रामानुजगंज : छत्तीसगढ़ को यदि आदिशक्ति मां दुर्गा की स्थली कहे तो ये अतिश्योक्ति नहीं होगी.छत्तीसगढ़ में माता कई रूपों में विराजमान हैं. दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी, डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी, चंद्रपुर में मां चंद्रहासिनी, रतनपुर और सरगुजा में महामाया ऐसे मंदिर हैं जहां पर भक्तों का तांता लगा रहता है. साल के बारह महीने माता के दरबार में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है. माता का ऐसा ही एक मंदिर बलरामपुर जिले के रामानुजगंज में स्थित है.जिसे लोग माता वैष्णोदेवी के नाम से जानते हैं.
छत्तीसगढ़ की मां वैष्णोदेवी : आपने अब तक जम्मू के कटरा में मौजूद मां वैष्णोदेवी के बारे में सुना या देखा होगा.लेकिन आज हम जिस वैष्णोदेवी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं,वो छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में हैं. रामानुजगंज में सात पहाड़ियों के बीच की सबसे ऊंची चोटी मालकेतु पर्वत पर माता वैष्णोदेवी का भव्य दरबार है. इस मंदिर में छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों से श्रद्धालु माता के दर्शन-पूजन करने के लिए आते हैं.
नवरात्रि में अखंड ज्योति की स्थापना : नवरात्रि के अवसर पर मंदिर की छटा देखते ही बनती है. मंदिर के पुजारी के मुताबिक चैत्र और शारदीय नवरात्रि में माता के मंदिर में विशेष पूजा की व्यवस्था की जाती है. इस मंदिर को लोग पहाड़ी माई मंदिर के नाम से भी जानते हैं.
'' चैत्र नवरात्र के दौरान पहाड़ी वाले मंदिर में नियमित रूप से विशेष पूजा-पाठ किया जा रहा है. नौ दिनों तक लगातार अखंड दीप प्रज्वलन किया जा रहा है. यहां बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर में अष्टमी तिथि को अखंड रामायण का पाठ होगा और नवमी को हवन कार्यक्रम है.'' पवन पाण्डेय, पुजारी
सात पहाड़ियों के बीच बसा माता का धाम : इस मंदिर की खास बात है कि यहां जीव बलि प्रथा पूर्णत: प्रतिबंधित है. मंदिर में शादी-विवाह सहित धार्मिक अनुष्ठान कराए जाते हैं.चैत्र शारदीय नवरात्रि में मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं. इस मौके पर स्थानीय सहित दूरदराज से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं.पहाड़ीमाई मंदिर सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है. चारों ओर ऊंचे-नीचे पहाड़ सिर्फ हरियाली है. पहाड़ के नीचे रामानुजगंज जलाशय का बड़ा बांध सुंदर वनवाटिका है. यहां से आसपास के गांव और कन्हर नदी का बहता पानी आसानी से देखा जा सकता है. मंदिर में दर्शन करने के बाद वापसी के समय लोग वनवाटिका में नौकाविहार भी करते हैं.
कैसे पहुंचते हैं माता के दर पर भक्त : ऊंची पहाड़ी पर मौजूद माता के मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का निर्माण कराया गया है. मौजूदा समय में पहाड़ी को काटकर सड़क मार्ग बनाया गया है.इस मार्ग से होकर आसानी से भक्त माता के दर्शन करने पहुंचते हैं.ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त माता के मंदिर में अपनी मनोकामना लेकर आता है उसे मां जरुर पूरा करती है.