जबलपुर। वर्तमान व पूर्व सांसदों के साथ ही विधायकों के खिलाफ लंबित प्रकरण की सुनवाई त्वरित गति से किये जाने के संबंध में सरकार ने दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया. हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा ने संज्ञान याचिका पर दो सप्ताह बाद सुनवाई निर्धारित की है.
स्टे मिलने के बाद बड़ी संख्या में मामले लंबे समय से पेंडिंग
गौरतलब है कि वर्तमान व पूर्व सांसदों के साथ ही विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण की सुनवाई विशेष न्यायालय द्वारा त्वरित गति से किये जाने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी थी. सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से गठित विशेष न्यायालयों की जानकारी पेश की गयी. सर्वोच्च न्यायालय को बताया गया कि आपराधिक मामलों में दंडित कई वर्तमान व पूर्व सांसद-विधायकों ने स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया है. स्थगन आदेश प्राप्त करने के बाद प्रकरण लम्बे समय से लंबित हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए थे आदेश
याचिका का निराकरण करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश जारी किये थे कि वर्तमान व पूर्व सांसदों- विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की सुनवाई विशेष न्यायालय त्वरित गति से हो. इसके अलावा दंडित प्रकरण में जारी स्थगन आदेश पर भी सुनवाई त्वरित की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश की प्रति सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को जारी करने के आदेश भी जारी किये थे. हाईकोर्ट में संज्ञान याचिका के तौर पर मामले में सुनवाई भी जारी है. याचिका में केंद्र तथा प्रदेश सरकार के विधि विभाग, प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव तथा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को अनावेदक बनाया गया है.
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राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने दिया समय, सुनवाई दो सप्ताह बाद
याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि विशेष न्यायालय में सांसदों तथा विधायकों के खिलाफ 192 प्रकरण लंबित हैं. अधिकांश प्रकरण साक्ष्य तथा अंतिम सुनवाई के लिए निर्धारित हैं. युगलपीठ ने सजा से दंडित प्रकरण में प्राप्त स्थगन आदेश पर त्वरित सुनवाई के लिए सरकार से दिशा-निर्देश लेने के लिए करने आदेश जारी किये थे. इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने दिशा-निर्देश प्राप्त करने के लिए समय प्रदान करने की मांग की. इसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया.