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एनएचएम ने 10 साल बाद बिना नोटिस नर्स मेंटर को नौकरी से किया बाहर, कई बेरोजगार, लखनऊ में धरना - National Health Mission

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) के तहत नियुक्त नर्स मेंटर को विभाग ने फंड की कमी का हवाला देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इसके बाद बेरोजगार हुए नर्स मेंटर लखनऊ में एनएचएम मुख्यालय पर धरना दे रहे हैं.

लखनऊ में धरना प्रदर्शन करतीं नर्स मेंटर.
लखनऊ में धरना प्रदर्शन करतीं नर्स मेंटर. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 20, 2024, 10:13 AM IST

विभिन्न जिलों से लखनऊ पहुंचीं नर्स मेंटर की आपबीती. (Video Credit : ETV Bharat)

लखनऊ : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश में 36 नर्स मेंटर को नियुक्ति दी गई थी. यह नियुक्ति इन्हें आज से 10 वर्ष पहले मिली थी. इन्हें सरकारी अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्त किया गया था. इनका काम था कि जिस जगह पर गर्भवतियों का प्रसव होता है उसका पूरा मैनेजमेंट संभालना, लेकिन बिना बताए तीन दिन के भीतर इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. एनएचएम का कहना है कि सरकार के पास इसके लिए फंड नहीं है. बहरहाल बीते 10 साल मरीजों की सेवा में लगीं नर्स मेंटर अब बेरोजगार हो गईं हैं. नर्स मेंटर कोविड कर्मचारियों की तरह समायोजित करने की मांग कर रहीं हैं.

बदायूं से लखनऊ पहुंचीं विनीता पाल का कहना है कि बीते छह महीने से हम बेरोजगार बैठे हैं. 10 साल तक हमने स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दीं, लेकिन उसके बदले हमें बेरोजगार कर दिया गया है. कोई भी अधिकारी हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है. मंत्रियों से मिलने की कोशिश करते हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता है. परेशान होकर हमने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय का घेराव किया. विनीता ने बताया कि बीते बुधवार को एनएचएम कार्यालय में अधिकारी ने सभी को डांट कर भगा दिया. इसके बाद गुरुवार से शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन शुरू किया है.

सोनभद्र से पहुंचीं वसुंधरा त्रिपाठी ने कहा कि आज हम सड़क पर खड़े हैं. यह एनएचएम की ही देन है. हमने 10 वर्षों तक मरीजों की सेवा की. हमें जो जिम्मेदारी दी गई हमने उसका निर्वहन पूरी निष्ठा से किया, लेकिन आज हमारे साथ दोहरा व्यवहार किया जा रहा है. प्रदेशभर में हम जितने भी नर्स मेंटर हैं, सभी को कार्यविहीन कर दिया गया है. वह भी बिना समय दिए. तीन दिन में नोटिस दिया गया और तुरंत ही निकाल दिया गया. हमारा घर परिवार इसी आजीविका पर आश्रित था. घर की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है. इसी तनख्वाह से हमारा घर चला था, लेकिन पिछले छह महीने से घर की स्थिति काफी खराब है.

उमा मिश्रा ने कहा कि हम सभी पढ़े लिखे हैं. हमने बीएससी नर्सिंग का कोर्स किया है और उसके बाद हमारे पास पिछले 10 से 15 वर्ष का अनुभव भी है. बीते 10 वर्ष से हम एनएचएम के द्वारा दी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे. बहरहाल अब हम अपने घरों से दूर यहां सड़क पर बैठे हैं. पिछले 6 महीने से हम बेरोजगार हैं. हमने कई जगह लिखित पत्र भेजा. उपमुख्यमंत्री से मुलाकात की राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक से हमने मुलाकात की, लेकिन आश्वासन के अलावा हमें कुछ नहीं मिला. एनएचएम अधिकारियों का कहना है कि सरकार के पास इस योजना के लिए अब फंड नहीं है.

गोरखपुर की स्नेहलता का कहना है कि हम अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर के यहां पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इसलिए क्योंकि हम महिला हैं. हमारी आवाज ऊपर तक नहीं जा पा रही है. जो लोग हमारी आवाज सुन भी रहे हैं. वह भी इस पर कोई जवाब नहीं देते. इसी नौकरी से हमारा पूरा परिवार चल रहा था, लेकिन नौकरी जाने के बाद घर की स्थिति भी बिगड़ गई है. जिसके कारण मजबूर होकर हम सभी यहां पर आए हैं. जब तक हमारी मांगों को पूरी नहीं की जाती हैं तब तक हम शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन करते रहेंगे.

