लखनऊ: यदि एक अच्छे गुरु का साथ मिले तो सही मार्गदर्शन से आप हर उस क्षेत्र में सफलता पा सकते हैं, जहां आप पहुंचने की ख्वाहिश रखते हो. मैनपुरी के सिविल जज मुहम्मद मोनू का इसी साल न्यायिक सेवा में चयन हुआ. लेकिन, उसका ये सफर इतना आसान नहीं था. उन्हें यहां तक पहुंचने के लिए काफी कठनाईयों का सामना करना पड़ा. लेकिन उनके गुरु के मार्गदर्शन से उनका रास्ता आसान होता गया. अपने स्कूल शिक्षक की मदद से उन्होंने आज सफलता के इस शिखर को हासिल किया है. उनके गुरु ने सिर्फ उनका मार्गदर्शन ही नहीं किया, बल्कि उनकी शिक्षा का पूरा जिम्मा भी उठाया.
ऐसे तय किया सफर: जज मुहम्मद मोनू ने सरकारी खर्च पर लखनऊ के नवोदय विद्यालय से 2013 में बारहवीं पास की. पिता किसान थे, इसलिए आगे पढ़ाई का खर्च उठा पाना मुश्किल था. ऐसे में स्कूल के ही एक शिक्षक डॉ. मुहम्मद ताहिर ने मोनू को पढ़ाने का फैसला किया. उसका दाखिला शकुंतला विवि के लॉ में कराया. इसके बाद बैंगलौर से एलएलएम कराया और अब मोनू सिविल जज है. मोनू की तरह कई ऐसे छात्र है, जिनकी सफलता के पीछे नवोदय विद्यालय के डॉ. ताहिर का हाथ है.
अब तक 20 बच्चों को ले चुके है गोद: डॉ. ताहिर नवोदय विद्यालय में शिक्षक हैं. वो हर साल कॉलेज के ऐसे मेधावी छात्रों की पढ़ाई का जिम्मा उठाते है, जिनके पास उच्च शिक्षा के लिए पैसे नहीं है. कॉलेज और विश्वविद्यालय में दाखिला कराने से लेकर उनके अन्य खर्च उठाने तक में उनकी सहायता करते हैं. डॉ ताहिर ने बताया, कि शादी, मृत्यु, बर्थडे और घर के कई आयोजनों पर लोग हजारों रुपये खर्च करते हैं. लेकिन, हमने तय किया इन पर फिजूलखर्ची की जगह ये पैसा जरूरतमंद, मेधावियों की पढ़ाई पर खर्च करेंगें. शुरुआत हर साल एक बच्चे को गोद लेने से हुई थी. दस साल हो चुके हैं, अब तक लगभग बीस बच्चों की वह जिम्मेदारी उठा चुके हैं. अपने खर्च के अलावा कुछ लोग अगर खुद इच्छा जाहिर करते हैं, उनसे भी वह छात्रों की फीस जमा करवाना या अन्य मदद करवाते हैं.
मदद का एक ईको सिस्टम तैयार करना है: डॉ. ताहिर ने बताया, हमने जिनकी पढ़ाई का खर्च उठाया उसमें से तीन को अब जॉब मिल गई है. अब मैंने उनसे भी कहा है, कि अब तुम लोग एक एक बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाओ. ऐसे ही मेरे पढ़ाए बच्चे जैसे जैसे जीवन में सफल होते हैं, वैसे वैसे एक ईको सिस्टम तैयार हो जाएगा. मेरा लक्ष्य है, कि नवोदय में आने वाले हर बच्चे जो आर्थिक रूप से कमजोर है, उन्हें उच्च शिक्षक के लिए आर्थिक तंगी से न जूझना पड़े. हर बच्चे की उच्च शिक्षा मिल सके, जिसके लिए मदद का एक पूरा परिवार मैं बनाना चाहता हूं. जिसकी शुरुआत हो गई है.
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