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स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद सपा को एक और झटका, पूर्व राज्यसभा सदस्य सलीम शेरवानी ने छोड़ा पद

सपा के बड़े नेता सलीम शेरवानी (SP leader Saleem Sherwani) ने सपा महासचिव के पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई. जानिए पत्र में क्या लिखा...

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 18, 2024, 4:09 PM IST

Updated : Feb 18, 2024, 4:49 PM IST

लखनऊ: लोकसभा चुनाव की घोषणा से कुछ समय पहले सपा को बड़ा झटका लगा. सपा के बड़े नेता सलीम शेरवानी ने सपा महासचिव पद से रविवार को इस्तीफा दे दिया. पूर्व राज्यसभा सदस्य सलीम शेरवानी राज्यसभा न भेजे जाने से नाराज हैं. अखिलेश यादव को भेजे पत्र में उन्होंने कहा कि हमें नहीं भेजा कोई बात नहीं. आपने PDA को महत्व नहीं दिया. जल्द सपा से अलविदा लेंगे शेरवानी. इससे पहले एक अन्य महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. आलोक रंजन और जया बच्चन के नामांकन को लेकर यह नेता नाराज बताए जा रहे हैं.

सलीम शेरवानी ने अखिलेश यादव को लिखा पत्र
सलीम शेरवानी ने अखिलेश यादव को लिखा पत्र

सलीम शेरवानी ने अखिलेश यादव को पत्र में यह लिखा

मैं पिछले कुछ समय से आपसे लगातार मुसलमानों की स्थिति पर चर्चा करता रहा हूँ और मैंने हमेशा आपको यह बताने का प्रयास किया कि मुसलमान उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और पार्टी के प्रति अपना विश्वास लगातार खो रहे हैं. पार्टी के साथ उनकी दूरी लगातार बढ़ रही है और वो एक सच्चे 'रहनुमा' की तलाश में हैं. मैंने आपको यह भी बताने का प्रयास किया कि पार्टी को उनके समर्थन को कम करके नहीं आंकना चाहिए. मुसलमानों में यह भावना बढ़ती जा रही है कि धर्मनिरपेक्ष मोर्चे में कोई भी उनके जायज मुद्दे को उठाने के लिए तैयार नहीं है. मैंने पार्टी की परंपरा के अनुसार, आपसे बार-बार मुस्लिम समाज के लिए एक राज्यसभा सीट के लिए अनुरोध किया था (भले ही आप मेरे नाम पर विचार नहीं करते). लेकिन, पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवारों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं था. आपके द्वारा जिस तरह से राज्यसभा के टिकट का वितरण किया गया है, उससे यह प्रदर्शित होता है कि आप खुद ही पीडीए को कोई महत्व नहीं देते हैं. इस कारण यह प्रश्न उठता है कि आप भाजपा से अलग कैसे हैं?

उन्होंने पत्र में लिखा कि एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का प्रयास बेमानी साबित हो रहा है और कोई भी इसके बारे में गंभीर नहीं दिखता है. ऐसा लगता है कि विपक्ष सत्ता पक्ष की गलत नीतियों से लड़ने की तुलना में एक-दूसरे से लड़ने में अधिक रुचि रखता है. धर्मनिरपेक्षता दिखावटी बन गई है. भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में मुसलमानों ने कभी भी समानता, गरिमा और सुरक्षा के साथ जीवन जीने के अपने अधिकार के अलावा कुछ नहीं मांगा, लेकिन, पार्टी को यह मांग भी बहुत बड़ी लगती है. पार्टी के पास हमारी इस मांग का कोई जवाब नहीं है. इसलिए, मुझे लगता है कि मैं सपा में अपनी वर्तमान स्थिति के साथ अपने समुदाय की स्थिति में कोई बदलाव नहीं ला सकता. इस परिस्थिति में मैं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से अपना इस्तीफा दे रहा हूं. मैं अगले कुछ हफ्तों के भीतर अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में निर्णय लूंगा.

