अजमेर. देश में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपनी तैयारी में जुटी हुई हैं. चुनाव आते ही राजनीतिक पार्टियां लोकसभा क्षेत्र के मुद्दों को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल करती हैं और उसे पूरा करने के वादे भी करती हैं. इस चुनावी माहौल में लोकसभा क्षेत्र के बरसों पुराने कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनके पूरी होने की आस जनता आज भी है. आइये जानते हैं अजमेर लोकसभा क्षेत्र में कौन से ऐले जनहित के मुद्दे हैं, जो कि लंबे समय से बने हुए हैं.
लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी पार्टियों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है. नेताओं का दल-बदल का खेल भी जारी है. इन सबके बीच हम बात करेंगे क्षेत्र के मुद्दों और समस्याओं पर. अजमेर लोकसभा क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन, उद्योग, कृषि, व्यापार और खनन मुख्य आय का स्त्रोत है. इन सबके बीच क्षेत्र के कई ऐसे मुद्दे हैं, जो वर्षों से जस के तस बने हुए हैं. किसी भी पार्टी का प्रत्याशी हो, जब चुनाव नजदीक होता है, तो वादों की झड़ी लग जाती है, लेकिन जीतने के बाद ज्यादातर मुद्दे गायब हो जाते हैं. ऐसे कई मुद्दे हैं अजमेर लोकसभा क्षेत्र के, जिनके पूरे होने की आस आम जनता वर्षों से लगाए बैठी है. अजमेर लोकसभा क्षेत्र के लोगों से बातचीत के दौरान कई पुराने मुद्दे सामने आए हैं. अजमेर लोकसभा क्षेत्र में, अजमेर शहर, पुष्कर, रूपनगढ़, किशनगढ़, दूदू, अराई, नसीराबाद, सरवाड़, केकड़ी, सावर, मसूदा, विजयनगर, खरवा, मांगलियावास, पीसांगन क्षेत्र आते हैं. अजमेर लोकसभा क्षेत्र में निम्न मुद्दे वर्षों से बने हुए हैं.
पेयजल और सिंचाई : राजस्थान के पश्चिमी जिलों के कई हिस्सों में सिंचाई और पेयजल के लिए नहर का पानी पहुंच गया है, लेकिन राजस्थान का दिल अजमेर प्यासा ही है. हालांकि, यहां बीसलपुर परियोजना से पेयजल सप्लाई होती है. इसे अजमेर की लाइफ लाइन भी कहा जाता है, लेकिन अब यह अजमेर के लिए पर्याप्त नहीं है. बीसलपुर परियोजना से राजधानी जयपुर, टोंक जिले को भी पेयजल सप्लाई दी जाती है. बारिश कम होने की स्थिति में अजमेर जिले में पेयजल की समस्या विकराल हो जाती है. ऐसे में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होना यहां के कृषकों के लिए एक सपना ही है. हालांकि, अभी ईआरसीपी को को लेकर चर्चाए तेज हुई हैं. बीसलपुर में चंबल के पानी को लाने की चर्चाएं हैं, लेकिन धरातल पर अजमेर में पेयजल समस्या बनी हुई है.
सीवरेज की समस्या : अजमेर में सीवरेज की समस्या वर्षों पुरानी है. आरयूडीपीआई ने 200 करोड़ रुपए खर्च करके शहर में सीवरेज के लिए पाइपलाइन डाली थी. उसके बाद स्मार्ट सिटी योजना के तहत भी सीवरेज के लिए 300 करोड़ रुपए खर्च हुए. इसके बावजूद सीवरेज की सुविधा अजमेर के कई क्षेत्रों की जनता को अभी तक नहीं मिल पाई है, जबकि देश के 100 स्मार्ट शहरों में अजमेर भी शामिल है.
