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बिजली विभाग का निजीकरण; आंदोलन रोकने के लिए UPPCL ने रद्द कर दीं बिजलीकर्मियों की छुट्टियां - ELECTRICITY WORKERS STRIKE

Electricity Workers Strike : उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने पूर्वाचल और दक्षिणांचल के निजीकरण का खाका किया तैयार.

बिजली कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द.
बिजली कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 7, 2024, 1:29 PM IST

लखनऊ : पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण को लेकर बिजली कर्मचारी संगठनों में जबरदस्त नाराजगी है. बिजलीकर्मी सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. कर्मचारी बिजली आपूर्ति व्यवस्था में रुकावट न बनें, इसके लिए पावर कारपोरेशन ने भी तैयारी की है. इसी क्रम में यूपीपीसीएल ने बिजलीकर्मियों की छुट्टियां निरस्त कर दी हैं.

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने सभी बिजलीकर्मियों की छुट्टियां निरस्त कर दी हैं. इसके पीछे वजह है कि दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है. ऐसे में बिजलीकर्मियों के आंदोलन की आशंका है. प्रबंधन ने बिजली आपूर्ति व्यवस्था को बाधित नहीं होने देने के लिए बड़े स्तर पर इंतजाम किए हैं. जगह-जगह कंट्रोल रूम बनाए गए हैं और ट्रांसमिशन के सभी स्टेशनों पर भी ड्यूटी लगाई गई है.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने 6 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था, लेकिन छह दिसंबर की तारीख को संवेदनशील मानते हुए 7 दिसंबर से आंदोलन करने का फैसला लिया गया है. इसके तहत प्रदेश की सभी परियोजनाओं पर कर्मचारी प्रदर्शन करेंगे. यही वजह है कि अभी से पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने सभी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं.

बता दें, पूर्वाचल और दक्षिणांचल में निजीकरण का मसौदा उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने तैयार कर लिया है. बिजली संगठन लगातार इसके विरोध में सभा कर रहे हैं. मंत्रियों से मुलाकात कर निजीकरण न करने का अनुरोध किया जा रहा है. देश भर के 11 राज्यों के अभियंता संघ अब तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर निजीकरण न करने का अनुरोध कर चुके हैं.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि निजीकरण से कर्मचारियों का आरक्षण खत्म हो जाएगा. बड़े स्तर पर छंटनी होगी. इससे कर्मचारियों का नुकसान होगा. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि हमें किसी भी कीमत पर निजीकरण मंजूर नहीं है. पावर कारपोरेशन झूठे आंकड़े पेश कर रहा है. सच यह है कि निजीकरण का कोई लाभ आम उपभोक्ताओं को नहीं होने वाला है. इससे नुकसान ज्यादा है. हम इसका हर कीमत पर विरोध करेंगे.

यह भी पढ़ें : बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ अभियंता करेंगे जन जागरण, वाराणसी से होगी शुरुआत

यह भी पढ़ें : लखनऊ: बिजली विभाग के निजीकरण का फैसला तीन माह तक टला

लखनऊ : पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण को लेकर बिजली कर्मचारी संगठनों में जबरदस्त नाराजगी है. बिजलीकर्मी सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं. कर्मचारी बिजली आपूर्ति व्यवस्था में रुकावट न बनें, इसके लिए पावर कारपोरेशन ने भी तैयारी की है. इसी क्रम में यूपीपीसीएल ने बिजलीकर्मियों की छुट्टियां निरस्त कर दी हैं.

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने सभी बिजलीकर्मियों की छुट्टियां निरस्त कर दी हैं. इसके पीछे वजह है कि दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है. ऐसे में बिजलीकर्मियों के आंदोलन की आशंका है. प्रबंधन ने बिजली आपूर्ति व्यवस्था को बाधित नहीं होने देने के लिए बड़े स्तर पर इंतजाम किए हैं. जगह-जगह कंट्रोल रूम बनाए गए हैं और ट्रांसमिशन के सभी स्टेशनों पर भी ड्यूटी लगाई गई है.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने 6 दिसंबर को विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था, लेकिन छह दिसंबर की तारीख को संवेदनशील मानते हुए 7 दिसंबर से आंदोलन करने का फैसला लिया गया है. इसके तहत प्रदेश की सभी परियोजनाओं पर कर्मचारी प्रदर्शन करेंगे. यही वजह है कि अभी से पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने सभी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं.

बता दें, पूर्वाचल और दक्षिणांचल में निजीकरण का मसौदा उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन ने तैयार कर लिया है. बिजली संगठन लगातार इसके विरोध में सभा कर रहे हैं. मंत्रियों से मुलाकात कर निजीकरण न करने का अनुरोध किया जा रहा है. देश भर के 11 राज्यों के अभियंता संघ अब तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर निजीकरण न करने का अनुरोध कर चुके हैं.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि निजीकरण से कर्मचारियों का आरक्षण खत्म हो जाएगा. बड़े स्तर पर छंटनी होगी. इससे कर्मचारियों का नुकसान होगा. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि हमें किसी भी कीमत पर निजीकरण मंजूर नहीं है. पावर कारपोरेशन झूठे आंकड़े पेश कर रहा है. सच यह है कि निजीकरण का कोई लाभ आम उपभोक्ताओं को नहीं होने वाला है. इससे नुकसान ज्यादा है. हम इसका हर कीमत पर विरोध करेंगे.

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