ETV Bharat / state

लोकसभा चुनाव 2024: सपा ने दूसरी लिस्ट जारी कर मचाई सियासी हलचल, जानिए प्रत्याशियों के बारे में - सपा 11 प्रत्याशी लिस्ट

लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने में बस कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में पूरे देश में सियासी हलचल तेज हो गई है. लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी के लेकर जोर आजमाइश के साथ दल-बदल का खेल तेजी से चल रहा है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 19, 2024, 9:33 PM IST

चंदौली से पूर्व मंत्री विरेंद्र सिंह पर सपा ने दांव लगाया है.

लखनऊः लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने में बस कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में पूरे देश में सियासी हलचल तेज हो गई है. लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी के लेकर जोर आजमाइश के साथ दल-बदल का खेल तेजी से चल रहा है. सियासी उथल-पुथल के बीच समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले उम्मीदवार की दो सूची जारी कर दी है. सपा ने दूसरी सूची में 11 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. इसमें दो महिला उम्मीदवार भी हैं. आइए जानते हैं ये उम्मीदवार कौन हैं और इनका इतिहास है.

शाहजहांपुर से राजेश कश्यप को प्रत्याशी बनाया है.

अफजाल अंसारी ने की घर वापसीः अखिलेश यादव ने बसपा से सांसद और माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी पर दांव खेलते हुए गाजीपुर से ही उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि हाल ही अफजाल अंसारी 5 बार विधायक और 2 बार सांसद चुने गए हैं। अफजाल अंसारी 1985 में पहली बार मुहम्मदाबाद से भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी से विधायक बने थे. इसके बाद 1996 तक विधानसभा के सदस्य रहे। 2002 में सपा के टिकट पर संसद बने। इसके बाद 2009 और 2014 में चुनव गर गए। इसके 2019 में बसपा के टिकट पर मनोज सिन्हा को हराकर फिर सांसद बने। ठीक चुनाव से पहले अफजाल ने फिर से सपा का दामन थाम लिया। इस बीच अफजाल पर कई केस दर्ज हुए और जेल भी जाना पड़ा.

मुजफ्फरनगर से हरेंद्र मलिक सपा प्रत्याशी : सपा ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से हरेंद्र मालिक को प्रत्याशी घोषित किया है. 70 वर्षीय हरेंद्र सिंह मलिक पूर्व में राज्यसभा के संसद रह चुके हैं और वर्तमान में राष्ट्रीय महासचिव हैं. इनके बेटे पंकज मलिक भी मुजफ्फरनगर के चरथावल से वर्तमान में विधायक हैं. हरेंद्र मालिक बहुत पुराने नेता है और समाजवादी पार्टी ने उनपर अपना भरोसा जताया है. बता दें कि हरेंद्र मालिक ने कांग्रेस को छोड़कर विधानसभा चुनाव 2022 से पहले सपा का दामन थामा था. इससे पहले मलिक कैराना और मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. मलिक पहली बार 1985 में लोकदल के टिकट पर खतौली सीट से विधायक बने थे. इसके बाद 1989 में जनता दल में शामिल गए और बघरा सीट से चुनाव लड़ा. सात वर्षों तक विधायक रहे और 2002 में वह राज्यसभा के सदस्य बने.

गोंडा से श्रेया वर्माः सपा ने जातिगत समीकरण साधते हुए गोंडा से युवा नेता श्रेया वर्मा को उम्मीदवार बनाया है. श्रेया वर्मा इस समय समाजवादी पार्टी में महिला कार्याकिरणी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. सपा में श्रेया वर्मा की तीसरी पीढ़ी है. श्रेया सपा के कद्दावर नेता स्व. बेनी प्रसाद वर्मा की पोती और कैबिनेट मंत्री रहे राकेश वर्मा की बेटी हैं. बता दें कि गोंडा लोकसभा क्षेत्र में 21 फीसद कुर्मी मतदाता है, जिसको देखते हुए सपा ने श्रेया पर दांव खेला है.

ऊषा वर्मा पर फिर जताया भरोसा : हरदोई लोकसभा सुरक्षित सीट से समाजवादी पार्टी की पुरानी नेता ऊषा वर्मा पर एक बार फिर भरोसा जताया है. बता दें कि 5 मई 1963 को रुड़की में जन्मीं ऊषा वर्मा ने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1995 में ब्लॉक प्रमुख के रूप में शुरू की थी. इसके बाद पहली बार 1998 में सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं और भाजपा के तिलिस्म को तोड़ा था. सपा सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुकी हैं. ऊषा वर्मा 2004 और 2009 में सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीती थीं. उम्मीदवार को तौर पर जीत दर्ज की. हालांकि 2014 में मोदी लहर में हार गईं.इसके बाद 2022 विधानसभा चुनाव में सांडी विधानसभा सीट से भी हार गईं थी.

