कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा लोकसभा सीट पर 7 मई को मतदान है. ऐसे में अब क्षेत्र के लोग मुखर होकर अपने मुद्दों के लिए आवाज उठाने लगे हैं. ईटीवी भारत अलग-अलग वर्गों से बातचीत कर उनके आवाज को जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाने का काम कर रहा है. इसी बीच ईटीवी भारत की टीम कोरबा के जिला एवं सत्र न्यायालय पहुंची. ईटीवी भारत ने यहां वकीलों से बातचीत की. वकीलों ने खुलकर अपनी बात रखी. ये वकील अपने लिए सुरक्षा कानून के साथ ही स्थानीय स्तर पर प्रदूषण को कम करने की बात मांग कर रहे हैं.
एडवोकेट प्रोडक्शन एक्ट किया जाए लागू : ईटीवी से बातचीत के दौरान अधिवक्ता क्रांति ने कहा कि, "समय-समय पर हम वकीलों के द्वारा एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग उठाई जाती है, लेकिन कानून आज तक नहीं बन पाया है. हम न्याय के पेशे से जुड़े हैं, जब एक पक्ष के लिए हम जिरह करते हैं, तो दूसरा पक्ष हम पर हावी होने की कोशिश करता है. कई बार हमारे साथ हिंसक घटनाएं भी होती हैं, इसलिए हमारे लिए सुरक्षा बेहद जरूरी हो जाती है. हम चाहते हैं कि सरकार जिसकी भी बने अधिवक्ताओं के लिए इस कानून पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए.
प्रदूषण जिले के लिए बड़ी समस्या: अधिवक्ता कमलेश साहू ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि, "बुद्धिजीवी वर्ग चाहते हैं कि ठोस और मजबूत सरकार बने. ताकि वह निर्णय लेने में सक्षम हो, बीती सरकारों ने भी अच्छा काम किया है, लेकिन जिले में जो प्रदूषण का मामला है. वह पूरी तरह से निरंकुश होने के कगार पर पहुंच गया है. राख का मुद्दा इतना बढ़ रहा है कि इसका समाधान किसी के पास नहीं है. जिले में बड़े बड़े पावर प्लांट हैं, जिससे निकालने वाला राख अब आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है. किसी की निजी जमीन हो या फिर मुख्य सड़क के किनारे का इलाका, राख परिवहनकर्ता इसे बेतरतीब ढंग से फेंक देते हैं और चले जाते हैं. इस पर ठोस कार्रवाई होनी चाहिए, जो भी सांसद जीत कर आएं, उन्हें इस परेशानी का समाधान करना चाहिए."
युवा वकीलों का रखा जाना चाहिए ध्यान: बातचीत के दौरान वकील शिवकुमार ने कहा कि, "पिछला कार्यकाल कांग्रेस की ज्योत्सना महंत का था, जिन्हें हम सबने देखा, लेकिन जो उम्मीद की थी, उस पर वह खरी नहीं उतर सकीं. शिक्षित बेरोजगारों का मामला जिले में छाया रहता है. जिले में उद्योग तो हैं, लेकिन उसमें स्थानीय बेरोजगारों को पर्याप्त अवसर नहीं मिल पाया. मुद्रा लोन योजना है, लेकिन इसे बेहद जटिल बना दिया गया है. युवा इसका लाभ नहीं ले पाते. युवा बेरोजगारों के लिए रोजगार के नए अवसर तलाशे जाने चाहिए. हमारे देश के कई राज्य ऐसे हैं. जहां पर न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले युवा अधिवक्ताओं को कुछ दिन तक स्टाइपेंड की सुविधा दी जाती है. हाल ही में योगी आदित्यनाथ जिले में आए थे. यूपी में उन्होंने यह व्यवस्था की है. छत्तीसगढ़ में भी इस तरह की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए."
छोटी-छोटी बातों का रखा जाना चाहिए ध्यान: न्यायालय परिसर में काम करने वाली महिला अधिवक्ताओं ने भी अपनी बात रखी है. उनका कहना है कि जो भी सांसद जीतकर आएं, हमें उनसे सकारात्मक उम्मीद है. हम चाहते हैं कि दावों और वादों से ऊपर उठकर एक जनप्रतिनिधि अधिवक्ताओं के हितों की रक्षा करें. समाज को नई दिशा दें और छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें. ताकि प्रत्येक व्यक्ति को सुविधा मिल सके."
कुल मिलाकर कोरबा के वोटरों ने क्षेत्र के विकास को लेकर अपनी बात रखी है. ऐसे में साफ है कि कोरबा की जनता क्षेत्र में विकास के लिए मतदान करेगी.