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माध्यमिक शिक्षा परिषद की नाकामी: कोरोना काल के बाद से नहीं छपीं कक्षा 6 से 12 तक की उर्दू की किताबें - UP Secondary Education Department - UP SECONDARY EDUCATION DEPARTMENT

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UP Secondary Education Department) की बड़ी लापरवाही सामने आई है. कक्षा छह से 12 तक के बच्चों को पढ़ाई जाने वाली उर्दू की नई किताबें कोरोना काल के बाद से आजतक नहीं छपवाई जा सकी हैं. इससे एनसीईआरटी की ई-बुक व पीडीएफ से पढ़ाई कराई जा रही है.

उर्दू की किताबें नहीं छपवा पा रहा माध्यमिक शिक्षा विभाग.
उर्दू की किताबें नहीं छपवा पा रहा माध्यमिक शिक्षा विभाग. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 29, 2024, 7:44 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग कोरोना काल के बाद से कक्षा छह से 12वीं तक के छात्रों को पढ़ाई जाने वाली उर्दू की किताबें नहीं छपवा सका है. इसके चलते छात्र परेशान हैं. वहीं शिक्षक एनसीईआरटी की ई-बुक व पीडीएफ से पढ़ाई कराने को मजूबर हैं. इस बाबत लखनऊ समेत कई इंटर काॅलेजों के प्रिंसिपल ने पत्राचार किया है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.

लखनऊ के इस्लामिया इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल जमाल मोहम्मद ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग से किताबें हासिल करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उर्दू सहित कई कोर्स की किताबें नहीं मिलने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. लखनऊ के सनी इंटर कॉलेज के मैनेजर साद सिद्दीकी ने बताया कि कक्षा 6 से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं की किताबें अबतक नहीं मिली हैं. ऐसे में पढ़ाई कराने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.



बांदा जिले के वीआईपी इंटर कॉलेज की छात्रा लाइबा रहमान ने ईटीवी भारत से बताया कि कक्षा में सिर्फ एक या दो छात्रों को ही किताबें मिली हैं. ये किताबें भी बड़ी मशक्कत के बाद लखनऊ और कानपुर से मिली हैं. इसके अलावा उर्दू के छात्रों को किताबें नहीं मिली हैं. इसी कारण पढ़ाई चौपट हो रही है. कई बार बिना पढ़े ही परीक्षा देनी पड़ी. ऐसे में काफी कम नंबर मिले. यह समस्या कॉलेज के सभी छात्र-छात्राओं की है.


बांदा के रहने वाले शफाअत हुसैन ने बताया कि हमारी दो लड़कियां, अर्शी और अल्बिया वीआईपी इंटर कॉलेज में पढ़ती हैं. अबी तक यूपी बोर्ड की उर्दू की किताबें उन्हें नहीं मिली हैं. टीचर्स जो नोट्स बनाकर देते हैं, उसी से तैयारी करके परीक्षा देती हैं. किताबें न होने का असर उनके परीक्षा परिणाम पर भी पड़ रहा है. पहले कॉलेज बच्चों को किताबें उपलब्ध कराता था, लेकिन अब बोर्ड की उर्दू की किताबें न तो कॉलेज दे रहा है और न ही बाजार में उपलब्ध हैं.



माध्यमिक शिक्षा परिषद के निदेशक डाॅ. महेंद्र देव ने बताया कि कोरोना काल के बाद से एनसीईआरटी ने किताबें प्रकाशित कराने का अधिकार ले लिया है. हम जीएसटी और अन्य दस्तावेजों को पब्लिशर्स को नहीं दे पा रहे हैं. यही वजह है कि हमारा और एनसीईआरटी का विवाद चल रहा है. इस कारण से हम किताबें छपवा कर सस्ती कीमतों पर छात्रों को उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. यह समस्या सिर्फ उर्दू के साथ नहीं है, बल्कि सभी कक्षाओं की किताबों के साथ है. यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राएं एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई कर रहे हैं या ई-बुक के जरिए शिक्षा जारी रखे हुए हैं.

यह भी पढ़ें : वाराणसी : बढ़ रही है उर्दू कविता की लोकप्रियता

यह भी पढ़ें : जौनपुर: स्कूलों में उर्दू की किताबें नदारद, कैसे होगी पढ़ाई

लखनऊ : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग कोरोना काल के बाद से कक्षा छह से 12वीं तक के छात्रों को पढ़ाई जाने वाली उर्दू की किताबें नहीं छपवा सका है. इसके चलते छात्र परेशान हैं. वहीं शिक्षक एनसीईआरटी की ई-बुक व पीडीएफ से पढ़ाई कराने को मजूबर हैं. इस बाबत लखनऊ समेत कई इंटर काॅलेजों के प्रिंसिपल ने पत्राचार किया है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.

लखनऊ के इस्लामिया इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल जमाल मोहम्मद ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग से किताबें हासिल करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उर्दू सहित कई कोर्स की किताबें नहीं मिलने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. लखनऊ के सनी इंटर कॉलेज के मैनेजर साद सिद्दीकी ने बताया कि कक्षा 6 से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं की किताबें अबतक नहीं मिली हैं. ऐसे में पढ़ाई कराने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.



बांदा जिले के वीआईपी इंटर कॉलेज की छात्रा लाइबा रहमान ने ईटीवी भारत से बताया कि कक्षा में सिर्फ एक या दो छात्रों को ही किताबें मिली हैं. ये किताबें भी बड़ी मशक्कत के बाद लखनऊ और कानपुर से मिली हैं. इसके अलावा उर्दू के छात्रों को किताबें नहीं मिली हैं. इसी कारण पढ़ाई चौपट हो रही है. कई बार बिना पढ़े ही परीक्षा देनी पड़ी. ऐसे में काफी कम नंबर मिले. यह समस्या कॉलेज के सभी छात्र-छात्राओं की है.


बांदा के रहने वाले शफाअत हुसैन ने बताया कि हमारी दो लड़कियां, अर्शी और अल्बिया वीआईपी इंटर कॉलेज में पढ़ती हैं. अबी तक यूपी बोर्ड की उर्दू की किताबें उन्हें नहीं मिली हैं. टीचर्स जो नोट्स बनाकर देते हैं, उसी से तैयारी करके परीक्षा देती हैं. किताबें न होने का असर उनके परीक्षा परिणाम पर भी पड़ रहा है. पहले कॉलेज बच्चों को किताबें उपलब्ध कराता था, लेकिन अब बोर्ड की उर्दू की किताबें न तो कॉलेज दे रहा है और न ही बाजार में उपलब्ध हैं.



माध्यमिक शिक्षा परिषद के निदेशक डाॅ. महेंद्र देव ने बताया कि कोरोना काल के बाद से एनसीईआरटी ने किताबें प्रकाशित कराने का अधिकार ले लिया है. हम जीएसटी और अन्य दस्तावेजों को पब्लिशर्स को नहीं दे पा रहे हैं. यही वजह है कि हमारा और एनसीईआरटी का विवाद चल रहा है. इस कारण से हम किताबें छपवा कर सस्ती कीमतों पर छात्रों को उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. यह समस्या सिर्फ उर्दू के साथ नहीं है, बल्कि सभी कक्षाओं की किताबों के साथ है. यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राएं एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाई कर रहे हैं या ई-बुक के जरिए शिक्षा जारी रखे हुए हैं.

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