भोपाल। नर्सिंग कॉलेज घोटाला, पटवारी घोटाला, व्यापम घोटाला और शिक्षक भर्ती घोटाला. फेहरिस्त तो और लंबी है लेकिन ये घोटाले हाल ही के कुछ साल में सामने आए हैं. इन घोटालों से अब एक बार फिर मध्य प्रदेश में नौकरियों में हो रही धांधली पर सवाल उठने लगे हैं. वास्तव में पात्र लोगों की जगह अपात्रों को लगातार नौकरी दी जा रही है. ये मामला प्राथमिक शिक्षक भर्ती 2020 में दिव्यांग अभ्यर्थियों से जुड़ा हुआ है. ऐसे लोगों को नियुक्तियां दे दी गईं जो वास्तव में विकलांग ही नहीं हैं. अब पिछले कुछ सालों से पात्र अभ्यर्थी विभागों के चक्कर काट रहे हैं.
प्राथमिक शिक्षक भर्ती 2020 घोटाला
प्राथमिक शिक्षक भर्ती 2020 की सेकंड काउंसलिंग में चयनित दिव्यांग अभ्यर्थियों के पद आवंटन में हुई गड़बड़ी पर अब भी कार्रवाई नहीं हो सकी है. बता दें कि 4 साल पहले इस नियुक्ति के दौरान दिव्यांगों के लिए 1320 पद आरक्षित किए गए थे. इसमें से विभाग द्वारा 989 पदों पर दिव्यांगों को नियुक्तियां दी गई थीं, जिसमें से 455 पदों पर ऐसे लोगों की नियुक्ति कर दी गई जो वास्तव में दिव्यांग हैं ही नहीं.
253 अपात्र उम्मीदवार अब भी कर रहे नौकरी
मामला सामने आने के बाद दिव्यांग अभ्यर्थियों द्वारा 4 साल में कई शिकायतें की गई, जिसके बाद केवल 202 अपात्र शिक्षकों को ही हटाया गया. वर्तमान में 253 पदों पर अभी भी फर्जी दिव्यांग पात्र बनकर नौकरी कर रहे हैं. जबकि वास्तविक हकदार अभी भी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं. पूर्व में अभ्यर्थियों द्वारा शासन को पात्रों को नौकरी देने के लिए कई बार आवेदन दिए गए, लेकिन 4 साल बाद भी पात्रों को उनके अधिकार नहीं मिल सके हैं.
पात्र दिव्यांगो के साथ सामान्य नियुक्तियां भी रुकी
इस मामले में जब जानकारी जुटाई तो पता चला कि दिव्यांग के साथ सामान्य अभ्यर्थियों के भी नियुक्ति आदेश 4 साल से बिना किसी कारण रुके हुए हैं. जबकि इसी मामले में रोस्टर के अनुसार 1696 प्रयोगशाला सहायक शिक्षकों की प्रक्रिया शासन को करनी है. इसके तहत पहली काउंसलिंग में शेष बचे 525 पदों पर नियुक्ति दी जानी है. इस मामले में लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक दिनेश कुशवाहा मीडिया के सवालों के जवाब देने को तैयार नहीं हैं.
वेरिफिकेशन के बाद भी नहीं मिली नियुक्ति
पूर्व में कुछ ऐसे अभ्यर्थी भी हैं जो काउंसिलिंग प्रक्रिया में भाग ले चुके हैं और डाक्यूमेंट्स वेरिफिकेशन भी करवा चुके हैं. इसके बाद भी इन अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं दी जा रही हैं. जबकि 10 अगस्त 2023 से इस मामले में कई बार विभागीय अधिकारियों को नियुक्ति के लिए आवेदन किए गए हैं, लेकिन मामले का समाधान नहीं हो पा रहा है.
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रोस्टर में अभी भी सवा लाख पद खाली
बता दें कि अपनी नियुक्ति को लेकर अभ्यर्थी पिछले 2 सालों से लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान डीपीआई के बाहर अभ्यर्थियों द्वारा आमरण अनशन और मुंडन कर विरोध प्रदर्शन भी किया जा चुका है. दिव्यांगों के 989 पदों सहित 51 हजार पदों पर भर्ती की मांग कर रहे हैं, जबकि रोस्टर में करीब सवा लाख पद खाली पड़े हुए हैं. इधर अभ्यर्थी पकौड़े बेचकर, बूट पालिश कर, रैली निकालकर और कई अन्य तरह से भी विरोध जता चुके हैं, लेकिन उनकी सुनवाई कहीं नहीं हो पा रही है.