बीकानेर. सरकार से किसी समस्या का समाधान करवाने के लिए आम जनता को कई बार सालों लग जाते हैं. कार्यालयों के चक्कर काटते-काटते आम आदमी भी परेशान हो जाता है, लेकिन बात जब चुनाव की हो तो वोट लेने के लिए पार्टियां कोई रिस्क नहीं लेती हैं और जनता को राहत देने का दिखावा करती हैं. लोकसभा चुनाव से पहले वोटो के बिखराव के डर से जहां पश्चिमी राजस्थान में इंदिरा गांधी नहर के 10 जिलों के लोगों को राहत देने के नाम पर सरकार ने नहरबंदी नहीं करने का निर्णय किया तो वहीं अब वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले बिजली कनेक्शन के बकायादारों के कनेक्शन नहीं काटने को लेकर भी बिजली कंपनी ने एक आदेश जारी किया है.
एमडी से स्वीकृति के बाद ही काटे जाएं कनेक्शन : दरअसल, जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधीक्षण अभियंता एसके भाटी ने डिस्काउंट के सभी अधिकारियों को एक पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि किसी भी बकायादार की बकाया होने की स्थिति में बिजली कनेक्शन काटने से पहले प्रबंध निदेशक से स्वीकृति लेनी जरूरी है. जिसके बाद ही बाकेदार का कनेक्शन बकाया की अभाव में काटा जाए.
चुनाव के चलते किया निर्णय : दरअसल, लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग चुकी है और बकाया वसूली के नाम पर डिस्कॉम प्रशासन वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले सख्ती बरतने का निर्देश देता है, जिसके बाद फील्ड में तैनात अधिकारी हर साल बकाया बिजली बिल की वसूली के लिए कनेक्शन भी काटते है. जबकि इस बार चुनाव में किसी भी नुकसान से बचने के संभवत उच्च स्तर पर हुए निर्णय के बाद डिस्कॉम प्रशासन ने यह निर्णय किया है और बताया जा रहा है कि प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में इस तरह का एक आदेश जारी हुआ है.
वित्तीय संकट से जूझ रही बिजली कंपनियां : दरअसल, प्रदेश में बिजली कंपनियां पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रही है और मार्च के महीने में रिकवरी के लिए कंपनियां बकायेदारों के बिजली कनेक्शन कटती हैं, जिसके चलते बकाया वसूली होती है. हालांकि, इस बार इस तरह के आदेश जारी होने के बाद बकाया वसूली पर भी खाता प्रभाव पड़ेगा.
नहरबंदी को लेकर भी निर्णय : पश्चिमी राजस्थान में करीब 10 से 15 जिलों में इंदिरा गांधी नहर परियोजना से सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति होती है और पंजाब के हिस्से में आने वाली नहर में मरम्मत के चलते हर साल नहरबंदी होती है, जिससे पेयजल की किल्लत होती है. लेकिन ठीक चुनाव के मौके पर नहरबंदी से पेयजल की किल्लत के चलते जनता में गलत संदेश नहीं जाए, इसको लेकर सरकार ने नहरबंदी इस साल टालने का निर्णय किया.