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68 बरस का मध्य प्रदेश, याद आई अंधेरी रात की पहले सीएम की शपथ, वो राजधानी का पेंच

मध्य प्रदेश 1 नवंबर 1956 की स्याह अमावस की रात को अस्तित्व में आया. जानिए 4 राज्यों को काट बने एमपी के इंटरेस्टिंग फैक्ट.

MADHYA PRADESH FORMED ON AMAWASYA
मध्य प्रदेश के स्थापना की कहानी (ETV Bharat Graphics)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 21, 2024, 7:46 PM IST

Updated : Oct 26, 2024, 7:16 PM IST

भोपाल: भारत जैसे विशाल भू-भाग वाले देश का 'दिल' कहे जाने वाले मध्य प्रदेश का 1 नवंबर को स्थापना दिवस है. इस दिन एमपी के गठन के 69 साल हो जाएंगे. इतने सालों में देश के मध्य में बसे मध्य प्रदेश ने काफी उठापटक देखी. गठन के बाद राजधानी बनाने की लड़ाई से लेकर स्थापना के 45 साल बाद विभाजन तक के दौर को इस राज्य ने देखा है. इसने 'भोपाल गैस लीक' जैसी त्रासदी को झेला है और उससे निकलकर देश के उन्नतशील राज्यों की कतार में खड़ा है. आजादी के बाद 1956 में भाषाई आधार पर 14 राज्यों का गठन हुआ था, उन्हीं में से एक मध्य प्रदेश भी है. इस आर्टिकल में हम ह्रदय प्रदेश कहे जाने वाले इस राज्य के गठन के बारे में जानकारी देंगे.

चार छोटे राज्यों को मिलाकर बना मध्य प्रदेश

भारत को आजाद हुए 9 साल हो चुके थे. देश में लोकतंत्र स्थापित हो चुका था. देश में जनता द्वारा चुनी गई सरकार का भी गठन हो चुका था. लेकिन देश में भौगोलिक अस्थिरता बनी हुई थी. कई प्रांत भाषाई और भौगोलिक आधार पर अलग राज्य की मांग कर रहे थे. इसी के चलते 1 नवंबर 1956 को देश में 14 नए राज्य अस्तित्व में आए. उन्हीं में एक मध्य प्रदेश भी था. देश के मध्य हिस्से के 4 छोटे राज्यों को मिलाकर इसका गठन किया गया. जिसमें मध्‍य प्रदेश जिसकी राजधानी नागपुर थी, मध्‍य भारत जिसकी दो राजधानियां थी, शीतकालीन राजधानी ग्वालियर और ग्रीष्मकालीन राजधानी इंदौर, विंध्य प्रदेश जिसकी राजधानी रीवा और भोपाल शामिल थे. इस चारों राज्यों की अपनी विधानसभाएं भी थीं.

MAKING OF MADHYA PRADESH CAPITAL
मध्य प्रदेश के अब तक के मुख्यमंत्री (ETV Bharat Graphics)
INDIA 1ST CM SWORN IN AT MIDNIGHT
मध्य प्रदेश के अब तक के मुख्यमंत्री (ETV Bharat Graphics)

राजधानी को लेकर फंस गया था पेंच

किसी भी राज्य के गठन के बाद सबसे जरूरी चीजों में उसकी राजधानी होती है. इसी तरह एमपी का गठन तो हो गया, लेकिन अब पेंच राजधानी को लेकर फंस गया. कैपिलट बनने के लिए कई जिलों ने अपनी दावेदारी पेश की, जिसमें सबसे पहला नाम ग्वालियर फिर इंदौर का था. साथ ही राज्य पुनर्गठन आयोग ने राजधानी के लिए जबलपुर का नाम भी सुझाया था. इस खींचतान से इतर भोपाल को राजधानी के रूप में चुना गया. इसके पीछे यह तर्क दिया गया की यहां भवन ज्यादा हैं, जो सरकारी कामकाज के लिए उपयुक्त हैं. इसके पीछे एक और कारण माना जाता है. भोपाल को मध्य प्रदेश में मिलाने के बाद से ही यहां के नवाब हैदराबाद के निजाम से मिलकर इसका विरोध कर रहे थे. माना जाता है कि इस विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए भी भोपाल को राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया था.

