी इस संदर्भ में पत्र लिखकर दिया है. इसके साथ ही स्थानीय विधायक सौरभ श्रीवास्तव और स्थानीय निवासी अशोक तिवारी को भी पत्र दिया गया है. सूरजकुंड मुहल्ले में विराजमान महाबलेश्वर का शिवलिंग 30 साल बाद जमीन से बाहर निकाला गया है. वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा मंदिर का निर्माण जल्द ही कराया जाएगा. मंदिर में पूजन का इंतजाम कराने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. स्थानीय लोग तीन दशक से इस विग्रह को शनिदेव का विग्रह मानकर पूजा कर रहे थे.

मंदिर की ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यता : शिव नगरी काशीपुरी के 'सूरजकुंड' मुहल्ले में साम्बादित्य का मन्दिर है. यह सूर्य मन्दिर नाम से प्रसिद्ध है. साम्बकुंड भी वहीं है. मान्यता है कि प्राचीनकाल में जनसामान्य चर्मरोग से मुक्ति के लिए, संतान प्राप्ति के लिए, अखंड सौभाग्य के लिए स्त्रियां इस कुंड में स्नान किया करती थीं.

वाराणसी : धर्म अध्यात्म नगरी काशी में कण-कण में शंकर हैं. सूरजकुंड मुहल्ले में विराजमान महाबलेश्वर का शिवलिंग 30 साल बाद जमीन से बाहर निकाला गया है. ऐसे में अब काशीवासी दर्शन पूजन कर सकेंगे. खोदाई में करीब तीन फीट का विग्रह सामने आ चुका है. विकास प्राधिकरण द्वारा मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा. मंदिर में पूजन का इंतजाम कराने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अजय शर्मा द्वारा प्रधानमंत्री को इस संदर्भ में पत्र भी लिखा गया कि मंदिर का निर्माण अच्छे से कराया जाए.

वीडीए जल्द कराएगा मंदिर का निर्माण : केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने बताया कि हम लोगों ने प्रधानमंत्री को भी इस संदर्भ में पत्र लिखकर दिया है. इसके साथ ही स्थानीय विधायक सौरभ श्रीवास्तव और स्थानीय निवासी अशोक तिवारी को भी पत्र दिया गया है. सूरजकुंड मुहल्ले में विराजमान महाबलेश्वर का शिवलिंग 30 साल बाद जमीन से बाहर निकाला गया है. वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा मंदिर का निर्माण जल्द ही कराया जाएगा. मंदिर में पूजन का इंतजाम कराने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. स्थानीय लोग तीन दशक से इस विग्रह को शनिदेव का विग्रह मानकर पूजा कर रहे थे.

मंदिर की ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यता : शिव नगरी काशीपुरी के 'सूरजकुंड' मुहल्ले में साम्बादित्य का मन्दिर है. यह सूर्य मन्दिर नाम से प्रसिद्ध है. साम्बकुंड भी वहीं है. मान्यता है कि प्राचीनकाल में जनसामान्य चर्मरोग से मुक्ति के लिए, संतान प्राप्ति के लिए, अखंड सौभाग्य के लिए स्त्रियां इस कुंड में स्नान किया करती थीं.

यह भी पढ़ें : विश्वप्रसिद्ध रामनगर की रामलीला का आगाज, काशी नरेश ने 1836 में की थी शुरुआत - Ramlila of world famous Ramnagar

यह भी पढ़ें : BHU का विश्वनाथ मंदिर अब दिखेगा नया-नया; विश्वविद्यालय जल्द ही पर्यटकों को देगा ये खास सुविधाएं - BHU Vishwanath Temple

Last Updated : Sep 18, 2024, 6:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.