लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बीएड की ढाई लाख से अधिक सीटों में करीब 1.15 लाख सीटें इस बार खाली रह जाएंगी. ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालय में बीएड की सीटें खाली रहने से करोड़ों का नुकसान होगा. उत्तर प्रदेश के सभी बीएड कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा में मात्र एक लाख 35 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे जो बीएड कॉलेजों की कुल सीटों के लगभग आधा है. ऐसे में चौथे चरण में सीधे प्रवेश की प्रक्रिया आयोजित होने के बाद भी सीटों को भर पाने में बीएड कॉलेजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
20 सितंबर को आयोजित की गई थी तीसरे चरण की काउंसलिंग : वहीं संयुक्त प्रवेश परीक्षा बीएड की जिम्मेदारी संभाल रही बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी (झांसी) प्रदेश के अल्पसंख्यक कॉलेज के मैनेजमेंट कोटे की सीटों पर प्रवेश के लिए 9 अक्टूबर से काउंसलिंग कराने की तैयारी कर रही है. बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन इसी साल 9 जून को आयोजित हुआ था, जबकि इसका परिणाम 25 जून को जारी किया गया था, वहीं बीएड में प्रवेश के लिए काउंसलिंग का पहला चरण 13 अगस्त से, जबकि दूसरे चरण की काउंसलिंग 2 सितंबर से शुरू हुई थी. वहीं तीसरे चरण की काउंसलिंग 20 सितंबर से आयोजित की गई थी.
बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 के बीएड कोर्स में प्रवेश के लिए 193200 से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जबकि प्रवेश परीक्षा में केवल 135000 अभ्यर्थी शामिल हुए थे. उन्होंने बताया कि यह आवेदन बीएड की कुल निर्धारित ढाई लाख सीटों की तुलना में आधी थीं. ऐसे में चार राउंड की काउंसलिंग के बाद भी बीएड की सीटें भर पाना संभव नहीं है.
बीएड के चौथे चरण की काउंसलिंग प्रक्रिया जारी : प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि मौजूदा समय में बीएड के चौथे चरण की काउंसलिंग प्रक्रिया चल रही है, जिसमें सभी बीएड कॉलेजों को सीधे प्रवेश के माध्यम से अपनी सीटें भरने को कहा गया है. प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के नियम के अनुसार, संयुक्त प्रवेश परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों को ही जिन्हें काउंसलिंग के माध्यम से कोई सीट अलॉट न हुई हो, उन्हें सीधे प्रवेश लेने का मौका दिया जाता है. उन्होंने बताया कि 9 अक्टूबर से अल्पसंख्यक कॉलेज की सीटों को भरने के लिए काउंसलिंग आयोजित की जाएगी.
लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ मनोज पांडे ने बताया कि कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा 1 से लेकर 5 तक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के नियम को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया था. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में बीटीसी करने वाले अभ्यर्थियों को ही नौकरी पाने का हकदार बताया था, जबकि बीएड करने वालों को इन कक्षा में पढ़ाने के लिए शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया में नहीं शामिल करने का आदेश दिया है. बीएड डिग्री धारकों को कक्षा 6 से ऊपर के कक्षा में पढ़ाने की योग्यता निर्धारित की थी.
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद की नौकरियां न आने का असर इस बार के बीएड प्रवेश परीक्षा पर साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां बीटीसी आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या में इस साल बहुत तेजी से बढ़ोतरी देखी गई, वहीं बीएड में प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों की संख्या एकदम से आधी हो गई.
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव विद्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि बीते वर्षों की तुलना में इस बार लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध बीएड कॉलेजों की आधी सीटें भी नहीं भर पाई हैं. ज्ञात हो कि लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा 3 साल पहले बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन कराया गया था, जिसमें करीब 3 लाख से अधिक बीएड अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था.
यह भी पढ़ें : बुंदेलखंड विवि में बीएड की काउंसलिंग आज से शुरू, आखिरी चरण 5 अक्टूबर तक चलेगा, इन छात्रों को मिलेगा पहला मौका - Bundelkhand University