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बैंड प्रशिक्षण के लिए पुलिसकर्मियों की सहमति जरूरी, मध्य प्रदेश सरकार की आदेश वापस लेने की अर्जी हाईकोर्ट से खारिज - JABALPUR HIGH COURT

दस पुलिसकर्मियों ने बिना सहमति पुलिसकर्मियों को बैंड प्रशिक्षण में शामिल किए जाने के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी.

JABALPUR HIGH COURT
जबलपुर हाई कोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 8, 2024, 3:49 PM IST

जबलपुर: जबलपुर हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा है कि बैंड प्रशिक्षण के लिए पुलिसकर्मियों की सहमति लेना जरूरी है. जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया. एकलपीठ ने सरकार को कानूनी प्रावधान अपनाने की स्वतंत्रता प्रदान की है.

एकल पीठ के आदेश को वापस लेने के लिए सरकार ने दाखिल की थी हाईकोर्ट में अपील

गौरतलब है कि बिना सहमति पुलिस बैंड के प्रशिक्षण में शामिल किये जाने के खिलाफ दस पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए जबलपुर मुख्य पीठ की एकलपीठ ने 6 अगस्त 2024 को जारी अपने आदेश में कहा था कि पुलिस बैंड प्रशिक्षण में कर्मियों की सहमति आवश्यक है. एकल पीठ के उक्त आदेश को वापस लेने सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी.

सरकार की तरफ से दायर आवेदन में कहा गया था कि मुख्यपीठ ने इंदौर खंडपीठ द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए उक्त आदेश जारी किए थे. इस संबंध में ग्वालियर खंडपीठ में भी याचिका दायर की गई थी. ग्वालियर खंडपीठ ने आदेश में कहा था कि पुलिसकर्मियों को पुलिस बैंड में प्रशिक्षण के लिए तैयार किया जा सकता है. इंदौर व ग्वालियर खंडपीठ ने पारित आदेशों में अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाए गए हैं.

एकलपीठ ने सरकार के आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि ग्वालियर खंडपीठ में याचिका की सुनवाई के दौरान इंदौर खंडपीठ के आदेश को न्यायालय के समक्ष विचारार्थ नहीं रखा गया था. इसके अलावा याचिकाकर्ता विशेष सशस्त्र बल के सदस्य थे. इसके अलावा उनके पास कानून व्यवस्था कायम रखने और अपराधों की जांच करने जैसे नियमित कर्तव्य नहीं होते हैं.

जबलपुर: जबलपुर हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार की याचिका खारिज करते हुए कहा है कि बैंड प्रशिक्षण के लिए पुलिसकर्मियों की सहमति लेना जरूरी है. जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया. एकलपीठ ने सरकार को कानूनी प्रावधान अपनाने की स्वतंत्रता प्रदान की है.

एकल पीठ के आदेश को वापस लेने के लिए सरकार ने दाखिल की थी हाईकोर्ट में अपील

गौरतलब है कि बिना सहमति पुलिस बैंड के प्रशिक्षण में शामिल किये जाने के खिलाफ दस पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका की सुनवाई करते हुए जबलपुर मुख्य पीठ की एकलपीठ ने 6 अगस्त 2024 को जारी अपने आदेश में कहा था कि पुलिस बैंड प्रशिक्षण में कर्मियों की सहमति आवश्यक है. एकल पीठ के उक्त आदेश को वापस लेने सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी.

सरकार की तरफ से दायर आवेदन में कहा गया था कि मुख्यपीठ ने इंदौर खंडपीठ द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए उक्त आदेश जारी किए थे. इस संबंध में ग्वालियर खंडपीठ में भी याचिका दायर की गई थी. ग्वालियर खंडपीठ ने आदेश में कहा था कि पुलिसकर्मियों को पुलिस बैंड में प्रशिक्षण के लिए तैयार किया जा सकता है. इंदौर व ग्वालियर खंडपीठ ने पारित आदेशों में अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाए गए हैं.

एकलपीठ ने सरकार के आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि ग्वालियर खंडपीठ में याचिका की सुनवाई के दौरान इंदौर खंडपीठ के आदेश को न्यायालय के समक्ष विचारार्थ नहीं रखा गया था. इसके अलावा याचिकाकर्ता विशेष सशस्त्र बल के सदस्य थे. इसके अलावा उनके पास कानून व्यवस्था कायम रखने और अपराधों की जांच करने जैसे नियमित कर्तव्य नहीं होते हैं.

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