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देश में सबसे ऊंची है विदिशा संग्रहालय में रखी कुबेर प्रतिमा, जानें क्यों इस पर कपड़े धोते थे लोग - LARGEST KUBERA STATUE VIDISHA

जानें विदिशा के पुरातत्व संग्रहालय में रखी कुबेर की सबसे ऊंची प्रतिमा का इतिहास. 22 सौ वर्ष पुरानी है कुबेर की पत्नी यक्षिणी की प्रतिमा.

2200 years old statue of Lord Kuber in Vidisha
विदिशा में भगवान कुबेर की 2200 साल पुरानी प्रतिमा (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 28, 2024, 5:11 PM IST

विदिशा: देश में भगवान कुबेर की कुल 4 प्रतिमाएं - विदिशा, मथुरा, पटना, और भरतपुर में हैं. लेकिन विदिशा के पुरातत्व संग्रहालय में रखी प्रतिमा सबसे ऊंची और प्राचीन है. खास बात यह है कि यहां उनकी पत्नी यक्षिणी की भी प्रतिमा है. आइए जानते हैं इसका इतिहास

प्राचीन समय मे विदिशा बेहद समृद्ध और व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र था. कुबेर को धन का देवता माना जाता है, इसलिए यहां के लोग उस समय कुबेर की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करते थे. आज भी धनतेरस पर लोग प्रतिमा का दर्शन-पूजन करने आते हैं.

विदिशा में भगवान कुबेर की 2200 साल पुरानी प्रतिमा (Etv Bharat)

धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा होती है क्योंकि उन्हें धन की देवी माना जाता है. लेकिन इसी दिन कुबेर जी की पूजा का भी विशेष महत्व है. भगवान कुबेर की पूजा विशेष रूप से धनतेरस पर होती है. 29 अक्टूबर को धनतेरस से दिवाली की शुरूआत हो जाएगी.

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बैस नदी में उल्टी पड़ी थी प्रतिमा, लोग नहाते एवं धोने के लिए करते थे प्रतिमा का उपयोग

इतिहासकार गोविंद देवलिया ने बताया कि दूसरी सदी ईसा पूर्व की होने के बावजूद इसकी स्थापत्य कला अद्भुत है. कुबेर अपने एक हाथ में धन की गठरी लिए खड़े हैं. यह प्रतिमा यहां बैस नदी के दाना घाट से प्राप्त हुई थी. प्रतिमा बैस नदी में उल्टी पड़ी थी. लोग इसको पत्थर समझ कर इस पर कपड़े धोया करते थे. एक बार नदी में पानी कम होने से तो यहां के एक स्थानीय चित्रकार रघुनाथ सिंह की नजर इस पर पड़ी. उन्होंने प्रशासन को खबर दी. पुरातत्व विभाग के लोग आए उन्होंने इसका नामकरण किया और खुदाई करके इसको ले गए.

22 सौ वर्ष पुरानी है संग्रहालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर रखी कुबेर की 12 फीट ऊंची प्रतिमा

संग्रहालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर कुबेर की 12 फीट से ऊंची प्रतिमा रखी है. यह 2200 वर्ष पुरानी है. वहीं दूसरे कक्ष में कुबेर की पत्नी यक्षिणी की भी लगभग 7 फीट ऊंची समकालीन प्रतिमा रखी है. दोनों ही प्रतिमाएं विदिशा की बेस नदी से प्राप्त हुई थी. कुबेर और उनकी पत्नी साथ में हैं. यह प्रतिमा गुप्त काल के बाद की प्रतीत होती है. तीसरी प्रतिमा संग्रहालय के खुले एरिया में रखी हुई है जो राजा के रूप में है. यह प्रतिमा छठवीं, सातवीं शताब्दी की बनी होगी.