यह भी पढ़ें: स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा महासचिव पद से दिया इस्तीफा, बोले-मेरे बयानों को निजी बताकर पार्टी ने किया अपमान

लखनऊ: लोकसभा चुनाव की घोषणा से कुछ समय पहले सपा को बड़ा झटका लगा. सपा के बड़े नेता सलीम शेरवानी ने सपा महासचिव पद से रविवार को इस्तीफा दे दिया. पूर्व राज्यसभा सदस्य सलीम शेरवानी राज्यसभा न भेजे जाने से नाराज हैं. अखिलेश यादव को भेजे पत्र में उन्होंने कहा कि हमें नहीं भेजा कोई बात नहीं. आपने PDA को महत्व नहीं दिया. जल्द सपा से अलविदा लेंगे शेरवानी. इससे पहले एक अन्य महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. आलोक रंजन और जया बच्चन के नामांकन को लेकर यह नेता नाराज बताए जा रहे हैं.

सलीम शेरवानी ने अखिलेश यादव को लिखा पत्र
सलीम शेरवानी ने अखिलेश यादव को लिखा पत्र

सलीम शेरवानी ने अखिलेश यादव को पत्र में यह लिखा

मैं पिछले कुछ समय से आपसे लगातार मुसलमानों की स्थिति पर चर्चा करता रहा हूँ और मैंने हमेशा आपको यह बताने का प्रयास किया कि मुसलमान उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और पार्टी के प्रति अपना विश्वास लगातार खो रहे हैं. पार्टी के साथ उनकी दूरी लगातार बढ़ रही है और वो एक सच्चे 'रहनुमा' की तलाश में हैं. मैंने आपको यह भी बताने का प्रयास किया कि पार्टी को उनके समर्थन को कम करके नहीं आंकना चाहिए. मुसलमानों में यह भावना बढ़ती जा रही है कि धर्मनिरपेक्ष मोर्चे में कोई भी उनके जायज मुद्दे को उठाने के लिए तैयार नहीं है. मैंने पार्टी की परंपरा के अनुसार, आपसे बार-बार मुस्लिम समाज के लिए एक राज्यसभा सीट के लिए अनुरोध किया था (भले ही आप मेरे नाम पर विचार नहीं करते). लेकिन, पार्टी द्वारा घोषित उम्मीदवारों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं था. आपके द्वारा जिस तरह से राज्यसभा के टिकट का वितरण किया गया है, उससे यह प्रदर्शित होता है कि आप खुद ही पीडीए को कोई महत्व नहीं देते हैं. इस कारण यह प्रश्न उठता है कि आप भाजपा से अलग कैसे हैं?

उन्होंने पत्र में लिखा कि एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का प्रयास बेमानी साबित हो रहा है और कोई भी इसके बारे में गंभीर नहीं दिखता है. ऐसा लगता है कि विपक्ष सत्ता पक्ष की गलत नीतियों से लड़ने की तुलना में एक-दूसरे से लड़ने में अधिक रुचि रखता है. धर्मनिरपेक्षता दिखावटी बन गई है. भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में मुसलमानों ने कभी भी समानता, गरिमा और सुरक्षा के साथ जीवन जीने के अपने अधिकार के अलावा कुछ नहीं मांगा, लेकिन, पार्टी को यह मांग भी बहुत बड़ी लगती है. पार्टी के पास हमारी इस मांग का कोई जवाब नहीं है. इसलिए, मुझे लगता है कि मैं सपा में अपनी वर्तमान स्थिति के साथ अपने समुदाय की स्थिति में कोई बदलाव नहीं ला सकता. इस परिस्थिति में मैं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव के पद से अपना इस्तीफा दे रहा हूं. मैं अगले कुछ हफ्तों के भीतर अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में निर्णय लूंगा.

यह भी पढ़ें: स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा महासचिव पद से दिया इस्तीफा, बोले-मेरे बयानों को निजी बताकर पार्टी ने किया अपमान

Last Updated : Feb 18, 2024, 4:49 PM IST
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