चंदौली से पूर्व मंत्री विरेंद्र सिंह पर दांव : सपा ने चंदौली लोकसभा से पूर्व मंत्री विरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बना सभी को चौंका दिया है. विरेद्र ने कहा कि लड़ाई पीडीए और भाजपा के बीच है. भाजपा ने भ्रम और आडंबर को पैदा करके वोट लेने का काम किया है. कहा कि चंदौली के वर्तमान सांसद केंद्र सरकार में भारी उद्योग मंत्री है. बावजूद इसके चंदौली के युवाओं के हित और बेरोजगारी को दूर करने की कोई पहल नहीं की गई है. विरेंद्र सिंह ने चिरईगांव विधानसभा सीट से 1996 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. 2003 में चिरईगांव विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. सपा सरकार में वे वन मंत्री बने. हालांकि बाद में 2012 में फिर कांग्रेस ज्वाइन की. चुनाव बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और 2017 में फिर बसपा में चले गए. कुछ दिनों तक पार्टी में रहने के बाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए.

शाहजहांपुर से राजेश कश्यप : सपा ने शाहजहांपुर से राजेश कश्यप को अपना प्रत्याशी बनाया है. राजेश इससे पहले बरेली के फरीदपुर से विधानसभा चुनाव को लेकर टिकट मांग चुके थे. सपा से लोकसभा का टिकट मिलने के बाद राजेश कश्यप ने कहा है कि जो भरोसा पार्टी ने उन पर किया है, उस पर वह खरा उतरेंगे. कहा कि जनता बीजेपी खफा है और समाजवादी पार्टी में अपना विकल्प ढूंढ रही है. बता दें कि राजेश कश्यप का जन्म 2 अगस्त 1983 को हुआ है. राजेश कश्यप मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं. उन्होंने ओपन यूनिवर्सिटी से बीए किया है. उनकी शिक्षा दिल्ली में ही हुई है.

यह भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव 2024; सपा ने 11 और सीटों पर उतारे प्रत्याशी, गाजीपुर से अफजाल अंसारी को टिकट

यह भी पढ़ें : कांग्रेस की न्याय यात्रा में शामिल होने के लिए रखी शर्त, अखिलेश बोले- सीट शेयरिंग के बाद राहुल के साथ आएंगे

चंदौली से पूर्व मंत्री विरेंद्र सिंह पर सपा ने दांव लगाया है.

लखनऊः लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने में बस कुछ ही दिन बचे हैं. ऐसे में पूरे देश में सियासी हलचल तेज हो गई है. लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी के लेकर जोर आजमाइश के साथ दल-बदल का खेल तेजी से चल रहा है. सियासी उथल-पुथल के बीच समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले उम्मीदवार की दो सूची जारी कर दी है. सपा ने दूसरी सूची में 11 उम्मीदवारों की सूची जारी की है. इसमें दो महिला उम्मीदवार भी हैं. आइए जानते हैं ये उम्मीदवार कौन हैं और इनका इतिहास है.

शाहजहांपुर से राजेश कश्यप को प्रत्याशी बनाया है.

अफजाल अंसारी ने की घर वापसीः अखिलेश यादव ने बसपा से सांसद और माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी पर दांव खेलते हुए गाजीपुर से ही उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि हाल ही अफजाल अंसारी 5 बार विधायक और 2 बार सांसद चुने गए हैं। अफजाल अंसारी 1985 में पहली बार मुहम्मदाबाद से भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी से विधायक बने थे. इसके बाद 1996 तक विधानसभा के सदस्य रहे। 2002 में सपा के टिकट पर संसद बने। इसके बाद 2009 और 2014 में चुनव गर गए। इसके 2019 में बसपा के टिकट पर मनोज सिन्हा को हराकर फिर सांसद बने। ठीक चुनाव से पहले अफजाल ने फिर से सपा का दामन थाम लिया। इस बीच अफजाल पर कई केस दर्ज हुए और जेल भी जाना पड़ा.