MADHYA PRADESH INTERESTING FACTS
मध्य प्रदेश के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थल (ETV Bharat Graphics)

अमावस्या की काली रात को पहले सीएम की शपथ

राज्य पुनर्गठन के बाद प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में 1 नवंबर 1956 को पंडित रविशंकर शुक्ल ने शपथ ली थी. इस शपथ ग्रहण से जुड़ा एक बड़ा रोचक किस्सा है. दरअसल, रविशंकर शुक्ल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ अमावस्या की काली रात को ली थी. लाल कोठी में शपथ समारोह के सारे इंतज़ाम हो चुके थे. शुक्ल, शपथ लेने के लिए मंच पर पहुंच गये थे. तभी किसी ने याद दिलाया की आज अमावस्या की काली रात है. इतना सुन मंंच पर सन्नाटा खिंच गया. मंचाशीन सभी गणमान्यों की नजर पं. शुक्ल की तरफ गई. पं. शुक्ल ने देखा की सारा इंतजाम हो गया है. अंधेरी रात की वजह से शपथ को रोकना उन्हें उचित नहीं लगा. उन्होंने प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और इस तारीख को एमपी के इतिहास में अमर कर दिया. लेकिन बात का बतंगड़ तो तब बना जब 2 महीने बाद ही रविशंकर शुक्ल की मौत हो गई. हालांकि, उनकी मौत बीमारी के चलते हुई थी, लेकिन लोगों ने दबे जबान में ही सही इसके लिए अमावस्या की काली रात के शपथ ग्रहण को ही इसका कारण माना.

MADHYA PRADESH 69TH FOUNDATION DAY
मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व (ETV Bharat Graphics)

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क्षेत्रफल के लिहाज से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य

मध्य प्रदेश के गठन के समय 43 जिले थे. समय बीता और साल 1972 में दो बड़े जिलों का विभाजन किया गया. भोपाल से सिहोर को और राजनांदगांव को दुर्ग से. इस प्रकार जिलों की कुल संख्या 45 हो गई. साल 1998 में क्षेत्रफल के लिहाज से बड़े जिलों को विभाजित करके 16 और जिले बनाए गए. जिससे यह संख्या 61 हो गई थी. साल 2000 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से को काटकर भारत के 26वें राज्य, छत्तीसगढ़ का गठन किया. इसके बाद वर्तमान का मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया, जो 308,252 लाख हेक्टेयर के भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है. आज एमपी में 10 संभाग और 54 जिले हैं. मध्य प्रदेश क्षेत्रफल के लिहाज से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है.

भोपाल: भारत जैसे विशाल भू-भाग वाले देश का 'दिल' कहे जाने वाले मध्य प्रदेश का 1 नवंबर को स्थापना दिवस है. इस दिन एमपी के गठन के 69 साल हो जाएंगे. इतने सालों में देश के मध्य में बसे मध्य प्रदेश ने काफी उठापटक देखी. गठन के बाद राजधानी बनाने की लड़ाई से लेकर स्थापना के 45 साल बाद विभाजन तक के दौर को इस राज्य ने देखा है. इसने 'भोपाल गैस लीक' जैसी त्रासदी को झेला है और उससे निकलकर देश के उन्नतशील राज्यों की कतार में खड़ा है. आजादी के बाद 1956 में भाषाई आधार पर 14 राज्यों का गठन हुआ था, उन्हीं में से एक मध्य प्रदेश भी है. इस आर्टिकल में हम ह्रदय प्रदेश कहे जाने वाले इस राज्य के गठन के बारे में जानकारी देंगे.

