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चिकित्सकों ने 15 सेंटीमीटर के गॉल ब्लैडर को ऑपरेशन कर निकाला, दावा- साइज में यह विश्व में 10वें स्थान पर - MEDICAL FACILITIES IN LUCKNOW

Medical Facilities Lucknow : लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन करके कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर प्रत्यारोपण करने में कामयाबी हासिल की.

सिविल और लोहिया अस्पताल के डाॅक्टरों को मिली सफलता.
सिविल और लोहिया अस्पताल के डाॅक्टरों को मिली सफलता. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 5, 2024, 11:09 AM IST

लखनऊ : सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने 15 सेंटीमीटर से बड़े गॉल ब्लैडर को निकालने में कामयाबी हासिल की है. डॉक्टरों का दावा है कि यह विश्व में 10वां सबसे बड़ा गॉल ब्लैडर है. ऑपरेशन के बाद मरीज की तबीयत में सुधार है. सीतापुर रोड निवासी शालिनी तिवारी (35) को पेट में दाहिनी तरफ दर्द की समस्या हुई. परिवारीजनों ने कई स्थानीय अस्पतालों में दिखाया. फायदा नहीं हुआ. इसके बाद परिवारीजन मरीज को लेकर सिविल अस्पताल के सर्जरी विभाग की ओपीडी में पहुंचे.

सर्जरी विभाग की डॉ. सुरम्या पांडेय ने मरीज को अल्ट्रासाउंड समेत दूसरी जांचें लिखीं. अल्ट्रासाउंड जांच में पित्त की थैली में पथरी होने की पुष्टि हुई. डॉक्टर ने ऑपरेश्न की सलाह दी. 28 नवंबर को मरीज को भर्ती किया गया. सभी जांच के बाद तीन दिसंबर को ऑपरेशन किया गया. पथरी की वजह से पूरा गाल ब्लैडर निकालना पड़ा. ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत सामान्य है. डॉ. सुरम्या ने बताया कि 15 सेंटीमीटर आकार वाला यह विश्व का 10वां सबसे बड़ा गॉल ब्लैडर है. इस ऑपरेशन में डॉ. सुरम्या पांडेय के साथ डॉ. मनीष, डॉ. एसके सिंह और सिस्टर किरण के सहयोग किया.

मरीज ने प्रोटेस्ट कैंसर को दी मात : लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर मरीज को कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर प्रत्यारोपण करने में कामयाबी हासिल की है. बलिया के रासरा निवासी श्याम नारायण (69) को प्रोस्टेट कैंसर की पुष्टि हुई. वर्ष 2019 में ऑपरेशन हुआ. सर्जरी के बाद मरीज को कैंसर से निजात मिल गई, लेकिन यूरीन लीक होने की परेशानी शुरू हुई. काफी समय इलाज कराया. आराम के बजाए परेशानी बढ़ गई. बाहर निकलने से पहले डायपर लगाना पड़ रहा था.

लोहिया संस्थान में यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ईश्वर राम धायल ने बताया कि जरूरी जांच के बाद मरीज को ऑपरेशन करने की सलाह दी गई. इसके बाद कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर (वॉल्व) प्रत्यारोपण किया गया. डॉ. ईश्वर राम धायल ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर प्रत्यारोपण किया गया है. ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह से सेहतमंद है. संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने उपलब्धि के लिए डॉक्टरों की टीम को बधाई दी है. सर्जरी टीम में डॉ. ईश्वर राम धायल, दिल्ली के यूरोलॉजिस्ट डॉ. गौतम बंगा, डॉ. आलोक श्रीवास्तव, डॉ. शिवानी, डॉ. नंदन और डॉ. प्रवीण शामिल थे. एनेस्थीसिया टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दास और डॉ. स्मारिका शामिल रहीं.

यह भी पढ़ें : Medical News : पीजीआई लखनऊ में हर हफ्ते होंगे 5 से 6 गुर्दा प्रत्यारोपण, ऑपरेशन थियेटर और डायलिसिस स्टेशन बढ़े

यह भी पढ़ें : गंभीर कार्डियोजेनिक मरीज का केजीएमयू के डाॅक्टरों ने किया सफल ऑपरेशन

लखनऊ : सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने 15 सेंटीमीटर से बड़े गॉल ब्लैडर को निकालने में कामयाबी हासिल की है. डॉक्टरों का दावा है कि यह विश्व में 10वां सबसे बड़ा गॉल ब्लैडर है. ऑपरेशन के बाद मरीज की तबीयत में सुधार है. सीतापुर रोड निवासी शालिनी तिवारी (35) को पेट में दाहिनी तरफ दर्द की समस्या हुई. परिवारीजनों ने कई स्थानीय अस्पतालों में दिखाया. फायदा नहीं हुआ. इसके बाद परिवारीजन मरीज को लेकर सिविल अस्पताल के सर्जरी विभाग की ओपीडी में पहुंचे.

सर्जरी विभाग की डॉ. सुरम्या पांडेय ने मरीज को अल्ट्रासाउंड समेत दूसरी जांचें लिखीं. अल्ट्रासाउंड जांच में पित्त की थैली में पथरी होने की पुष्टि हुई. डॉक्टर ने ऑपरेश्न की सलाह दी. 28 नवंबर को मरीज को भर्ती किया गया. सभी जांच के बाद तीन दिसंबर को ऑपरेशन किया गया. पथरी की वजह से पूरा गाल ब्लैडर निकालना पड़ा. ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत सामान्य है. डॉ. सुरम्या ने बताया कि 15 सेंटीमीटर आकार वाला यह विश्व का 10वां सबसे बड़ा गॉल ब्लैडर है. इस ऑपरेशन में डॉ. सुरम्या पांडेय के साथ डॉ. मनीष, डॉ. एसके सिंह और सिस्टर किरण के सहयोग किया.

मरीज ने प्रोटेस्ट कैंसर को दी मात : लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर मरीज को कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर प्रत्यारोपण करने में कामयाबी हासिल की है. बलिया के रासरा निवासी श्याम नारायण (69) को प्रोस्टेट कैंसर की पुष्टि हुई. वर्ष 2019 में ऑपरेशन हुआ. सर्जरी के बाद मरीज को कैंसर से निजात मिल गई, लेकिन यूरीन लीक होने की परेशानी शुरू हुई. काफी समय इलाज कराया. आराम के बजाए परेशानी बढ़ गई. बाहर निकलने से पहले डायपर लगाना पड़ रहा था.

लोहिया संस्थान में यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. ईश्वर राम धायल ने बताया कि जरूरी जांच के बाद मरीज को ऑपरेशन करने की सलाह दी गई. इसके बाद कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर (वॉल्व) प्रत्यारोपण किया गया. डॉ. ईश्वर राम धायल ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पहली बार किसी सरकारी अस्पताल में कृत्रिम मूत्राशय स्फिंक्टर प्रत्यारोपण किया गया है. ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह से सेहतमंद है. संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने उपलब्धि के लिए डॉक्टरों की टीम को बधाई दी है. सर्जरी टीम में डॉ. ईश्वर राम धायल, दिल्ली के यूरोलॉजिस्ट डॉ. गौतम बंगा, डॉ. आलोक श्रीवास्तव, डॉ. शिवानी, डॉ. नंदन और डॉ. प्रवीण शामिल थे. एनेस्थीसिया टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. पीके दास और डॉ. स्मारिका शामिल रहीं.

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