नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा सत्र की शुरुआत के साथ ही नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया और दिल्ली में एनआरसी लागू करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के वोट बनवा रही है. आज यह मुद्दा सदन में उठाएंगे. हमारी मांग है कि दिल्ली में भी एनआरसी लागू हो.
दिल्ली में रह रहे लाखों रोहिंग्याओं को वोटर लिस्ट में शामिल करने के लिए आम आदमी पार्टी नेताओं द्वारा दिल्ली चुनाव आयोग के अधिकारियों पर बनाए जा रहे दबाव पर विजेंद्र गुप्ता ने चिंता व्यक्त की और कहा कि पहले दिल्ली सरकार ने इन लाखों रोहिंग्याओं को वोटर कार्ड जारी कर दिये और अब उन्हें वोटर लिस्ट में शामिल करने के लिए दबाव बनाया जाना दिल्ली के बहुत बड़ा खतरा है. दिल्ली सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि हम किसी भी कीमत पर दिल्ली को बांग्लादेश नहीं बनने देंगे. ईटीवी भारत से बातचीत में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि जब उत्तराखंड में एनआरसी लागू हो सकता है तो दिल्ली में क्यों नहीं?
CAG रिपोर्ट पटल पर रखने की मांग
इसके अलावे विपक्ष ने आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा अभी तक 2017-18 से लेकर 2021-22 तक की कैग की रिपोर्ट्स को भी विधानसभा के पटल पर नहीं रखा है इसको सदन में रखने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कैग की रिपोर्ट पटल में नहीं रखना संवैधानिक नियमों का सरासर उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में वित्तीय और प्रशासनिक स्थितियों का आकलन करने के लिए कैग की ये रिपोर्ट्स एक महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं और इन्हें संवैधानिक नियमों के अनुसार उपराज्यपाल की अनुमति लेकर विधानसभा में प्रस्तुत किया जाना आवश्यक होता है. लेकिन दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार की अपनी कारगुजारियों को छुपाने के लिए इन्हें जानबूझकर सदन में प्रस्तुत नहीं कर रही है. इस संबंध में नेता विपक्ष के नेतृत्व में भाजपा विधायक प्रतिमंडल ने आज उपराज्यपाल से भेंट कर उन्हें ज्ञापन भी सौंपा था और हाईकोर्ट में भी याचिका लगाई है. उनसे आग्रह किया है कि वे अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए दिल्ली सरकार को इन कैग की रिपोर्ट्स को सदन पटल पर रखने के लिए आवश्यक निर्देश दें.
जानिए क्या होता है NRC?
एनआरसी का फ़ुलफ़ॉर्म है, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर. यह एक रजिस्टर है जिसमें भारत के सभी वास्तविक नागरिकों के नाम शामिल होते हैं. एनआरसी को बनाने का मकसद, बांग्लादेश की सीमा से लगे राज्य असम में विदेशी नागरिकों की पहचान करना है. एनआरसी को बनाने का प्रावधान, संशोधित नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत किया गया था. एनआरसी की शुरुआत 2013 में सुप्रीम कोर्ट की देख-रेख में असम में हुई थी. असम में एनआरसी को अंतिम रूप देने का काम 31 अगस्त 2019 को पूरा हुआ था. असम में एनआरसी तैयार करने के लिए आवेदन-आधारित प्रक्रिया अपनाई गई थी. केंद्र सरकार ने एनआरसी को पूरे भारत में लागू करने का वादा किया है. एनआरसी लागू होने के बाद, अवैध प्रवासियों को भारतीय पहचान पत्र हासिल करना और उनके अधिकारों का लाभ उठाना मुश्किल हो जाएगा. अभी उत्तराखंड में राज्य सरकार ने एनआरसी को लागू किया है.
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