लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिज़र्व में बलशाली गैंडे 'रघू' को पार्क प्रशासन ने फेन्स के बाहर कर दिया था, पर काजल से मिलने रघू फिर फेन्स तोड़कर गैंडा पुनर्वासन केंद्र में घुस गया. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर ललित वर्मा कहते हैं, "रघू को फेन्स के बाहर सबसे पहले दिन किया गया था, पर रघू तीसरे दिन ही फिर फेन्स में घुस आया है.
रघू की काजल है दीवानी, सुभद्रा और स्वयभरा भी नहीं पीछे: वाइल्डलाइफ के जानकार मोहम्मद शकील कहते हैं, 'गैंडों में मादाओं को नर अपनी ताकत से रिझाते हैं. कई बार गैंडों में मादाओं को रिझाने का मल्लयुद्ध इतना खतरनाक हो जाता कि गैंडों की मौत भी हो जाती है. जो जीता वही सिकन्दर होता है. दुधवा के गैण्डों के परिवार में इस वक्त रघू की ही बादशाहत कायम है.
मोहम्मद शकील ने कहा कि रघू मादाओं को रिझाने के लिए नर गैंडों से अक्सर लड़ता रहता है. इसीलिए इस डॉमिनेंट मेल को बाड़े से बाहर किया गया था. काजल ही नहीं सुभद्रा और स्वयमभरा भी रघू की ताकत की फैन हैं.
दुधवा टाइगर रिजर्व में रघू और 'विजय का राज: दुधवा टाइगर रिजर्व में 1984 के बाद बांके नाम के गैंडे की बादशाहत चलती थी. पर बांके की मौत के बाद अब गैंडा पुनर्वास केंद्र सलूकापुर में 'रघू' और 'विजय' नर गैंडों का एकछत्र राज है. बांके की मौत के बाद दुधवा टाइगर रिजर्व में गैंडों का सरदार बनने के लिए 'रघु' और 'विजय' आमने सामने हैं. आए दिन रघू और विजय के बीच जमकर लड़ाइयां होती हैं.
दुधवा में है 46 से ज्यादा गैंडों का परिवार: दुधवा टाइगर रिज़र्व में इस वक्त 46 से ज्यादा गैंडों का परिवार फलफूल रहा है. पुनर्वासन केंद्र ने कई उतार चढ़ाव और झटके भी खाए पर गैंडों की कालोनी तराई में रच बस गई. भारत में असम के बाद अगर सबसे ज्यादा गैंडे कहीं हैं, तो वो यूपी के दुधवा टाइगर रिजर्व में. असम के काजीरंगा, पवित्रा और मानस नेशनल पार्क के बाद तराई की धरती ही इस सबसे बड़े जीव से आबाद है.
वन विभाग ने खुले में छोड़े हैं तीन गैंडे: दुधवा टाइगर रिज़र्व में डब्लूडब्लूएफ की मदद से पार्क प्रशासन ने असम के विशेषज्ञों की मदद से रघू, विजयश्री और दीपाली नाम की फीमेल को बेहोश कर सलूकापुर पुनर्वासन केंद्र के बाहर करीब छह किलोमीटर दूर छोड़ा था. दुधवा टाइगर रिजर्व का गैंडों को फ्री रेंज करने का ये एक बड़ा और महत्वाकांक्षी प्रयोग है. रघू दूसरे ही दिन से फेंसिंग के किनारे काजल से मिलने पहुंच गया.
अब पार्क के अफसर हैरान हैं कि आखिर उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया. डब्लूडब्लूएफ के को-आर्डिनेटर मुदित गुप्ता कहते हैं, 'गैंडों में ताकतवर मेल का मादाओं पर असर रहता है. नर भी मादाओं को रिझाने को ताकत दिखाने को युद्ध करते हैं. गैंडा भी अपने घर को कोई आसानी से नहीं छोड़ता. रघू पर सैटेलाइट से नजर रखी जा रही. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर ललित वर्मा ने कहा कि जल्द ही रघू को फिर बाड़े से बाहर किया जाएगा.
हर घंटे की मिल रही सैटेलाइट से रिपोर्ट: गैंडों को खुले में छोड़े जाने की रिपोर्ट हर घण्टे दुधवा पार्क के अफसरों को मिल रही. पार्क के अफसर निगरानी को तीन टीमों में काम कर रहे हैं. रेडियो कॉलर लगाकर रघू विजयश्री और दीपाली को खुले जंगल में 6 किलोमीटर दूर छोड़ा गया था. दुधवा में एक कंट्रोल रूम बनाकर छोड़े गए गैंडों पर नजर रखी जा रही है. सैटेलाइट हर घंटे रिपोर्ट दे रहा.
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