खैरागढ़ छुईखदान गंडई : नर्मदा नदी का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश के अमरकंटक को माना जाता है.ऐसी मान्यता है कि देवी नर्मदा अमरकंटक में प्रकट को पश्चिम दिशा की ओर निकल पड़ी.लेकिन कम लोगों को ये बात पता होगी कि मां नर्मदा का छ्त्तीसगढ़ के खैरागढ़ से भी नाता है. किवदंतियों की माने तो मां नर्मदा ने खैरागढ़ के खैरा गांव में अपने भक्त को दर्शन दिया था.तब से लेकर आज तक इस गांव में हर साल माघी पूर्णिमा के अवसर पर उत्सव का आयोजन होता है.आईए जानते हैं वो कौन सा भक्त था,जिसे दर्शन देने मां नर्मदा छत्तीसगढ़ में आईं.
क्यों छत्तीसगढ़ में प्रकट हुईं मां नर्मदा ?: रियासतकालीन खैरागढ़ राज में एक तपस्वी बाबा रुक्कड़ स्वामी थे. जो हर महीने नर्मदा स्नान और पूजन करने खैरागढ़ से अमरकंटक पैदल जाया करते थे. अपने भक्त के इस तपस्या को देखकर मां नर्मदा प्रसन्न हुईं.इसके बाद मां नर्मदा खैरागढ़ के लिए अमरकंटक से निकली.लेकिन रास्ते में खैरा नाम का एक गांव आया. जहां एक चरवाहा अपने मवेशियों को इकट्ठा कर रहा था. इसी समय एक राहगीर ने चरवाहे से स्थान का नाम पूछा. चरवाहा जब गांव का नाम बता रहा था,तब एक गाय गौठान से निकलकर भागने लगी. इस गाय का नाम चरवाहे ने नर्मदा रखा था. जिसे चरवाहे ने नाम लेकर पुकारा और कहा नर्मदा कहां जा रही हो.मां नर्मदा जो उस वक्त खैरा गांव को पार कर रहीं थी अपना नाम एक अनजान शख्स से सुनकर चौंक गई. इसके बाद खैरा गांव को खैरागढ़ समझकर वहीं प्रकट हो गईं.
पाताल लोक से निकली मां नर्मदा : चरवाहे के सामने पाताल तोड़कर जल की धारा निकलने लगी. इसके बाद उद्गम स्थल पर एक कुंड का निर्माण किया गया. इस जगह पर मां नर्मदा का भव्य मंदिर का भी निर्माण कराया गया. माता नर्मदा के उदगम के बाद से ही इस जगह पर हर साल माघी पूर्णिमा के शुक्ल पक्ष में चार दिवसीय मेले का आयोजन होता है.सैंकड़ों साल से मेला लगने की परंपरा जारी है. नया जिला बनने के बाद शासन और प्रशासन ने इस स्थल पर विकास कार्य करवाएं हैं.भक्तों के लिए लाइट, सुरक्षा व्यवस्था और शौचालय की व्यवस्था की गई है.इसके अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए इस जगह की महिमा का बखान किया जाता है.