भोपाल। लोकसभा चुनाव के नतीजों का काउंनडाउन शुरू हो गया है. मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर चुनाव मैदान में उतरे बीजेपी-कांग्रेस सहित तमाम उम्मीदवारों की सियासी किस्मत का फैसला आज दोपहर तक हो जाएगा. पता चल जाएगा कि लोकतंत्र के घमासान में कौन से प्रत्याशी ने मतदाताओं के दिल में जगह बनाई. वैसे एक्जिट पोल में मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर बीजेपी की बल्ले-बल्ले हो गई है, लेकिन पिछले चुनावों का गणित देखा जाए तो एक दर्जन सीटों पर बीजेपी बेहद मजबूत स्थिति में रही है.
पिछले 9 चुनावों से बीजेपी का दबदबा कायम
विदिशा लोकसभा सीट भी बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती है. इस सीट पर अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तक चुनाव लड़ चुकी हैं. इस सीट से इस बार 16 साल प्रदेश के सीएम रहे शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस ने आखिरी बार इस सीट से 1984 में चुनाव जीता था.
मध्यप्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी की सबसे मजबूत सीट मानी जाती है. यह बीजेपी का सबसे मतबूत गढ़ माना जाता है. इसकी वजह है कि इस सीट पर बीजेपी 1989 से लगातार जीतती जा रही है. इस सीट पर बीजेपी लगातार 10 चुनावों में जीतती आ रही है. यहां जीत का मार्जिन भी अच्छा खासा रहा है. इस बार इस सीट से बीजेपी के आलोक शर्मा और कांग्रेस के अरूण श्रीवास्तव के बीच मुकाबला है.
इंदौर लोकसभा सीट पर बीजेपी को उम्मीद है कि जीत के अंतर के सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे. इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय बम ऐन मौके पर बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसके बाद बीजेपी के सामने कोई भी दमदार चुनौती नहीं बची. बीजेपी ने 2019 के चुनाव में इस सीट पर 65 फीसदी वोट शेयर प्राप्त किया था. इस सीट पर कांग्रेस ने आखिरी बार 1984 में चुनाव जीता था और मौजूदा स्थितियों को देखकर लगता है कांग्रेस को अभी जीत के लिए और इंतजार करना होगा.
भिंड लोकसभा सीट पर कांग्रेस 1984 के बाद कभी वापसी नहीं कर पाई. पिछले 9 चुनाव से लगातार बीजेपी उम्मीदवार ही यह सीट जीतते आ रहे हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी की संध्या राय ने चुनाव जीता था. वह एक बार फिर इस सीट से चुनाव मैदान में हैं. हालांकि इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणीय है. कांग्रेस से फूल सिंह बरैया और बीएसपी से देवाशीष जरारिया ने चुनाव लड़ा है.
दमोह लोकसभा सीट पर भी बीजेपी पिछले 9 चुनाव से लगातार जीतती आ रही है. कांग्रेस को 1984 के मैजिक का इस बार इंतजार है. इस बार बीजेपी के राहुल सिंह लोधी और कांग्रेस के तरवर सिह लोधी के बीच मुकाबला है. वैसे इस सीट पर बीजेपी की पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है. पिछला दो चुनाव इस सीट से प्रहलाद पटेल ने जीता था.
33 सालों से कांग्रेस को जीत का इंतजार
मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस को पिछले 33 सालों से जीत का इंतजार है. इस सीट पर बीजेपी ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई है. पिछले 4 चुनाव से लगातार बीजेपी के राकेश सिंह जीतते आ रहे हैं. वे अब प्रदेश सरकार में मंत्री हैं और इस बार बीजेपी ने आशीष दुबे को मैदान में उतारा है. मुकाबला कांग्रेस के दिनेश यादव से है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने साढ़े 4 लाख के अंतर से कांग्रेस को शिकस्त दी थी, जिसे पाटन कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है.
मुरैना लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस के सत्यपाल सिंह सिकरवार के बीच है. इस सीट पर कांग्रेस जीती तो 33 साल बाद पार्टी की वापसी होगी. हालांकि कांग्रेस के लिए यह सपना पूरा होना बेहद चुनौतिपूर्ण है. बीजेपी ने यहां अपनी बेहद मजबूत जमीन तैयार की है. यही वजह है कि पिछले 7 चुनावों ने जीत बीजेपी के पक्ष में ही आ रही है.
अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व इस सीट पर 1952 से लेकर 1991 तक कांग्रेस की मजबूत पकड़ रही है, लेकिन इसके बाद यहां बीजेपी का कब्जा हो गया. पिछले 8 चुनावों में बीजेपी ने लगातार कांग्रेस को हराया है. इस बार बीजेपी के दुर्गादास उइके और कांग्रेस के रामू टेकाम के बीच मुकाबला है. रामू टेकाम पिछला चुनाव भी इस सीट से हार चुके हैं.
बुंदेलखंड के सागर लोकसभा सीट भी कांग्रेस को 1991 के बाद से जीत का इंतजार है. इस सीट से केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक ने लगातार चार चुनाव जीते हैं. पिछला लोकसभा चुनाव बीजेपी के ही राजबहादुर सिंह ने 3 लाख से ज्यादा मतों से जीता था. इस बार मुकाबला बीजेपी की लता वानखेडे और कांग्रेस के चंद्रभूषण सिंह बुंदेला के बीच है.
पिछले तीन चुनावों का गणित
देखा जाए तो 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 29 में से 16 सीटें जीत पाई थी. इस चुनाव में बीजेपी को 44 फीसदी वोट मिले थे. कांग्रेस के खाते में 12 और एक सीट बहुजन समाज पार्टी को मिली थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 29 में से 27 सीटें जीती थीं. इस चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 54 फीसदी रहा था. कांग्रेस को सिर्फ 2 सीटें मिली थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 29 में से 28 सीटें जीती थीं. सिर्फ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. इस चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 58 फीसदी रहा था.