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कोशिकाओं के रहस्य को इस तकनीक से सुलझा रहे वैज्ञानिक, कई बीमारियों में मिलेगी राहत - बायोमेडिकल रिसर्च

आधुनिक जैव चिकित्सा अनुसंधान (Biomedical Research) में सहायक विभिन्न उन्नत पद्धतियों पर चर्चा के लिए गुरुवार को सीडीआरआई लखनऊ में विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस दौरान विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को उन्नत उपकरणों एवं तकनीक की जानकारी दी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 9, 2024, 7:10 AM IST

लखनऊ : सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) ने बायोमेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में उन्नत उपकरणों एवं तकनीकों में प्रतिभागियों की विशेषज्ञता को बढ़ाने के उद्देश्य से गुरुवार को आयोजित हुआ. ट्रस्ट फॉर एजुकेशन एंड ट्रेनिंग इन साइटोमेट्री (टीईटीसी) इंडिया के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में मशहूर विशेषज्ञ शामिल हुए. जिन्होंने इस प्रतिस्पर्धी युग में बायोलॉजिकल एवं बायोमेडिकल रिसर्च में कॅरियर विकास के लिए महत्वपूर्ण अत्याधुनिक तरीकों पर अनुभव साझा किया.




कार्यशाला में आधुनिक जैव चिकित्सा अनुसंधान में सहायक विभिन्न उन्नत पद्धतियों पर चर्चा की गई. डॉ. डेरेक डेविस, प्रमुख, फ्लो साइटोमेट्री संकाय, फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट लंडन यूके, ने फ्लो साइटोमेट्री की मूल बातें सिखाईं एवं फ्लो साइटोमेट्री के विभिन्न अनुप्रयोगों पर वेट लैब प्रशिक्षण मॉड्यूल को प्रस्तुत किया. साइटेक बायोसाइंस इंक की डॉ. कार्ला एम गोरेना ने कोशिका प्रसार पर वेट लैब प्रशिक्षण आयोजित किया. मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर में फ्लो साइटोमेट्री की कोर फैसिलिटी के प्रमुख डॉ. रुई गार्डनर ने साइटोफ्लेक्स तकनीक का उपयोग करके सेल सॉर्टिंग पर एक व्यावहारिक सत्र आयोजित किया. सेल सॉर्टिंग आधुनिक साइटोमेट्री में एक मौलिक प्रक्रिया है, जो शोधकर्ताओं को डाउनस्ट्रीम विश्लेषण और प्रयोग के लिए विशिष्ट कोशिकाओं को छांटने में सक्षम बनाती है.


फ्लो साइटोमेट्री सॉल्यूशंस, जयपुर के निदेशक डॉ. हेमंत अग्रवाल ने एट्यून एनएक्सटी फ्लो साइटोमीटर की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. अपनी उच्च संवेदनशीलता एवं कम समय में हजारों से लाखों कोशिकाओं के विश्लेषण करने की क्षमता के लिए जाना जाने वाला यह एट्यून एनएक्सटी, इम्यूनोफेनोटाइपिंग अध्ययन के लिए अति आवश्यक है. प्रतिभागियों के अनुभव को और समृद्ध करते हुए, डॉ. रूपेश श्रीवास्तव ने साइटोफ्लेक्स इंट्रासेल्युलर स्टेनिंग तकनीक को समझाया. जिससे प्रतिभागियों को आणविक स्तर पर सेलुलर विश्लेषण की जटिलताओं में अमूल्य जानकारी प्रदान की गई. इस तकनीक के माध्यम से जटिल कोशिकीय तंत्र को सुलझाने एवं रोगों के उद्भव एवं विकास को समझने की अपार संभावनाएं हैं.


इसके अलावा डॉ. विवेक तनवड़े, डॉ. एच कृष्णमूर्ति, डॉ. एएल विश्वकर्मा, डॉ. नीरज जैन, डॉ. राहुल शुक्ला और डॉ. मृगांक श्रीवास्तव ने फ्लोसायटोमेट्री तकनीक के माध्यम से कोशिका चक्र विश्लेषण, कोशिका स्वास्थ्य, मल्टीकलर इम्यूनोफेनोटाइपिंग संबंधी जानकारी प्रदान की, जिसमें कोशिका विभाजन एवं प्रसार तंत्र की जटिलताओं को सुलझाने में इसकी भूमिका पर प्रकाश भी डाला गया. कार्यशाला ने देशभर से आए प्रतिभागियों को इन नवीन तकनीकों का व्यावहारिक अनुभव और व्यापक समझ प्रदान की, जिससे उन्हें जैव चिकित्सा अनुसंधान के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद मिलेगी.


