ETV Bharat / state

अकबरनगर में ध्वस्तीकरण पर हाईकोर्ट ने रोक बढ़ाई, कहा- याचिकाएं दाखिल करने वालों को ही मिलेगा लाभ - लखनऊ अकबरनगर हाईकोर्ट रोक

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अकबरनगर में ध्वस्तीकरण पर लगी रोक को 7 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया है. कहा है कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से प्रभावित व्यक्ति यदि चाहे तो 7 फरवरी तक कोर्ट आ सकता है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 24, 2024, 9:40 PM IST

Updated : Jan 25, 2024, 12:20 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अकबरनगर में ध्वस्तीकरण पर लगी रोक को 7 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि जिन लोगों ने ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिकाएं अथवा हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र दाखिल किए हैं, उन्हें ही 7 फरवरी के बाद ध्वस्तीकरण पर रोक का लाभ मिलेगा. न्यायालय ने कहा कि अकबरनगर में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से प्रभावित व्यक्ति यदि चाहे तो 7 फरवरी तक कोर्ट आ सकता है.

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने अकबर नगर के निवासियों की ओर से दाखिल 11 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि मुख्य न्यायमूर्ति के आदेश से एकल पीठ और खंडपीठ के समक्ष विचाराधीन सभी याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई हैं. वहीं सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों की ओर से जवाबी हलफ़नामा भी दाखिल किया गया.

उल्लेखनीय है कि अकबरनगर में ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचियों की ओर से दलील दी गई है कि 40-50 सालों से वे उस स्थान पर कब्जे में हैं और तब यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1973 लागू भी नहीं हुआ था. लिहाजा उक्त कानून के तहत याचियों को बेदखल करने की कार्रवाई नहीं की जा सकती. वहीं राज्य सरकार और एलडीए की ओर से दलील दी गई है कि याचीगण विवादित संपत्तियों पर अपना स्वामित्व नहीं सिद्ध कर सके हैं. कहा गया है कि वहां के लोगों के पुनर्वास की भी व्यवस्था की गई है.

21 दिसम्बर को लगी थी ध्वस्तीकरण पर रोक

एकल पीठ ने 21 दिसम्बर 2023 को मामले पर सुनवाई करते हुए ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने कहा था कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि याचियों समेत तमाम लोग प्रश्नगत क्षेत्र में बिना किसी स्वामित्व के कब्जे में हैं. समय बीतने के साथ वे कब्जे में रहे और वहां नगर निगम की सुविधाएं और सरकारी सड़कें भी पहुंचीं. न्यायालय ने पाया कि कुछ लोगों से तो नगर निगम बकायदा कर भी वसूल रहा है और वहां एक सरकारी स्कूल भी है. न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि याची अपना स्वामित्व सिद्ध करन पाने में अब तक असफल रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपना कब्जा सिद्ध किया है, भले ही वह अनाधिकृत कब्जा है.

यह भी पढ़ें : अकबर नगर के 300 अवैध कब्जेदार करोड़पति, जानिए कैसे हुआ खुलासा

यह भी पढ़ें : स्पेशल सेल का इस्तेमाल निर्दोष अधिवक्ताओं को परेशान करने के लिए न हो: हाईकोर्ट

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अकबरनगर में ध्वस्तीकरण पर लगी रोक को 7 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया है. इसके साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि जिन लोगों ने ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिकाएं अथवा हस्तक्षेप प्रार्थना पत्र दाखिल किए हैं, उन्हें ही 7 फरवरी के बाद ध्वस्तीकरण पर रोक का लाभ मिलेगा. न्यायालय ने कहा कि अकबरनगर में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से प्रभावित व्यक्ति यदि चाहे तो 7 फरवरी तक कोर्ट आ सकता है.

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने अकबर नगर के निवासियों की ओर से दाखिल 11 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए पारित किया. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि मुख्य न्यायमूर्ति के आदेश से एकल पीठ और खंडपीठ के समक्ष विचाराधीन सभी याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई हैं. वहीं सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों की ओर से जवाबी हलफ़नामा भी दाखिल किया गया.

उल्लेखनीय है कि अकबरनगर में ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचियों की ओर से दलील दी गई है कि 40-50 सालों से वे उस स्थान पर कब्जे में हैं और तब यूपी अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1973 लागू भी नहीं हुआ था. लिहाजा उक्त कानून के तहत याचियों को बेदखल करने की कार्रवाई नहीं की जा सकती. वहीं राज्य सरकार और एलडीए की ओर से दलील दी गई है कि याचीगण विवादित संपत्तियों पर अपना स्वामित्व नहीं सिद्ध कर सके हैं. कहा गया है कि वहां के लोगों के पुनर्वास की भी व्यवस्था की गई है.

21 दिसम्बर को लगी थी ध्वस्तीकरण पर रोक

एकल पीठ ने 21 दिसम्बर 2023 को मामले पर सुनवाई करते हुए ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने कहा था कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि याचियों समेत तमाम लोग प्रश्नगत क्षेत्र में बिना किसी स्वामित्व के कब्जे में हैं. समय बीतने के साथ वे कब्जे में रहे और वहां नगर निगम की सुविधाएं और सरकारी सड़कें भी पहुंचीं. न्यायालय ने पाया कि कुछ लोगों से तो नगर निगम बकायदा कर भी वसूल रहा है और वहां एक सरकारी स्कूल भी है. न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि याची अपना स्वामित्व सिद्ध करन पाने में अब तक असफल रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपना कब्जा सिद्ध किया है, भले ही वह अनाधिकृत कब्जा है.

यह भी पढ़ें : अकबर नगर के 300 अवैध कब्जेदार करोड़पति, जानिए कैसे हुआ खुलासा

यह भी पढ़ें : स्पेशल सेल का इस्तेमाल निर्दोष अधिवक्ताओं को परेशान करने के लिए न हो: हाईकोर्ट

Last Updated : Jan 25, 2024, 12:20 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.