यह भी पढ़ें : 12 हजार से अधिक सीएचओ ने एनएचएम दफ्तर का किया घेराव, रखी प्रमुख मांगें - CHO protest lucknow

यह भी पढ़ें : अपनी मांगों को लेकर एनएचएम कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करेंगे सीएचओ

विभिन्न जिलों से लखनऊ पहुंचीं नर्स मेंटर की आपबीती. (Video Credit : ETV Bharat)

लखनऊ : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश में 36 नर्स मेंटर को नियुक्ति दी गई थी. यह नियुक्ति इन्हें आज से 10 वर्ष पहले मिली थी. इन्हें सरकारी अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्त किया गया था. इनका काम था कि जिस जगह पर गर्भवतियों का प्रसव होता है उसका पूरा मैनेजमेंट संभालना, लेकिन बिना बताए तीन दिन के भीतर इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. एनएचएम का कहना है कि सरकार के पास इसके लिए फंड नहीं है. बहरहाल बीते 10 साल मरीजों की सेवा में लगीं नर्स मेंटर अब बेरोजगार हो गईं हैं. नर्स मेंटर कोविड कर्मचारियों की तरह समायोजित करने की मांग कर रहीं हैं.

बदायूं से लखनऊ पहुंचीं विनीता पाल का कहना है कि बीते छह महीने से हम बेरोजगार बैठे हैं. 10 साल तक हमने स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दीं, लेकिन उसके बदले हमें बेरोजगार कर दिया गया है. कोई भी अधिकारी हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है. मंत्रियों से मिलने की कोशिश करते हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता है. परेशान होकर हमने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय का घेराव किया. विनीता ने बताया कि बीते बुधवार को एनएचएम कार्यालय में अधिकारी ने सभी को डांट कर भगा दिया. इसके बाद गुरुवार से शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन शुरू किया है.

सोनभद्र से पहुंचीं वसुंधरा त्रिपाठी ने कहा कि आज हम सड़क पर खड़े हैं. यह एनएचएम की ही देन है. हमने 10 वर्षों तक मरीजों की सेवा की. हमें जो जिम्मेदारी दी गई हमने उसका निर्वहन पूरी निष्ठा से किया, लेकिन आज हमारे साथ दोहरा व्यवहार किया जा रहा है. प्रदेशभर में हम जितने भी नर्स मेंटर हैं, सभी को कार्यविहीन कर दिया गया है. वह भी बिना समय दिए. तीन दिन में नोटिस दिया गया और तुरंत ही निकाल दिया गया. हमारा घर परिवार इसी आजीविका पर आश्रित था. घर की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है. इसी तनख्वाह से हमारा घर चला था, लेकिन पिछले छह महीने से घर की स्थिति काफी खराब है.

उमा मिश्रा ने कहा कि हम सभी पढ़े लिखे हैं. हमने बीएससी नर्सिंग का कोर्स किया है और उसके बाद हमारे पास पिछले 10 से 15 वर्ष का अनुभव भी है. बीते 10 वर्ष से हम एनएचएम के द्वारा दी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे थे. बहरहाल अब हम अपने घरों से दूर यहां सड़क पर बैठे हैं. पिछले 6 महीने से हम बेरोजगार हैं. हमने कई जगह लिखित पत्र भेजा. उपमुख्यमंत्री से मुलाकात की राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक से हमने मुलाकात की, लेकिन आश्वासन के अलावा हमें कुछ नहीं मिला. एनएचएम अधिकारियों का कहना है कि सरकार के पास इस योजना के लिए अब फंड नहीं है.

गोरखपुर की स्नेहलता का कहना है कि हम अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर के यहां पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इसलिए क्योंकि हम महिला हैं. हमारी आवाज ऊपर तक नहीं जा पा रही है. जो लोग हमारी आवाज सुन भी रहे हैं. वह भी इस पर कोई जवाब नहीं देते. इसी नौकरी से हमारा पूरा परिवार चल रहा था, लेकिन नौकरी जाने के बाद घर की स्थिति भी बिगड़ गई है. जिसके कारण मजबूर होकर हम सभी यहां पर आए हैं. जब तक हमारी मांगों को पूरी नहीं की जाती हैं तब तक हम शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन करते रहेंगे.

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