नई दिल्ली: देशभर में शारदीय नवरात्र के मौके पर माता रानी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है. वहीं, देशभर में कई ऐसे छोटे और प्राचीन मंदिर हैं, जहां माता रानी के भक्त वर्षों से आशीर्वाद लेने के लिए आ रहे हैं. ऐसा ही एक मंदिर है प्राचीन शीतला माता मंदिर. यह मंदिर दिल्ली कैंट में मौजूद झरेरा गांव में है. मंदिर में नौ दिन तक भंडारे की व्यवस्था भक्त करते हैं. पुजारी सुरेश कुमार ने बताया कि मंदिर का इतिहास सदियों पुराना है. इलाके में मंदिर प्राचीन शीतला माता मंदिर के नाम से मशहूर है. माता रानी के भक्त दूर-दूर से मां का आशीर्वाद लेने आते हैं.
मंदिर की मान्यता और इतिहास: मंदिर में मौजूद माता रानी के भक्त संजय ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास बेहद रोचक है. गुड़गांव में मौजूद शीतला माता मंदिर को सभी जानते हैं. लोग बताते हैं कि शीतला माता ने दिल्ली कैंट के झरेरा गांव में कुछ दिन विश्राम किया था. इसके बाद वह गुड़गांव में विराजी. हर वर्ष चैत्र के महीने में गुड़गांव के शीतला माता मंदिर में भव्य मेले का आयोजन होता है. मान्यता है कि उस मेले में पहुंचने वाले श्रद्धालु अगर इस प्राचीन शीतला माता मंदिर में आकर विश्राम और माता के दर्शन नहीं करते तो उनकी पूजा को अधूरा माना जाता है.
वर्षों से जारी है निर्माण कार्य: मंदिर का निर्माण कार्य भक्तों द्वारा कराया जा रहा है. मंदिर के सामने एक प्राचीन तालाब है. वर्तमान में इसका सौन्दर्यीकरण का कार्य दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा किया गया है. संजय आगे बताते हैं कि झरेरा गांव के लोगों ने एक-एक ईंट इकट्ठा कर मंदिर का निर्माण किया है. इसके लिए अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी के नेता से सहायता राशि नहीं मांगी गई है. सभी कार्य भक्तों द्वारा एकत्रित दान के आधार पर ही किया जा रहा है.
मंदिर का कोई एक मालिक नहीं: बता दें, मंदिर में शीतला माता की बेहद छोटी और आकर्षक प्रतिमा विराजित है. पुजारी सुरेश कुमार आगे बताते हैं कि मंदिर की देख रेख किसी विशेष कमिटी द्वारा नहीं की जाती. मंदिर के निर्माण कार्य से लेकर भंडारों की व्यवस्था भक्तों द्वारा की जाती है. मंदिर राजधानी के कैंट एरिया में मौजूद है, इसलिए भारत माता की सेवा में लगे फौजियों और उनके परिवार के लोग भी माता का आशीर्वाद लेने आते हैं.
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