इतिहासकार गोविंद देवलिया ने कहा 1955 में प्रतिमा को नदी से लाया गया. उस समय यह संग्रहालय नहीं बना था. 1964 में यह संग्रहालय बना और 1965 में इसका उद्घाटन हुआ. पुरातत्व संग्रहालय विदिशा की प्रभारी अधिकारी नम्रता यादव ने बताया कि 1965 से कुबेर की प्रतिमा यहां पर है और विदिशा के लिए बड़ी महत्वपूर्ण है. रिजर्व बैंक के मोनो पर भी इसी को लिया गया है.

विदिशा: देश में भगवान कुबेर की कुल 4 प्रतिमाएं - विदिशा, मथुरा, पटना, और भरतपुर में हैं. लेकिन विदिशा के पुरातत्व संग्रहालय में रखी प्रतिमा सबसे ऊंची और प्राचीन है. खास बात यह है कि यहां उनकी पत्नी यक्षिणी की भी प्रतिमा है. आइए जानते हैं इसका इतिहास

प्राचीन समय मे विदिशा बेहद समृद्ध और व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र था. कुबेर को धन का देवता माना जाता है, इसलिए यहां के लोग उस समय कुबेर की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा करते थे. आज भी धनतेरस पर लोग प्रतिमा का दर्शन-पूजन करने आते हैं.

विदिशा में भगवान कुबेर की 2200 साल पुरानी प्रतिमा (Etv Bharat)

धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा होती है क्योंकि उन्हें धन की देवी माना जाता है. लेकिन इसी दिन कुबेर जी की पूजा का भी विशेष महत्व है. भगवान कुबेर की पूजा विशेष रूप से धनतेरस पर होती है. 29 अक्टूबर को धनतेरस से दिवाली की शुरूआत हो जाएगी.

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इतिहासकार गोविंद देवलिया ने बताया कि दूसरी सदी ईसा पूर्व की होने के बावजूद इसकी स्थापत्य कला अद्भुत है. कुबेर अपने एक हाथ में धन की गठरी लिए खड़े हैं. यह प्रतिमा यहां बैस नदी के दाना घाट से प्राप्त हुई थी. प्रतिमा बैस नदी में उल्टी पड़ी थी. लोग इसको पत्थर समझ कर इस पर कपड़े धोया करते थे. एक बार नदी में पानी कम होने से तो यहां के एक स्थानीय चित्रकार रघुनाथ सिंह की नजर इस पर पड़ी. उन्होंने प्रशासन को खबर दी. पुरातत्व विभाग के लोग आए उन्होंने इसका नामकरण किया और खुदाई करके इसको ले गए.

22 सौ वर्ष पुरानी है संग्रहालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर रखी कुबेर की 12 फीट ऊंची प्रतिमा

संग्रहालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर कुबेर की 12 फीट से ऊंची प्रतिमा रखी है. यह 2200 वर्ष पुरानी है. वहीं दूसरे कक्ष में कुबेर की पत्नी यक्षिणी की भी लगभग 7 फीट ऊंची समकालीन प्रतिमा रखी है. दोनों ही प्रतिमाएं विदिशा की बेस नदी से प्राप्त हुई थी. कुबेर और उनकी पत्नी साथ में हैं. यह प्रतिमा गुप्त काल के बाद की प्रतीत होती है. तीसरी प्रतिमा संग्रहालय के खुले एरिया में रखी हुई है जो राजा के रूप में है. यह प्रतिमा छठवीं, सातवीं शताब्दी की बनी होगी.

इतिहासकार गोविंद देवलिया ने कहा 1955 में प्रतिमा को नदी से लाया गया. उस समय यह संग्रहालय नहीं बना था. 1964 में यह संग्रहालय बना और 1965 में इसका उद्घाटन हुआ. पुरातत्व संग्रहालय विदिशा की प्रभारी अधिकारी नम्रता यादव ने बताया कि 1965 से कुबेर की प्रतिमा यहां पर है और विदिशा के लिए बड़ी महत्वपूर्ण है. रिजर्व बैंक के मोनो पर भी इसी को लिया गया है.

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