लखनऊ : सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) ने बायोमेडिकल रिसर्च के क्षेत्र में उन्नत उपकरणों एवं तकनीकों में प्रतिभागियों की विशेषज्ञता को बढ़ाने के उद्देश्य से गुरुवार को आयोजित हुआ. ट्रस्ट फॉर एजुकेशन एंड ट्रेनिंग इन साइटोमेट्री (टीईटीसी) इंडिया के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में मशहूर विशेषज्ञ शामिल हुए. जिन्होंने इस प्रतिस्पर्धी युग में बायोलॉजिकल एवं बायोमेडिकल रिसर्च में कॅरियर विकास के लिए महत्वपूर्ण अत्याधुनिक तरीकों पर अनुभव साझा किया.




कार्यशाला में आधुनिक जैव चिकित्सा अनुसंधान में सहायक विभिन्न उन्नत पद्धतियों पर चर्चा की गई. डॉ. डेरेक डेविस, प्रमुख, फ्लो साइटोमेट्री संकाय, फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट लंडन यूके, ने फ्लो साइटोमेट्री की मूल बातें सिखाईं एवं फ्लो साइटोमेट्री के विभिन्न अनुप्रयोगों पर वेट लैब प्रशिक्षण मॉड्यूल को प्रस्तुत किया. साइटेक बायोसाइंस इंक की डॉ. कार्ला एम गोरेना ने कोशिका प्रसार पर वेट लैब प्रशिक्षण आयोजित किया. मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर में फ्लो साइटोमेट्री की कोर फैसिलिटी के प्रमुख डॉ. रुई गार्डनर ने साइटोफ्लेक्स तकनीक का उपयोग करके सेल सॉर्टिंग पर एक व्यावहारिक सत्र आयोजित किया. सेल सॉर्टिंग आधुनिक साइटोमेट्री में एक मौलिक प्रक्रिया है, जो शोधकर्ताओं को डाउनस्ट्रीम विश्लेषण और प्रयोग के लिए विशिष्ट कोशिकाओं को छांटने में सक्षम बनाती है.


फ्लो साइटोमेट्री सॉल्यूशंस, जयपुर के निदेशक डॉ. हेमंत अग्रवाल ने एट्यून एनएक्सटी फ्लो साइटोमीटर की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला. अपनी उच्च संवेदनशीलता एवं कम समय में हजारों से लाखों कोशिकाओं के विश्लेषण करने की क्षमता के लिए जाना जाने वाला यह एट्यून एनएक्सटी, इम्यूनोफेनोटाइपिंग अध्ययन के लिए अति आवश्यक है. प्रतिभागियों के अनुभव को और समृद्ध करते हुए, डॉ. रूपेश श्रीवास्तव ने साइटोफ्लेक्स इंट्रासेल्युलर स्टेनिंग तकनीक को समझाया. जिससे प्रतिभागियों को आणविक स्तर पर सेलुलर विश्लेषण की जटिलताओं में अमूल्य जानकारी प्रदान की गई. इस तकनीक के माध्यम से जटिल कोशिकीय तंत्र को सुलझाने एवं रोगों के उद्भव एवं विकास को समझने की अपार संभावनाएं हैं.


इसके अलावा डॉ. विवेक तनवड़े, डॉ. एच कृष्णमूर्ति, डॉ. एएल विश्वकर्मा, डॉ. नीरज जैन, डॉ. राहुल शुक्ला और डॉ. मृगांक श्रीवास्तव ने फ्लोसायटोमेट्री तकनीक के माध्यम से कोशिका चक्र विश्लेषण, कोशिका स्वास्थ्य, मल्टीकलर इम्यूनोफेनोटाइपिंग संबंधी जानकारी प्रदान की, जिसमें कोशिका विभाजन एवं प्रसार तंत्र की जटिलताओं को सुलझाने में इसकी भूमिका पर प्रकाश भी डाला गया. कार्यशाला ने देशभर से आए प्रतिभागियों को इन नवीन तकनीकों का व्यावहारिक अनुभव और व्यापक समझ प्रदान की, जिससे उन्हें जैव चिकित्सा अनुसंधान के तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद मिलेगी.


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