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संविधान के तीनों स्तंभों की अपनी सीमाएं हैं, उन सीमाओं के भीतर काम करने का प्रयास करना चाहिए: ओम बिरला

Om Birla Statement On Constitution लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शनिवार को छत्तीसगढ़ दौरे पर रायपुर पहुंचे. छत्तीसगढ़ विधानसभा के नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित ओरिएंटेशन कार्यक्रम में वे शामिल हुए. इस दौरान ओम बिरला ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के विधायकों के साथ संविधान को लेकर चर्चा की. साथ ही तीनों स्तंभों की सीमाएं व उन्हें अपनी सीमा और कार्यक्षेत्र के भीतर काम करने को लेकर मार्गदर्शन दिया.

Om Birla Raipur Visit
ओम बिरला का रायपुर दौरा
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 21, 2024, 2:19 PM IST

रायपुर: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शनिवार को छत्तीसगढ़ दौरे पर रहे. रायपुर में उन्होंने छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यों के लिए एक ओरिएंटेशन कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ विष्णु देव साय, छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह, छत्तीसगढ़ सरकार के सभी मंत्री, छत्तीसगढ़ विधानसभा के विधायक, लोकसभा के महासचिव और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम की शामिल हुए.

संविधान के तीनों स्तंभों की सीमाओं पर चर्चा: छत्तीसगढ़ विधानसभा में आयोजित ओरिएंटेशन कार्यक्रम के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "हमारे संविधान में तीन स्तंभ हैं विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका. हर किसी की अपनी सीमाएं हैं. सभी स्तंभों को अपनी सीमा और अपने कार्यक्षेत्र के भीतर काम करने का प्रयास करना चाहिए. जहां तक कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका का सवाल है, हम सभी एक-दूसरे के पूरक हैं और सद्भाव से काम करते हैं. न्यायपालिका को किसी भी कानून की समीक्षा करने का अधिकार है.

अगर विधायिका ठीक से काम करे और आवश्यकता के अनुसार अधिकतम चर्चा हो तो कोई भी स्तंभ हस्तक्षेप नहीं कर पाएगा. यदि विधायिका (स्तंभ) मजबूत है तो कार्यपालिका के भीतर जवाबदेही तय हो सकेगी और पारदर्शिता आएगी. न्यायपालिका भी विधायिका पक्ष से अपेक्षा करती है कि वह अपना काम करे. मुझे उम्मीद है कि ये तीनों स्तंभ अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में काम करेंगे. - ओम बिरला, लोकसभा सभापति

सदन में मर्यादित आचरण को बताया जरूरी: सदन में सार्थक चर्चा की जरूरत पर जोर देते हुए बिरला ने कहा, "हमारा प्रयास है कि कम से कम गतिरोध हो और संसद या विधानसभा में चर्चा और संवाद हो. असहमति हो सकती है, लेकिन यह संवैधानिक आचरण और मर्यादा के अनुरूप होनी चाहिए. क्योंकि भारत के लोकतंत्र की ताकत, उच्च परंपराएं दुनिया भर के लोकतंत्रों को मार्गदर्शन प्रदान करती हैं. भारत का लोकतंत्र दुनिया में इसलिए सफल है, क्योंकि चर्चा, संवाद, सहमति और असहमति उसकी दिनचर्या का हिस्सा रही है."

सदन में सार्थक चर्चा पर दिया जोर: लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, "यह देश की परंपराओं और रीति-रिवाजों का हिस्सा रहा है. इसलिए आजादी के 75 साल के भीतर देश में समृद्धि और खुशहाली ऐसी ही चर्चाओं और संवादों से हासिल हुई है. देश की संसद और विधानसभाओं में कई मुद्दों पर सहमति बनी है. हमारा प्रयास है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों राज्य विधानसभाओं में एक साथ आकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करें और राज्य के विकास के लिए काम करें."

ओम बिरला ने इस बात पर खुशी जताई कि छत्तीसगढ़ में 50 नए विधायक चुने गए हैं और इस बार महिलाओं की संख्या भी अधिक है. धीरे-धीरे महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है. आने वाले समय में राज्य और लोकसभा में महिलाओं को आरक्षण मिलने के बाद महिलाओं जनप्रतिनिधियों की संख्या और बढ़ेगी. पहली बार चुने गए विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों की समस्याओं और राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा करनी चाहिए.

(पीटीआई)

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संविधान के तीनों स्तंभों की सीमाओं पर चर्चा: छत्तीसगढ़ विधानसभा में आयोजित ओरिएंटेशन कार्यक्रम के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "हमारे संविधान में तीन स्तंभ हैं विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका. हर किसी की अपनी सीमाएं हैं. सभी स्तंभों को अपनी सीमा और अपने कार्यक्षेत्र के भीतर काम करने का प्रयास करना चाहिए. जहां तक कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका का सवाल है, हम सभी एक-दूसरे के पूरक हैं और सद्भाव से काम करते हैं. न्यायपालिका को किसी भी कानून की समीक्षा करने का अधिकार है.

अगर विधायिका ठीक से काम करे और आवश्यकता के अनुसार अधिकतम चर्चा हो तो कोई भी स्तंभ हस्तक्षेप नहीं कर पाएगा. यदि विधायिका (स्तंभ) मजबूत है तो कार्यपालिका के भीतर जवाबदेही तय हो सकेगी और पारदर्शिता आएगी. न्यायपालिका भी विधायिका पक्ष से अपेक्षा करती है कि वह अपना काम करे. मुझे उम्मीद है कि ये तीनों स्तंभ अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में काम करेंगे. - ओम बिरला, लोकसभा सभापति

सदन में मर्यादित आचरण को बताया जरूरी: सदन में सार्थक चर्चा की जरूरत पर जोर देते हुए बिरला ने कहा, "हमारा प्रयास है कि कम से कम गतिरोध हो और संसद या विधानसभा में चर्चा और संवाद हो. असहमति हो सकती है, लेकिन यह संवैधानिक आचरण और मर्यादा के अनुरूप होनी चाहिए. क्योंकि भारत के लोकतंत्र की ताकत, उच्च परंपराएं दुनिया भर के लोकतंत्रों को मार्गदर्शन प्रदान करती हैं. भारत का लोकतंत्र दुनिया में इसलिए सफल है, क्योंकि चर्चा, संवाद, सहमति और असहमति उसकी दिनचर्या का हिस्सा रही है."

सदन में सार्थक चर्चा पर दिया जोर: लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, "यह देश की परंपराओं और रीति-रिवाजों का हिस्सा रहा है. इसलिए आजादी के 75 साल के भीतर देश में समृद्धि और खुशहाली ऐसी ही चर्चाओं और संवादों से हासिल हुई है. देश की संसद और विधानसभाओं में कई मुद्दों पर सहमति बनी है. हमारा प्रयास है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों राज्य विधानसभाओं में एक साथ आकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करें और राज्य के विकास के लिए काम करें."

ओम बिरला ने इस बात पर खुशी जताई कि छत्तीसगढ़ में 50 नए विधायक चुने गए हैं और इस बार महिलाओं की संख्या भी अधिक है. धीरे-धीरे महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है. आने वाले समय में राज्य और लोकसभा में महिलाओं को आरक्षण मिलने के बाद महिलाओं जनप्रतिनिधियों की संख्या और बढ़ेगी. पहली बार चुने गए विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों की समस्याओं और राज्य के महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा करनी चाहिए.

(पीटीआई)

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