चार छोटे राज्यों को मिलाकर बना मध्य प्रदेश

भारत को आजाद हुए 9 साल हो चुके थे. देश में लोकतंत्र स्थापित हो चुका था. देश में जनता द्वारा चुनी गई सरकार का भी गठन हो चुका था. लेकिन देश में भौगोलिक अस्थिरता बनी हुई थी. कई प्रांत भाषाई और भौगोलिक आधार पर अलग राज्य की मांग कर रहे थे. इसी के चलते 1 नवंबर 1956 को देश में 14 नए राज्य अस्तित्व में आए. उन्हीं में एक मध्य प्रदेश भी था. देश के मध्य हिस्से के 4 छोटे राज्यों को मिलाकर इसका गठन किया गया. जिसमें मध्‍य प्रदेश जिसकी राजधानी नागपुर थी, मध्‍य भारत जिसकी दो राजधानियां थी, शीतकालीन राजधानी ग्वालियर और ग्रीष्मकालीन राजधानी इंदौर, विंध्य प्रदेश जिसकी राजधानी रीवा और भोपाल शामिल थे. इस चारों राज्यों की अपनी विधानसभाएं भी थीं.

MAKING OF MADHYA PRADESH CAPITAL
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राजधानी को लेकर फंस गया था पेंच

किसी भी राज्य के गठन के बाद सबसे जरूरी चीजों में उसकी राजधानी होती है. इसी तरह एमपी का गठन तो हो गया, लेकिन अब पेंच राजधानी को लेकर फंस गया. कैपिलट बनने के लिए कई जिलों ने अपनी दावेदारी पेश की, जिसमें सबसे पहला नाम ग्वालियर फिर इंदौर का था. साथ ही राज्य पुनर्गठन आयोग ने राजधानी के लिए जबलपुर का नाम भी सुझाया था. इस खींचतान से इतर भोपाल को राजधानी के रूप में चुना गया. इसके पीछे यह तर्क दिया गया की यहां भवन ज्यादा हैं, जो सरकारी कामकाज के लिए उपयुक्त हैं. इसके पीछे एक और कारण माना जाता है. भोपाल को मध्य प्रदेश में मिलाने के बाद से ही यहां के नवाब हैदराबाद के निजाम से मिलकर इसका विरोध कर रहे थे. माना जाता है कि इस विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए भी भोपाल को राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया था.

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अमावस्या की काली रात को पहले सीएम की शपथ

राज्य पुनर्गठन के बाद प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में 1 नवंबर 1956 को पंडित रविशंकर शुक्ल ने शपथ ली थी. इस शपथ ग्रहण से जुड़ा एक बड़ा रोचक किस्सा है. दरअसल, रविशंकर शुक्ल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ अमावस्या की काली रात को ली थी. लाल कोठी में शपथ समारोह के सारे इंतज़ाम हो चुके थे. शुक्ल, शपथ लेने के लिए मंच पर पहुंच गये थे. तभी किसी ने याद दिलाया की आज अमावस्या की काली रात है. इतना सुन मंंच पर सन्नाटा खिंच गया. मंचाशीन सभी गणमान्यों की नजर पं. शुक्ल की तरफ गई. पं. शुक्ल ने देखा की सारा इंतजाम हो गया है. अंधेरी रात की वजह से शपथ को रोकना उन्हें उचित नहीं लगा. उन्होंने प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और इस तारीख को एमपी के इतिहास में अमर कर दिया. लेकिन बात का बतंगड़ तो तब बना जब 2 महीने बाद ही रविशंकर शुक्ल की मौत हो गई. हालांकि, उनकी मौत बीमारी के चलते हुई थी, लेकिन लोगों ने दबे जबान में ही सही इसके लिए अमावस्या की काली रात के शपथ ग्रहण को ही इसका कारण माना.

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मध्य प्रदेश के गठन के समय 43 जिले थे. समय बीता और साल 1972 में दो बड़े जिलों का विभाजन किया गया. भोपाल से सिहोर को और राजनांदगांव को दुर्ग से. इस प्रकार जिलों की कुल संख्या 45 हो गई. साल 1998 में क्षेत्रफल के लिहाज से बड़े जिलों को विभाजित करके 16 और जिले बनाए गए. जिससे यह संख्या 61 हो गई थी. साल 2000 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी हिस्से को काटकर भारत के 26वें राज्य, छत्तीसगढ़ का गठन किया. इसके बाद वर्तमान का मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया, जो 308,252 लाख हेक्टेयर के भौगोलिक क्षेत्र में फैला हुआ है. आज एमपी में 10 संभाग और 54 जिले हैं. मध्य प्रदेश क्षेत्रफल के लिहाज से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है.

Last Updated : Oct 26, 2024, 7:16 PM IST
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