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Sexually Transmitted Diseases; शिक्षा के अभाव में बड़ी संख्या में बीमार हो रहीं महिलाएं - Lack of sex education

यौन संचारित रोगों (Sexually Transmitted Diseases) का सबसे बड़ा कारण सेक्स एजुकेशन का अभाव है. विशेषज्ञों के अनुसार यही वजह है कि सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से पीड़ित महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है.

सेक्स एजुकेशन अभाव के दुष्प्रभाव की जानकारी साझा करतीं विशेषज्ञ,
सेक्स एजुकेशन अभाव के दुष्प्रभाव की जानकारी साझा करतीं विशेषज्ञ, (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 16, 2024, 7:18 PM IST

सेक्स एजुकेशन पर लखनऊ संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit : ETV Bharat)

लखनऊ : आज भी हमारे समाज में सेक्स एजुकेशन की बेहद कमी है. लोग अपने पार्टनर से खुलकर बात नहीं करते हैं. ऐसे में अक्सर महिलाओं को दिक्कतों का सामना ज्यादा करना पड़ता है. यौन समस्याओं को महिलाएं झेलती रहती हैं. ऐसे में सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से पीड़ित महिलाओं की संख्या काफी बढ़ गई है. मौजूद समय अस्पतालों आने वालों में ऐसी ही महिलाओं की संख्या ज्यादा है.



सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज या इंफेक्शन (एसटीआई) काउंसलर मीना कुमारी ने बताया कि वर्तमान समय में सेक्स एजुकेशन बहुत जरूरी है. अगर लोग जागरूक रहेंगे तो बीमारियों से बचे रहेंगे. आज के समय इंटरनेट की सुविधा है, हर किसी के हाथ में एंड्रॉयड फोन है. आसानी से सारी चीज उपलब्ध हैं. लोगों को जानना जरूरी है कि इंटरनेट पर उपलब्ध हर चीज सच नहीं होती है. आधी अधूरी जानकारी लेना खतरानाक है. ऐसे में विशेषज्ञ की बात करें. इसके बाद ही किसी तरह दवाएं या उपचार अमल में लाएं.



फ्लेवर्ड कंडोम बेहद खतरनाक : काउंसलर मीना कुमारी ने बताया कि बाजार में बिकने वाले फ्लेवर्ड कंडोम वैजाइना सेक्स के लिए नहीं होते हैं. ये सिर्फ ओरल सेक्स के लिए होते हैं. हालांकि अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. फ्लेवर्ड कंडोम में फ्लेवर्ड कलर केमिकल और शुगर के साथ अन्य तत्व भी मिले होते हैं जो महिला के लिए नुकसानदायक होते हैं. इंटरकोर्स के दौरान यही रासायनिक तत्व महिला के वैजाइना में रह जाते हैं जो इंटरनल पार्ट इंफेक्शन, व्हाइट डिस्चार्ज, दाने, खुजली जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं. कई मामलों में इनकी वजह से महिलाओं को उच्च स्तरीय यूटीआई की समस्या हो जाती है.


इलाज में देरी से बिगड़ जाते हैं केस : मीना कुमारी ने बताया कि सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन केंद्र में अक्सर महिलाएं केस बिगड़ने की स्थिति में पहुंचती हैं. यहां आने वाले मरीज बीत 7-8 साल से परेशानी की शिकायत लेकर आते हैं. कई मरीजों को ऐसी समस्या मल्टीपल पार्टनर के साथ सेक्सुअल कनेक्ट होने की वजह से होती है.


सिविल अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीता नेगी के सेक्स एजुकेशन न होने से समाज में कई तरह की गंभीर घटनाएं भी होती हैं. नाबालिग हो या बालिग सभी के लिए सेक्स एजुकेशन बेहद जरूरी है. फिलवक्त बहुत सारी महिलाएं इलाज करने के लिए आती हैं. इनमें कई अनमैरिड भी होती हैं. यहां भी महिलाएं खुलकर अपनी बातें साझा नहीं करतीं. इससे उचित इलाज नहीं हो पाता है. फिलहाल हमें स्कूलों से सेक्स एजुकेशन की पहल करनी चाहिए. कैंपेन चला कर बच्चों के साथ बड़ों को भी जागरूक किया जाना चाहिए.

