धनबाद: लोकसभा चुनाव की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है. ऐसे में देश की कोयला राजधानी धनबाद के उन मेहनतकश मजदूरों को कैसा सांसद चाहिए, जिनकी मेहनत से निकले कोयले से पूरा देश रोशन होता है? इसके लिए ईटीवी भारत ने विभिन्न मजदूर संगठनों के यूनियन प्रतिनिधियों से बात की.
बिहार कोलियरी मजदूर संघ के केंद्रीय सचिव निरंजन महतो ने कहा कि हमें ऐसा सांसद चाहिए जो मजदूरों के हित की बात करेगा. हमें ऐसा सांसद चाहिए जो मजदूरों का मसीहा हो. उन्होंने कहा कि कोयला क्षेत्र में मजदूरों की कई समस्याएं हैं.
संसद में मजदूरों की समस्या उठाने वाला चाहिए सांसद
मजदूर संगठन एटक के रघुनाथ प्रसाद ने कहा कि हमें ऐसा सांसद नहीं चाहिए जो मजदूरों के बारे में बात नहीं करता और उनका ख्याल नहीं रखता. मजदूरों के लिए समस्याओं का अंबार है. बीसीसीएल के आउटसोर्सिंग में कर्मियों का शोषण किया जाता है. उन मजदूरों के लिए कानून बनाने की जरूरत है. हमें ऐसा सांसद चाहिए जो मजदूरों की समस्याओं को सदन में उठाए.
कोल इंडिया के निजीकरण का विरोध
मजदूर संगठन इंटक के सुरेश कुमार ने कहा कि कोयला क्षेत्र में बहुत कुछ मजदूरों पर निर्भर करता है. देश की राजधानी दिल्ली मजदूरों के पसीने से चमकती है, लेकिन मजदूरों की आवाज संसद में नहीं उठाई जाती. उन्होंने कहा कि कोल इंडिया एक सार्वजनिक प्रतिष्ठान है. लेकिन केंद्र सरकार एक सोची समझी साजिश के तहत इसका निजीकरण कर रही है. कोल इंडिया के शेयर बिक रहे हैं. सरकारी संपत्तियों को पूंजीपतियों को सस्ते दामों पर बेचा जा रहा है. एमडीओ क्रियान्वित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमें ऐसे सांसद चाहिए जो कार्यकर्ताओं की आवाज बनें. उन्हें श्रम कानूनों में किये जा रहे संशोधनों के खिलाफ संसद में आवाज उठानी चाहिए.
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