ETV Bharat / state

18 जून को निर्जला एकादशी, भगवान विष्णु की भक्तों पर बरसेगी कृपा - Nirjala Ekadashi - NIRJALA EKADASHI

Nirjala Ekadashi 2024: इस बार 18 जून को निर्जला एकादशी व्रत है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने से भक्त पुण्य के भागी होते हैं. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की भक्तों पर कृपा बरसती है. पढ़िए पूरी खबर...

निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 10, 2024, 1:56 PM IST

कुल्लू: सनातन धर्म के अनुसार हर माह में दो एकादशी आती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. ऐसे में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सारी एकादशी एक तरफ और निर्जला एकादशी का व्रत एक तरफ होता है.

निर्जला एकादशी का व्रत करने से भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत की काफी महिमा भी शास्त्रों में कही गई है. मान्यता है कि अगर भक्त जीवन में निर्जला एकादशी का व्रत करें तो उसे साल में आने वाले सभी एकादशी के व्रत का फल मिलता है. पांडु पुत्र भीम ने भी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को बिना जल ग्रहण व्रत किया था और उन्हें भी भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त हुई थी. इस साल 18 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा.

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि 17 जून को शाम 4 बजकर 43 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 18 जून को सुबह 6:24 तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 18 जून को निर्जला एकादशी मनाई जाएगी और 18 जून मंगलवार को ही इसका व्रत रखा जाएगा.

वहीं, इस निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इस दिन महाबली भीम ने यह व्रत रखा था. यह व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन माना गया है और इस व्रत में पानी भी नहीं पिया जाता है.

आचार्य दीप कुमार ने बताया कि निर्जला एकादशी का पारण 19 जून को सुबह 5:24 से सुबह 7:28 के बीच किया जाएगा. ऐसे में भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस एकादशी का व्रत काफी महत्वपूर्ण है और इस दिन भक्तों द्वारा ठंडा पानी की छबील लगाकर लोगों की प्यास बुझाई जाती है.

ये भी पढ़ें: उफ्फ ये गर्मी: हिमाचल में पारा 42°C के पार, घरों से निकलना हुआ मुश्किल, बाजार हुए वीरान!

कुल्लू: सनातन धर्म के अनुसार हर माह में दो एकादशी आती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी की तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. ऐसे में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार सारी एकादशी एक तरफ और निर्जला एकादशी का व्रत एक तरफ होता है.

निर्जला एकादशी का व्रत करने से भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है. इस व्रत की काफी महिमा भी शास्त्रों में कही गई है. मान्यता है कि अगर भक्त जीवन में निर्जला एकादशी का व्रत करें तो उसे साल में आने वाले सभी एकादशी के व्रत का फल मिलता है. पांडु पुत्र भीम ने भी ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को बिना जल ग्रहण व्रत किया था और उन्हें भी भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त हुई थी. इस साल 18 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा.

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि 17 जून को शाम 4 बजकर 43 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 18 जून को सुबह 6:24 तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 18 जून को निर्जला एकादशी मनाई जाएगी और 18 जून मंगलवार को ही इसका व्रत रखा जाएगा.

वहीं, इस निर्जला एकादशी को भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इस दिन महाबली भीम ने यह व्रत रखा था. यह व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन माना गया है और इस व्रत में पानी भी नहीं पिया जाता है.

आचार्य दीप कुमार ने बताया कि निर्जला एकादशी का पारण 19 जून को सुबह 5:24 से सुबह 7:28 के बीच किया जाएगा. ऐसे में भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस एकादशी का व्रत काफी महत्वपूर्ण है और इस दिन भक्तों द्वारा ठंडा पानी की छबील लगाकर लोगों की प्यास बुझाई जाती है.

ये भी पढ़ें: उफ्फ ये गर्मी: हिमाचल में पारा 42°C के पार, घरों से निकलना हुआ मुश्किल, बाजार हुए वीरान!

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.