उच्च शिक्षा में पिछड़ा : एक समय था जब अजमेर को शिक्षा की नगरी से पहचाना जाता था. देश से ही नहीं बल्कि विदेश से भी विद्यार्थी यहां पढ़ने के लिए आते थे, लेकिन बीते 25 वर्षों में अजमेर ने इस पहचान को खो दिया है. खासकर उच्च शिक्षा को लेकर अजमेर में कोई काम नहीं हुआ है. हालांकि, अजमेर में जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी है. एमडीएस यूनिवर्सिटी की बात करें तो, यहां विद्यार्थियों का नामांकन कॉलेज से भी कम है. खासकर उच्च शिक्षण संस्थाए अजमेर में कम हैं. इसलिए अजमेर के विद्यार्थियों को 12वीं या ग्रेजुएशन के बाद उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहर या राज्य का रुख करना पड़ता है.
धार्मिक पर्यटन : अजमेर की पहचान धार्मिक पर्यटन नगरी के रूप में भी है. पुष्कर में विश्व का इकलौता जगत पिता ब्रह्मा का मंदिर और पवित्र सरोवर है. पुष्कर में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. तीर्थराज गुरु पुष्कर हिंदुओं की सबसे बड़ी धार्मिक स्थली है. पुष्कर में सैकड़ों मंदिर हैं. पुष्कर का धार्मिक और पौराणिक महत्व है, इसके बावजूद पुष्कर विकास में काफी पीछे है. पुष्कर के पवित्र सरोवर में गंदे पानी से श्रद्धालुओं के धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचती है. केंद्र और राज्य सरकार ने अभी तक इसकी रोकथाम के लिए कुछ खास काम नहीं किया. काशी और उज्जैन में शानदार कॉरिडोर बनाए गए. ऐसे में पुष्कर के लोगों को भी आस है कि यहां पर कॉरिडोर बने और पुष्कर का विकास भी उसके धार्मिक और पर्यटन के महत्व के अनुसार हो. पुष्कर में अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला लगता है. विदेशी पर्यटक पशु मेले से आकर्षित होते हैं. इसलिए यहां भी अजमेर की तर्ज पर विशाल विश्राम स्थली बनाने की मांग उठ रही है. इसी प्रकार अजमेर के दरगाह क्षेत्र के विकास की भी अजमेर की जनता उठा रही है.
गैस सिलेंडर से मिले मुक्ति : अजमेर में कई क्षेत्र में गैस की पाइपलाइन डाली जा चुकी है. कई घरों में भी गैस के लिए पाइप लाइन फिट हो चुकी है, मगर लोगों को अभी भी गैस सिलेंडर पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है. लोगों की मांग है कि गैस की पाइप लाइन के काम को जल्दी पूरा कर घरों में पाइप के जरिए गैस पंहुचाई जाए.
पूर्व और पश्चिमी राजस्थान में हो जुड़ाव : अजमेर से वाया बूंदी-कोटा रेल मार्ग की मांग भी काफी पुरानी है. हर चुनाव में इस मांग को पार्टियां मुद्दा बनाती हैं, लेकिन चुनाव के बाद इसे भुला दिया जाता है. इसी प्रकार नसीराबाद से देवली राष्ट्रीय राजमार्ग बनाए जाने की भी मांग जनता उठा रही है. अजमेर से पुष्कर के बीच ट्रेन है, लेकिन पुष्कर-मेड़ता रेल मार्ग नहीं होने के कारण इस ट्रेन का फायदा लोगों को ज्यादा नहीं मिल पा रहा है. पुष्कर-मेड़ता रेल मार्ग जुड़ने से पश्चिमी राजस्थान से अजमेर की कनेक्टिविटी बढ़ जाएगी और इससे पर्यटन और उद्योग व्यापार को फायदा होगा.
रेलवे कारखानों का अपग्रेडेशन : अजमेर में रेल का इतिहास भी ब्रिटिश कालीन है. देश का पहला इंजन अजमेर के रेल कारखाने में ही बना था. अजमेर में कैरिज और लोको कारखाने हैं. इन कारखानों और रेलवे अस्पताल के अपग्रेडेशन की मांग भी काफी पुरानी है.