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महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च को, बन रहा खास संयोग, पूजा में इन बातों का रखें ध्यान

Maha Shivratri 2024, सनातन धर्म में फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. वैसे तो हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि का व्रत होता है, लेकिन महाशिवरात्रि का पर्व साल में आने वाले बड़े पर्व में शामिल है. 8 मार्च को रात 9 बजकर 57 मिनट चतुर्दशी तिथि शुरू होगी. उदयतिथि के अनुसार 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि का पर्व होगा.

Maha Shivratri 2024
Maha Shivratri 2024
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 5, 2024, 2:11 PM IST

बीकानेर. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस कारण महाशिवरात्रि को बहुत पवित्र पर्व माना जाता है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा-अर्चना का अपने आप में एक विधान है और पूजा करते समय इनका ध्यान रखना चाहिए. महाशिवरात्रि की पूजा में शिव की पूजा करने का प्रतिफल जल्दी मिलता है. बीकानेर के पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बता रहे हैं महाशिवरात्रि का पौराणिक महत्व.

शिव की आराधना से कट जाते हैं सारे संकट : भगवान शिव की पूजा-आराधना करने के लिए महाशिवरात्रि का व्रत और पूजन श्रेष्ठ बतलाया गया है. इस दिन शिव की पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सभी संकटों से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए कई विधान बताए गए हैं.

पढ़ें : Aaj Ka Panchang : फाल्गुन महीने की नवमी तिथि,आज शुभ कार्यों को करने से बचें

चार प्रहर की पूजा का महत्व : पूजा की एक प्रक्रिया होती है, जिसमें कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि भगवान शिव की अनुकंपा जल्दी प्राप्त हो सके. भगवान शिव की पूजा-आराधना की एक खास प्रक्रिया है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए चार प्रहर में पूजा की जाती है. पूजा के प्रत्येक प्रहर में दूध, दही, मधु, चीनी से भगवान शिव का अलग-अलग अभिषेक किया जाना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और शिव परिवार का रात्रि पर्यंत अभिषेक करना चाहिए. रात्रि के समय जागरण करके व्रत रखना चाहिए. इस दिन नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. चार प्रहर की पूजा में प्रत्येक प्रसाद में खीर, मालपुआ, गुलाब जामुन, रेवड़ी, ऋतु फल चढ़ाकर शिव परिवार को प्रसन्न करना चाहिए. इस दिन भगवान विशेष श्रृंगार किया जाता है.

बिल्व पत्र से अर्चन का खास महत्व : महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चारों पूजा में भगवान की षोडशोपचार पूजा करके महाआरती की जाती है. शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव का 1008 बिल्वपत्र, कमल, गुलाब और शमी पत्र से विशेष अर्चन करना चाहिए. शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते समय और बाद में शिव स्त्रोत, शिव महिमन स्त्रोत, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, लिंगाष्टक स्त्रोत, रुद्राष्टक स्त्रोत, शिव तांडव स्त्रोत, द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत का पाठ कर रात्रि जागरण करने, शिवरात्रि व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए. इसका अत्यधिक पुण्य बताया गया है.

पढ़ें : 5 March Ka Rashifal : जानें किन राशियों को कारोबार में आज होगा फायदा, किन्हें होगा नुकसान

प्रदोष का संयोग : इस बार महाशिवरात्रि पर एक विशेष सहयोग प्रदोष का भी पड़ रहा है. दरअसल, प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए ही किया जाता है. इस बार शुक्रवार को महाशिवरात्रि और प्रदोष का व्रत होने से शुक्र प्रदोष व्रत है, जो जातक अपने जीवन काल में प्रदोष के व्रत करता है. भगवान शिव उसकी सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं. इस दिन महाशिवरात्रि पर्व का प्रदोष व्रत के साथ होना एक संयोग है.

दिनभर करें पूजा-अर्चना : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस बार भी हर बार की तरह महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में जाकर दिनभर श्रद्धालु अभिषेक पूजा-अर्चन और जल अर्पण कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसको लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, लेकिन शिवरात्रि के दिन दिनभर भगवान शिव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक और अन्य पंचगव्य अभिषेक भी किए जा सकते हैं.

बीकानेर. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस कारण महाशिवरात्रि को बहुत पवित्र पर्व माना जाता है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा-अर्चना का अपने आप में एक विधान है और पूजा करते समय इनका ध्यान रखना चाहिए. महाशिवरात्रि की पूजा में शिव की पूजा करने का प्रतिफल जल्दी मिलता है. बीकानेर के पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू बता रहे हैं महाशिवरात्रि का पौराणिक महत्व.

शिव की आराधना से कट जाते हैं सारे संकट : भगवान शिव की पूजा-आराधना करने के लिए महाशिवरात्रि का व्रत और पूजन श्रेष्ठ बतलाया गया है. इस दिन शिव की पूजा करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सभी संकटों से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए कई विधान बताए गए हैं.

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चार प्रहर की पूजा का महत्व : पूजा की एक प्रक्रिया होती है, जिसमें कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि भगवान शिव की अनुकंपा जल्दी प्राप्त हो सके. भगवान शिव की पूजा-आराधना की एक खास प्रक्रिया है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए चार प्रहर में पूजा की जाती है. पूजा के प्रत्येक प्रहर में दूध, दही, मधु, चीनी से भगवान शिव का अलग-अलग अभिषेक किया जाना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और शिव परिवार का रात्रि पर्यंत अभिषेक करना चाहिए. रात्रि के समय जागरण करके व्रत रखना चाहिए. इस दिन नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. चार प्रहर की पूजा में प्रत्येक प्रसाद में खीर, मालपुआ, गुलाब जामुन, रेवड़ी, ऋतु फल चढ़ाकर शिव परिवार को प्रसन्न करना चाहिए. इस दिन भगवान विशेष श्रृंगार किया जाता है.

बिल्व पत्र से अर्चन का खास महत्व : महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की चारों पूजा में भगवान की षोडशोपचार पूजा करके महाआरती की जाती है. शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव का 1008 बिल्वपत्र, कमल, गुलाब और शमी पत्र से विशेष अर्चन करना चाहिए. शिव पुराण के मुताबिक भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते समय और बाद में शिव स्त्रोत, शिव महिमन स्त्रोत, शिव पंचाक्षर स्त्रोत, लिंगाष्टक स्त्रोत, रुद्राष्टक स्त्रोत, शिव तांडव स्त्रोत, द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत का पाठ कर रात्रि जागरण करने, शिवरात्रि व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए. इसका अत्यधिक पुण्य बताया गया है.

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प्रदोष का संयोग : इस बार महाशिवरात्रि पर एक विशेष सहयोग प्रदोष का भी पड़ रहा है. दरअसल, प्रदोष व्रत भगवान शिव की पूजा के लिए ही किया जाता है. इस बार शुक्रवार को महाशिवरात्रि और प्रदोष का व्रत होने से शुक्र प्रदोष व्रत है, जो जातक अपने जीवन काल में प्रदोष के व्रत करता है. भगवान शिव उसकी सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं. इस दिन महाशिवरात्रि पर्व का प्रदोष व्रत के साथ होना एक संयोग है.

दिनभर करें पूजा-अर्चना : पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस बार भी हर बार की तरह महाशिवरात्रि के दिन शिव मंदिरों में जाकर दिनभर श्रद्धालु अभिषेक पूजा-अर्चन और जल अर्पण कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसको लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, लेकिन शिवरात्रि के दिन दिनभर भगवान शिव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक और अन्य पंचगव्य अभिषेक भी किए जा सकते हैं.

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