बीकानेर. देश में लोकसभा चुनाव की तारीख का ऐलान चुनाव आयोग ने शनिवार को कर दिया है. राजस्थान में दो चरणों में लोकसभा के चुनाव होने हैं. बीकानेर संभाग की तीन लोकसभा सीटों पर पहले चरण में ही चुनाव होने हैं. वहीं, प्रत्याशियों की घोषणा के मामले में आचार संहिता से पहले दोनों ही दल भाजपा और कांग्रेस संभाग की दो सीटों बीकानेर और चूरू पर बराबर स्थिति में हैं. श्रीगंगानगर सीट पर दोनों ही दलों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. संभाग की तीनों सीटों की बात करें तो तीनों ही सीटों पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है. ऐसे में इस बार कांग्रेस चाहती है कि संभाग में जीरो के स्कोर से आगे बढ़कर भाजपा के लिए चुनौती बने.
श्रीगंगानगर सीट का हाल : भाजपा के निहालचंद सांसद के रूप में जीते हैं. 1996 में पहली बार निहालचंद यहां से सांसद बने और तब से लेकर 2019 के चुनाव तक में पांच बार यहां से सांसद रह चुके हैं. हालांकि, 2024 के चुनाव को लेकर भाजपा की पहली सूची में राजस्थान की जिन सीटों की घोषणा हुई, उनमें निहालचंद का नाम नहीं है. माना जा रहा है कि इस बार उनकी टिकट को लेकर भी मंथन चल रहा है और दूसरे दावेदारों के नाम पर भी विचार हो रहा है. वहीं, कांग्रेस में भी दावेदार तो खूब हैं, लेकिन पार्टी अभी तक किसी एक नाम पर एक राय नहीं हो पाई है. दो पूर्व सांसद भी कांग्रेस से टिकट की दौड़ में हैं.
चूरू सीट का हाल : प्रदेश में कांग्रेस से भाजपा में जाने वाले नेताओं को लेकर इस बार काफी चर्चा है, लेकिन चूरू लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने भाजपा के लिए एक चुनौती दी है. दरअसल, लगातार दो बार सांसद रहे राहुल कस्वां का टिकट काटकर भाजपा ने पैरा एथलीट देवेंद्र झाझरिया को चुनावी मैदान में उतारा है. इससे नाखुश राहुल भाजपा छोड़कर कांग्रेस में चले गए. कांग्रेस ने भी तुरंत ही राहुल कस्वां को अपना उम्मीदवार बना दिया. कस्वां परिवार की चूरू लोकसभा सीट पर काफी मजबूत पकड़ है. राहुल भी लगातार 10 साल यहां से सांसद रहे. इससे पहले 15 साल लगातार उनके पिता रामसिंह यहां से सांसद रहे. 1991 में भी रामसिंह कस्वां सांसद रहे थे. 1996 और 1998 के चुनाव में कांग्रेस को यहां सफलता मिली, लेकिन पिछले 34 सालों में सिर्फ 3 साल ही कांग्रेस का सांसद इस सीट पर रहा. ऐसे में इस बार कांग्रेस को यहां अपने लिए संभावना नजर आ रही है तो वहीं भाजपा को भी चुनौती मिलती दिख रही है.
बीकानेर सीट का हाल : 2004 के बाद लगातार बीकानेर लोकसभा सीट बीजेपी की खाते में रही है. 2009 में परिसीमन के बाद आरक्षित हुई सीट पर भाजपा ने ब्यूरोक्रेसी से राजनीति में आए अर्जुन राम मेघवाल को अपना प्रत्याशी बनाया और लगातार हर चुनाव में मेघवाल की जीत का ग्राफ बढ़ता गया. उनका राजनीतिक कद भी बढ़ता गया और प्रधानमंत्री के मोदी ने उन्हें अपनी कैबिनेट में कानून मंत्री बनाया. पिछले तीन चुनाव में हर बार अर्जुन मेघवाल के सामने कांग्रेस ने अलग चेहरे को मैदान में उतारा, लेकिन तीनों ही बार कांग्रेस को सफलता नहीं मिली. चौथी बार कांग्रेस ने एक बार फिर प्रत्याशी बदलते हुए पूर्व मंत्री गोविंद राम मेघवाल को टिकट दिया है. गोविंद मेघवाल और अर्जुन मेघवाल की राजनीतिक अदावत भी पुरानी है. ऐसे में इस बार लोकसभा सीट पर मुकाबला रोचक होगा. हालांकि, संगठन की दृष्टि से देखा जाए तो भाजपा यहां कांग्रेस से मजबूत नजर आती है.