मुजफ्फरनगर से हरेंद्र मलिक सपा प्रत्याशी : सपा ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से हरेंद्र मालिक को प्रत्याशी घोषित किया है. 70 वर्षीय हरेंद्र सिंह मलिक पूर्व में राज्यसभा के संसद रह चुके हैं और वर्तमान में राष्ट्रीय महासचिव हैं. इनके बेटे पंकज मलिक भी मुजफ्फरनगर के चरथावल से वर्तमान में विधायक हैं. हरेंद्र मालिक बहुत पुराने नेता है और समाजवादी पार्टी ने उनपर अपना भरोसा जताया है. बता दें कि हरेंद्र मालिक ने कांग्रेस को छोड़कर विधानसभा चुनाव 2022 से पहले सपा का दामन थामा था. इससे पहले मलिक कैराना और मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. मलिक पहली बार 1985 में लोकदल के टिकट पर खतौली सीट से विधायक बने थे. इसके बाद 1989 में जनता दल में शामिल गए और बघरा सीट से चुनाव लड़ा. सात वर्षों तक विधायक रहे और 2002 में वह राज्यसभा के सदस्य बने.

गोंडा से श्रेया वर्माः सपा ने जातिगत समीकरण साधते हुए गोंडा से युवा नेता श्रेया वर्मा को उम्मीदवार बनाया है. श्रेया वर्मा इस समय समाजवादी पार्टी में महिला कार्याकिरणी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. सपा में श्रेया वर्मा की तीसरी पीढ़ी है. श्रेया सपा के कद्दावर नेता स्व. बेनी प्रसाद वर्मा की पोती और कैबिनेट मंत्री रहे राकेश वर्मा की बेटी हैं. बता दें कि गोंडा लोकसभा क्षेत्र में 21 फीसद कुर्मी मतदाता है, जिसको देखते हुए सपा ने श्रेया पर दांव खेला है.

ऊषा वर्मा पर फिर जताया भरोसा : हरदोई लोकसभा सुरक्षित सीट से समाजवादी पार्टी की पुरानी नेता ऊषा वर्मा पर एक बार फिर भरोसा जताया है. बता दें कि 5 मई 1963 को रुड़की में जन्मीं ऊषा वर्मा ने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1995 में ब्लॉक प्रमुख के रूप में शुरू की थी. इसके बाद पहली बार 1998 में सपा के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं और भाजपा के तिलिस्म को तोड़ा था. सपा सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुकी हैं. ऊषा वर्मा 2004 और 2009 में सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीती थीं. उम्मीदवार को तौर पर जीत दर्ज की. हालांकि 2014 में मोदी लहर में हार गईं.इसके बाद 2022 विधानसभा चुनाव में सांडी विधानसभा सीट से भी हार गईं थी.

चंदौली से पूर्व मंत्री विरेंद्र सिंह पर दांव : सपा ने चंदौली लोकसभा से पूर्व मंत्री विरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बना सभी को चौंका दिया है. विरेद्र ने कहा कि लड़ाई पीडीए और भाजपा के बीच है. भाजपा ने भ्रम और आडंबर को पैदा करके वोट लेने का काम किया है. कहा कि चंदौली के वर्तमान सांसद केंद्र सरकार में भारी उद्योग मंत्री है. बावजूद इसके चंदौली के युवाओं के हित और बेरोजगारी को दूर करने की कोई पहल नहीं की गई है. विरेंद्र सिंह ने चिरईगांव विधानसभा सीट से 1996 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. 2003 में चिरईगांव विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया. सपा सरकार में वे वन मंत्री बने. हालांकि बाद में 2012 में फिर कांग्रेस ज्वाइन की. चुनाव बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और 2017 में फिर बसपा में चले गए. कुछ दिनों तक पार्टी में रहने के बाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए.

शाहजहांपुर से राजेश कश्यप : सपा ने शाहजहांपुर से राजेश कश्यप को अपना प्रत्याशी बनाया है. राजेश इससे पहले बरेली के फरीदपुर से विधानसभा चुनाव को लेकर टिकट मांग चुके थे. सपा से लोकसभा का टिकट मिलने के बाद राजेश कश्यप ने कहा है कि जो भरोसा पार्टी ने उन पर किया है, उस पर वह खरा उतरेंगे. कहा कि जनता बीजेपी खफा है और समाजवादी पार्टी में अपना विकल्प ढूंढ रही है. बता दें कि राजेश कश्यप का जन्म 2 अगस्त 1983 को हुआ है. राजेश कश्यप मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं. उन्होंने ओपन यूनिवर्सिटी से बीए किया है. उनकी शिक्षा दिल्ली में ही हुई है.

यह भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव 2024; सपा ने 11 और सीटों पर उतारे प्रत्याशी, गाजीपुर से अफजाल अंसारी को टिकट

यह भी पढ़ें : कांग्रेस की न्याय यात्रा में शामिल होने के लिए रखी शर्त, अखिलेश बोले- सीट शेयरिंग के बाद राहुल के साथ आएंगे

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.