जयपुर. लोकसभा चुनाव के रण में पहले चरण में प्रदेश की 12 सीटों पर मतदान है. सुबह 7 से शाम 6 बजे तक मतदाता प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में दर्ज कर देंगे. उसके बाद 4 जून को पता चलेगा कि मतदाताओं ने किसे सिरमौर बनाया है. राजस्थान की जिन 12 सीटों पर मतदान है. उनमें से दो सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस और अन्य पार्टियों के गठबंधन के प्रत्याशी मैदान में हैं. जबकि 10 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. ऐसे में इनमें से कई सीट ऐसी हैं, जहां कांग्रेस प्रत्याशियों के साथ ही पार्टी के कई दिग्गज नेताओं की साख भी दांव पर लगी है. आइए नजर डालते हैं, पहले चरण में शामिल ऐसी सीटों पर, जहां यह लोकसभा चुनाव दिग्गजों की नाक का सवाल बना हुआ है.
श्रीगंगानगर: इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर कुलदीप इंदौरा चुनाव लड़ रहे हैं. कुलदीप इंदौरा पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट के खास माने जाते हैं. पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अनूपगढ़ में सभा भी की थी, ताकि कुलदीप इंदौरा के समर्थन में मतदाताओं को साधा जा सके. ऐसे में इस सीट के चुनाव परिणाम से सचिन पायलट के साथ ही राहुल गांधी की साख भी जुड़ गई है.
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बीकानेर: बीकानेर लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री गोविंदराम मेघवाल कांग्रेस के उम्मीदवार हैं. मेघवाल पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी हैं. अनूपगढ़ विधानसभा क्षेत्र बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में आता है, जहां राहुल गांधी ने सभा की थी. ऐसे में इस सीट के चुनाव परिणाम से गोविंदराम मेघवाल और अशोक गहलोत के साथ ही राहुल गांधी की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है.
चूरू: यह सीट प्रदेश की हॉट सीटों में से एक है. जहां भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामने वाले राहुल कस्वां को कांग्रेस चुनावी मैदान में उतारा है. राहुल कस्वां को कांग्रेस में लाने और टिकट दिलवाने में प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की अहम भूमिका मानी जा रही है. ऐसे में इस सीट के चुनावी परिणाम से गोविंद सिंह डोटासरा की प्रतिष्ठा भी जुड़ गई है.
झुंझुनू: कांग्रेस ने इस सीट पर कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे शीशराम ओला के बेटे और पूर्व मंत्री बृजेन्द्र ओला को मैदान में उतारा है. यह सीट ओला परिवार का गढ़ मानी जाती है. शीशराम ओला झुंझुनूं सीट से छह बार सांसद रहे हैं. जबकि खुद बृजेन्द्र ओला भी लगातार चार बार से विधायक हैं. इसके साथ ही प्रदेश की जाट राजनीति के लिहाज से भी यह सीट अपना अलग स्थान रखती है. ऐसे में इस सीट के चुनावी परिणाम पर भी सबकी निगाह रहने वाली है.
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सीकर: यह सीट कांग्रेस ने गठबंधन के चलते सीपीआई(एम) के लिए छोड़ी है. कॉमरेड अमराराम सीपीआई(एम)-कांग्रेस के गठबंधन के प्रत्याशी हैं. सीकर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का गृह जिला है और यहां सीपीआई(एम) से गठबंधन में भी उनकी अहम भूमिका मानी जाती है. ऐसे में इस सीट के चुनावी परिणाम सीपीआई(एम) और कांग्रेस का सियासी भविष्य तो तय करेंगे ही. साथ ही इस सीट से गोविंद सिंह डोटासरा की प्रतिष्ठा भी सीधे तौर पर जुड़ी हुई है.
जयपुर ग्रामीण: इस सीट से युवा चेहरे के तौर पर कांग्रेस ने अनिल चोपड़ा पर दांव खेला है. अनिल चोपड़ा सचिन पायलट के करीबी है और उन्होंने भी पूरा जोर इस सीट पर लगाया हुआ है. सचिन पायलट जयपुर ग्रामीण में अनिल चोपड़ा के समर्थन में प्रचार करने भी उतरे हैं. इसके साथ ही कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी ने जयपुर में सभा कर जयपुर ग्रामीण के मतदाताओं को भी साधने का प्रयास किया था.
जयपुर शहर: इस सीट पर गहलोत सरकार में मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास चुनावी मैदान में हैं. प्रताप सिंह खाचरियावास के समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी चुनावी सभाएं की हैं. इसके अलावा सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी की सभा भी जयपुर में हुई थी.
अलवर: इस सीट पर कांग्रेस ने युवा चेहरे के तौर पर ललित यादव पर दांव खेला है. ललित यादव ने बीते साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में मुंडावर से जीत दर्ज की है. इसके बाद पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव में अलवर सीट से टिकट दिया. अलवर में पिछले दिनों कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने करीब तीन किमी लंबा रोड शो कर मतदाताओं को साधने के प्रयास किया था.
भरतपुर: इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर संजना जाटव मैदान में है. संजना जिला परिषद सदस्य हैं और कठूमर से विधानसभा चुनाव लड़ी लेकिन मामूली अंतर से चुनाव हार गई. उन्हें भी युवा चेहरे के तौर पर कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में मौका दिया है.
करौली-धौलपुर: इस सीट से कांग्रेस ने भजनलाल जाटव को मैदान में उतारा है. वे पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में मंत्री रह चुके हैं और सचिन पायलट के करीबी माने जाते हैं. प्रचार अभियान में सचिन पायलट ने भजनलाल जाटव के समर्थन में सभा भी की है.
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दौसा: इस सीट से कांग्रेस ने मुरारीलाल मीना को चुनावी मैदान में उतारा है. मुरारीलाल मीना पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में मंत्री थे. वे सचिन पायलट के करीबी हैं. उनके चुनाव प्रचार में भी सचिन पायलट ने काफी मेहनत की है. इसके अलावा दौसा पायलट परिवार का गढ़ रहा है. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी बांदीकुई (दौसा) में मुरारीलाल मीना के समर्थन में सभा की थी.
नागौर: पहले चरण के चुनाव में नागौर प्रदेश की हॉट सीट है. गठबंधन के चलते कांग्रेस ने यह सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के लिए छोड़ी और हनुमान बेनीवाल यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस और रालोपा में गठबंधन के लिए पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने काफी प्रयास किए और प्रचार के आखिरी दौर में हनुमान बेनीवाल के लिए अशोक गहलोत ने पूरी ताकत झोंकी. जाट राजनीति के लिहाज से भी यह सीट अपना अलग स्थान रखती है. ऐसे में इस सीट के परिणाम पर सबकी निगाहें हैं. हनुमान बेनीवाल के साथ ही इस सीट से अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा भी जुड़ गई है.