यह भी पढ़ें : chhatriwali Actress Rakul Preet Singh: रकुल प्रीत बोली, हम सेक्स एजुकेशन क्लास में हंसते और शर्माते थे

यह भी पढ़ें : नेटफ्लिक्स सीरीज 'सेक्स एजुकेशन' स्कूलों के मुकाबले बेहतर शिक्षा दे रही

सेक्स एजुकेशन पर लखनऊ संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit : ETV Bharat)

लखनऊ : आज भी हमारे समाज में सेक्स एजुकेशन की बेहद कमी है. लोग अपने पार्टनर से खुलकर बात नहीं करते हैं. ऐसे में अक्सर महिलाओं को दिक्कतों का सामना ज्यादा करना पड़ता है. यौन समस्याओं को महिलाएं झेलती रहती हैं. ऐसे में सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज से पीड़ित महिलाओं की संख्या काफी बढ़ गई है. मौजूद समय अस्पतालों आने वालों में ऐसी ही महिलाओं की संख्या ज्यादा है.



सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज या इंफेक्शन (एसटीआई) काउंसलर मीना कुमारी ने बताया कि वर्तमान समय में सेक्स एजुकेशन बहुत जरूरी है. अगर लोग जागरूक रहेंगे तो बीमारियों से बचे रहेंगे. आज के समय इंटरनेट की सुविधा है, हर किसी के हाथ में एंड्रॉयड फोन है. आसानी से सारी चीज उपलब्ध हैं. लोगों को जानना जरूरी है कि इंटरनेट पर उपलब्ध हर चीज सच नहीं होती है. आधी अधूरी जानकारी लेना खतरानाक है. ऐसे में विशेषज्ञ की बात करें. इसके बाद ही किसी तरह दवाएं या उपचार अमल में लाएं.



फ्लेवर्ड कंडोम बेहद खतरनाक : काउंसलर मीना कुमारी ने बताया कि बाजार में बिकने वाले फ्लेवर्ड कंडोम वैजाइना सेक्स के लिए नहीं होते हैं. ये सिर्फ ओरल सेक्स के लिए होते हैं. हालांकि अधिकतर लोगों को इसकी जानकारी नहीं है. फ्लेवर्ड कंडोम में फ्लेवर्ड कलर केमिकल और शुगर के साथ अन्य तत्व भी मिले होते हैं जो महिला के लिए नुकसानदायक होते हैं. इंटरकोर्स के दौरान यही रासायनिक तत्व महिला के वैजाइना में रह जाते हैं जो इंटरनल पार्ट इंफेक्शन, व्हाइट डिस्चार्ज, दाने, खुजली जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं. कई मामलों में इनकी वजह से महिलाओं को उच्च स्तरीय यूटीआई की समस्या हो जाती है.


इलाज में देरी से बिगड़ जाते हैं केस : मीना कुमारी ने बताया कि सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इनफेक्शन केंद्र में अक्सर महिलाएं केस बिगड़ने की स्थिति में पहुंचती हैं. यहां आने वाले मरीज बीत 7-8 साल से परेशानी की शिकायत लेकर आते हैं. कई मरीजों को ऐसी समस्या मल्टीपल पार्टनर के साथ सेक्सुअल कनेक्ट होने की वजह से होती है.


सिविल अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीता नेगी के सेक्स एजुकेशन न होने से समाज में कई तरह की गंभीर घटनाएं भी होती हैं. नाबालिग हो या बालिग सभी के लिए सेक्स एजुकेशन बेहद जरूरी है. फिलवक्त बहुत सारी महिलाएं इलाज करने के लिए आती हैं. इनमें कई अनमैरिड भी होती हैं. यहां भी महिलाएं खुलकर अपनी बातें साझा नहीं करतीं. इससे उचित इलाज नहीं हो पाता है. फिलहाल हमें स्कूलों से सेक्स एजुकेशन की पहल करनी चाहिए. कैंपेन चला कर बच्चों के साथ बड़ों को भी जागरूक किया जाना चाहिए.

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