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एडवांस रिजर्वेशन पीरियड में बदलाव, अब ट्रेनों में 60 दिन पहले हो पाएगी टिकट बुकिंग

Train Ticket booking rules changed: रेलवे ने किया एडवांस रिजर्वेशन पीरियड में बदलाव.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

टिकटों के एडवांस रिजर्वेशन पीरियड में बदलाव.
टिकटों के एडवांस रिजर्वेशन पीरियड में बदलाव. (Photo Credit: ETV Bharat)

लखनऊ : रेलवे ने यात्रियों के लिए पहली नवंबर से पैसेंजर ट्रेनों में एडवांस टिकट बुकिंग की अवधि कम कर दी है. अब यात्री ट्रेनों में दो माह पहले से एडवांस बुकिंग करा सकेंगे. जबकि अभी तक यह समय चार माह का था. हालांकि, विदेशी नागरिकों के लिए 365 दिन पहले टिकट बुकिंग की सुविधा अब भी जारी रहेगी. रेलवे के इस कदम से यात्रियों का फायदा होगा, जबकि दलालों को नुकसान उठाना पड़ेगा.

रेलवे प्रशासन की तरफ से यात्रियों को ट्रेनों में एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (एआरपी) दिया जाता है. जिसके खुलने पर यात्री अपने प्लाॅन के मुताबिक टिकटों की बुकिंग करवा लेते हैं. समय-समय पर यात्रियों की सुविधा के अनुसार एआरपी में बदलाव किए जाते रहे हैं. अब रेलवे बोर्ड ने एआरपी को घटा दिया है. पहले यह चार माह यानी 120 दिन का होता था, जिसे घटाकर अब 60 दिन कर दिया गया है. एआरपी घटाने से यात्रियों को बड़ी सहूलियत मिल जाएगी.

रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर पैसेंजर मार्केटिंग संजय मनोचा ने इस बाबत आदेश जारी किया है. पहली नवंबर से एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (एआरपी) घटाया जाएगा और ट्रेनों में टिकटों की एडवांस बुकिंग 60 ‌दिन पहले की जा सकेगी. उन्होंने बताया कि साल 1981 से 1985 तक एआरपी 120 दिन थी. इसके बाद 1988 तक 90 दिन, फिर 1993 तक 60 दिन रही. 1995 में 45 दिन, 1998 तक 30 दिन, 2007 तक 90 दिन, 2008 तक 60 दिन, 2012 तक 90 दिन, 2013 तक 120 ‌दिन, साल 2015 तक 60 और वर्ष 2024 तक 120 दिन रही.

दलालों पर लगेगा अंकुश : एआरपी घटा देने से दलालों पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी. रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक चार माह का एआरपी होने पर दलाल अधिकतर टिकटों की एडवांस बुकिंग कर लेते थे. जिसे मनमानी दरों पर यात्रियों को बेचा जाता था. अब दो माह हो जाने से इस पर नियंत्रण स्थापित होगा और यात्रियों के लिए टिकट बुकिंग आसान होगी. दलाल टिकटों की ब्लॉकिंग नहीं कर सकेंगे. मनमाने दामों पर सीट नहीं बेच सकेंगे.


रेलवे को होगी हानि यात्रियों को मिलेगा लाभ : एडवांस रिजर्वेशन पीरिएड चार माह के स्थान पर दो माह होने से यात्रियों को भले ही लाभ हो, लेकिन रेलवे का नुकसान होगा. अभी चार माह पहले टिकट बुक होने पर रेलवे को एडवांस में धनराशि मिल जाती थी. अब इसका नुकसान उठाना पड़ेगा. चार माह पहले टिकट बुकिंग पर यात्रियों से एडवांस में 100 करोड़ रुपये मिलने पर रेलवे के पास फंड रहता था, फिर अधिकतर मामलों में एआरपी में बुक टिकट कैंसिल हो जाते थे, जिसका कैंसिलेशन चार्ज भी रेलवे को मिलता था. अब दो माह के पीरियड में ऐसा कम ही होगा.

कैंसिल होते हैं 21 फीसद टिकट, खाली रह जाती हैं सीटें : रेलवे अधिकारियों का तर्क ये भी है कि एआरपी अधिक होने की वजह से सीटें भी खाली रह जाती हैं. जिससे रेलवे को राजस्व का नुकसान होता है. वर्तमान में तकरीबन 21 फीसद टिकट कैंसिल होते हैं और चार से पांच फीसद यात्री यात्रा नहीं करते. ऐसे में सीटें रिक्त रह जाती थीं और रेलवे को नुकसान होता था. अब पीरियड कम होने से सीटें कम खाली रह जाएंगी.

