लखनऊ : राजधानी के गौरव खन्ना को भी पद्मश्री पुरस्कार सम्मान से नवाजा गया है. वह पैरालंपिक खेलों में ओलंपिक से लेकर एशियाई खेलों में कई पदक विजेता पैरा शटलर तैयार कर चुके हैं. भारतीय पैराबैडमिंटन टीम के चीफ कोच गौरव खन्ना ने इस पर खुशी जताई. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि मुझे पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार मिल चुका है. अब पद्मश्री मिलना मेरे करियर के लिए संजीवनी के समान है.
प्रशिक्षु खिलाड़ियों का जताया आभार : गौरव खन्ना ने बताया कि वर्ष 2020 में जब मुझे द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिला था, तो कोरोना होने के कारण समारोह का हिस्सा नहीं बन पाया था. ऐसे में पद्मश्री अवॉर्ड मेरे लिए और भी अहम हो जाता है. अवॉर्ड के लिए अपने परिजनों के अलावा अपने प्रशिक्षु खिलाड़ियों का आभार भी जताना चाहूंगा, जिन्होंने मुझ पर विश्वास जताया. उन्होंने अपने पुराने दिनों का याद करते हुए कहा कि मुश्किल परिस्थितियों के बीच रहकर पैरा शटलरों को ट्रेनिंग कराई. कभी टूटे कोर्ट पर ट्रेनिंग करनी पड़ती थी, तो कभी खुले में फिटनेस ट्रेनिंग. जब खिलाड़ियों ने पदक जीतना शुरू किया, तब जाकर सरकार ने हमारी सुध ली.
पहले भी मिल चुके हैं कई सम्मान : लखनऊ के निवासी गौरव खन्ना 2015 से भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के मुख्य राष्ट्रीय कोच हैं. इससे पहले वह भारतीय बधिर बैडमिंटन टीम के प्रमुख राष्ट्रीय कोच थे. वह एशिया बधिर बैडमिंटन टीम के कोच भी थे. वह पैरा बैडमिंटन खेल में देश के पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता होने का गौरव हासिल है. साथ ही किसी भी पैरा खेल में यूपी के पहले द्रोणाचार्य हैं. इसके अलावा उन्हें यश भारती, गुरु गोविंद सिंह पुरस्कार विजेता, मार्क ऑफ एक्सीलेंस पुरस्कार से यूपी सरकार द्वारा भी सम्मानित किया गया है. उन्होंने विकलांग एथलीटों को समर्पित देश की पहली पैरा बैडमिंटन अकादमी खोली है, जहां पोलियो प्रभावित, श्रवण बाधित, दुर्घटना में घायल, व्हील चेयर पर घायल सेना के जवान, बौने, न्यूरो विकलांग एथलीट आदि सहित सभी श्रेणी के एथलीट को निशुल्क प्रशिक्षण लेते हैं.
घर का नाम रखा है द्रोण पैरालंपिक हाउस : ये खिलाड़ी ओमेक्स सिटी, बिजनौर रोड, लखनऊ स्थित गौरव खन्ना के घर में रहते हैं. इस घर का नाम भी पैरा एथलीटों के नाम पर "द्रोण पैरालंपिक हाउस" रखा गया है. हाल ही में रेडियंट और पीसीआई द्वारा आयोजित पहले दिव्यांग पुरस्कार खेल समारोह में इस अकादमी को देश की सर्वश्रेष्ठ खेल अकादमी और गौरव खन्ना को देश का सर्वश्रेष्ठ कोच घोषित किया गया है. उनकी कोचिंग और मार्गदर्शन में भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम ने 2015 से एशियाई पैरा खेलों, विश्व चैंपियनशिप और टोक्यो पैरालिंपिक सहित बैडमिंटन विश्व महासंघ द्वारा मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 871 पदक (239 स्वर्ण, 247 रजत और 385 कांस्य) जीते हैं. गौरव खन्ना एक मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच के अलावा, देश के एकमात्र अधिकारी हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक योग्य अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन अंपायर, रेफरी और मैच कंट्रोलर भी हैं.
हादसे से कमजोर नहीं और मजबूत हुए गौरव : अपने समय के बेहतरीन बैडमिंटन खिलाड़ी रहे लखनऊ के गौरव कुमार साल 2000 में हुए एक हादसे के बाद आंशिक रूप से दिव्यांग हो गए थे. मगर उन्होंने हार नहीं मानी. कुछ समय बाद पत्नी के अथक परिश्रम की सहायता से गौरव ने चुनौतियों का सामना किया. वह अपनी सफलता का श्रेय भारतीय पैराओलंपिक संघ के अलावा अपने एसोसिएशन को देते हैं. साथ ही पत्नी के योगदान को सर्वोपरि मानते हैं. गौरव खन्ना के मार्गदर्शन में भारतीय खिलाडिय़ों ने वर्ष 2014 से अब तक रिकॉर्ड करीब 400 पदक जीते हैं. जिनमें रिकॉर्ड 100 से अधिक स्वर्ण पदक शामिल हैं. खास बात यह है कि उनके शिष्य रहे राजकुमार वर्ष 2017 और मनोज सोनकर 2018 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किए जा चुके हैं. वहीं प्रमोद भगत 2019 में अर्जुन अवॉर्ड से नवाजे गए. उनकी कोचिंग में खेले सुहास एलवाई भी अर्जुन अवार्ड पा चुके हैं. गौरव बताते हैं कि भारत सरकार ने अगर मुझे इस प्रतिष्ठित सम्मान के लायक समझा है तो इसका श्रेय मैं अपनी पत्नी सहित पूरे परिवार को दूंगा. परिवार ने न सिर्फ मदद की बल्कि, मेरे आत्मविश्वास को भी बढ़ाया. शायद इसी का परिणाम रहा कि मैंने जल्द वापसी की और वर्ष 2004 से स्पेशल बच्चों को प्रशिक्षित करना भी शुरू किया. जल्द ही इसका बड़ा फायदा भी मिला. वर्ष 2011 एशिया मूक-बधिर चैंपियनशिप में मुझे एशियन टीम का कोच नियुक्त किया गया. यह मेरे करियर का अहम मोड़ साबित हुआ। मेरे अगुआई में टीम ने बेजोड़ प्रदर्शन किया. इसी बीच वर्ष 2014 में भारतीय पैरालंपिक कमेटी ने मुझे टीम इंडिया का मुख्य कोच नियुक्त कर चौंका दिया. यहीं से सफलता की शुरुआत हुई, जो अभी तक जारी है.
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