यह भी पढ़ें : 80 स्पेशल ट्रेनों में टिकट बुकिंग आधे से भी कम

यह भी पढ़ें : लखनऊ: 12 सितंबर से चलेगी 16 स्पेशल ट्रेनें, शुरू हुई टिकट बुकिंग

लखनऊ : रेलवे ने यात्रियों के लिए पहली नवंबर से पैसेंजर ट्रेनों में एडवांस टिकट बुकिंग की अवधि कम कर दी है. अब यात्री ट्रेनों में दो माह पहले से एडवांस बुकिंग करा सकेंगे. जबकि अभी तक यह समय चार माह का था. हालांकि, विदेशी नागरिकों के लिए 365 दिन पहले टिकट बुकिंग की सुविधा अब भी जारी रहेगी. रेलवे के इस कदम से यात्रियों का फायदा होगा, जबकि दलालों को नुकसान उठाना पड़ेगा.

रेलवे प्रशासन की तरफ से यात्रियों को ट्रेनों में एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (एआरपी) दिया जाता है. जिसके खुलने पर यात्री अपने प्लाॅन के मुताबिक टिकटों की बुकिंग करवा लेते हैं. समय-समय पर यात्रियों की सुविधा के अनुसार एआरपी में बदलाव किए जाते रहे हैं. अब रेलवे बोर्ड ने एआरपी को घटा दिया है. पहले यह चार माह यानी 120 दिन का होता था, जिसे घटाकर अब 60 दिन कर दिया गया है. एआरपी घटाने से यात्रियों को बड़ी सहूलियत मिल जाएगी.

रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर पैसेंजर मार्केटिंग संजय मनोचा ने इस बाबत आदेश जारी किया है. पहली नवंबर से एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (एआरपी) घटाया जाएगा और ट्रेनों में टिकटों की एडवांस बुकिंग 60 ‌दिन पहले की जा सकेगी. उन्होंने बताया कि साल 1981 से 1985 तक एआरपी 120 दिन थी. इसके बाद 1988 तक 90 दिन, फिर 1993 तक 60 दिन रही. 1995 में 45 दिन, 1998 तक 30 दिन, 2007 तक 90 दिन, 2008 तक 60 दिन, 2012 तक 90 दिन, 2013 तक 120 ‌दिन, साल 2015 तक 60 और वर्ष 2024 तक 120 दिन रही.

दलालों पर लगेगा अंकुश : एआरपी घटा देने से दलालों पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी. रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक चार माह का एआरपी होने पर दलाल अधिकतर टिकटों की एडवांस बुकिंग कर लेते थे. जिसे मनमानी दरों पर यात्रियों को बेचा जाता था. अब दो माह हो जाने से इस पर नियंत्रण स्थापित होगा और यात्रियों के लिए टिकट बुकिंग आसान होगी. दलाल टिकटों की ब्लॉकिंग नहीं कर सकेंगे. मनमाने दामों पर सीट नहीं बेच सकेंगे.


रेलवे को होगी हानि यात्रियों को मिलेगा लाभ : एडवांस रिजर्वेशन पीरिएड चार माह के स्थान पर दो माह होने से यात्रियों को भले ही लाभ हो, लेकिन रेलवे का नुकसान होगा. अभी चार माह पहले टिकट बुक होने पर रेलवे को एडवांस में धनराशि मिल जाती थी. अब इसका नुकसान उठाना पड़ेगा. चार माह पहले टिकट बुकिंग पर यात्रियों से एडवांस में 100 करोड़ रुपये मिलने पर रेलवे के पास फंड रहता था, फिर अधिकतर मामलों में एआरपी में बुक टिकट कैंसिल हो जाते थे, जिसका कैंसिलेशन चार्ज भी रेलवे को मिलता था. अब दो माह के पीरियड में ऐसा कम ही होगा.

कैंसिल होते हैं 21 फीसद टिकट, खाली रह जाती हैं सीटें : रेलवे अधिकारियों का तर्क ये भी है कि एआरपी अधिक होने की वजह से सीटें भी खाली रह जाती हैं. जिससे रेलवे को राजस्व का नुकसान होता है. वर्तमान में तकरीबन 21 फीसद टिकट कैंसिल होते हैं और चार से पांच फीसद यात्री यात्रा नहीं करते. ऐसे में सीटें रिक्त रह जाती थीं और रेलवे को नुकसान होता था. अब पीरियड कम होने से सीटें कम खाली रह जाएंगी.

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