ETV Bharat / state

नागौर में त्रिकोणीय मुकाबला, ज्योति मिर्धा भाजपा से लड़ेंगीं चुनाव, आरएलपी बिगाड़ सकता है 'खेल'! - Nagaur Lok Sabha seat

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजस्थान में सभी राजनीतिक दल एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से एक नागौर सीट, जहां 11 बार कांग्रेस विजयी हुई, जबकि 3 बार भाजपा और एक बार आरएलपी-भाजपा गठबंधन ने बाजी मारी.

Lok Sabha Elections 2024
Lok Sabha Elections 2024
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 5, 2024, 5:42 PM IST

नागौर में त्रिकोणीय मुकाबला

नागौर. लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोरों पर हैं. इस बीच अगर राजस्थान की एक लोकसभा सीट नागौर की बात करें तो यह बेहद चर्चित सीट है. आगामी चुनाव में भाजपा ने इस सीट से कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुईं ज्योति मिर्धा को प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा और आरएलपी (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलती है.

राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से नागौर लोकसभा सीट के तहत 8 विधानसभाएं आती हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में इस सीट से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल जीते हैं. इस सीट पर इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के सीआर चौधरी का कब्जा था. ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में भी भाजपा, कांग्रेस और आरएलपी के बीच टक्कर देखने को मिल सकती है. राजस्थान में नागौर जिले की राजनीति के समीकरण पूरे राजस्थान के समीकरणों को बदलने में अहम भूमिका निभाते हैं.

पढ़ें. बीजेपी के मिशन 400 पार के लिए दिग्गजों ने संभाला मोर्चा, दौसा में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कार्यकर्ताओं को दिया जीत का मंत्र

नागौर संसदीय क्षेत्र से 11 बार कांग्रेस प्रत्याशी विजयी हो चुके हैं, जबकि 3 बार भाजपा प्रत्याशियों को जीत मिली है. वर्ष 2019 के चुनाव में यह सीट भाजपा के समर्थन से आरएलपी के खाते में गई थी. हालांकि, नागौर संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र लाडनूं, डीडवाना, जायल, नागौर, खींवसर, मकराना, परबतसर और नावां शामिल हैं. इस संसदीय क्षेत्र से नाथूराम मिर्धा सबसे अधिक 6 बार सांसद रह चुके हैं. वे पांच बार कांग्रेस से और एक बार निर्दलीय विजयी हो चुके हैं. नाथूराम मिर्धा के पुत्र भानुप्रकाश मिर्धा भी उनके निधन के तुरंत बाद सहानुभूति लहर की चलते एक बार उपचुनाव में विजयी हो चुके हैं. उनकी पोती ज्योति मिर्धा भी एक बार सांसद रह चुकीं हैं. ज्योति अब तक तीन चुनाव लड़ चुकीं हैं, जिनमें से मात्र एक ही चुनाव में विजयी हो पाईं हैं. अबकी बार ज्योति मिर्धा भाजपा प्रत्याशी के रूप में चौथा चुनाव लड़ने जा रही हैं.

2019 में भाजपा के सहयोग से आरएलपी विजयी : वर्ष 2019 के चुनाव में राजस्थान में नागौर सीट पर आरएलपी-भाजपा का गठबंधन हुआ था. इसमें आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीलवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को शिकस्त दी थी. इस बार ज्योति मिर्धा भाजपा प्रत्याशी घोषित हो चुकीं हैं, लेकिन कांग्रेस या आरएलपी ने फिलहाल अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. इससे पहले वर्ष 2014 में सीआर चौधरी ने त्रिकोणीय संघर्ष में जीत दर्ज की थी.

पढ़ें. कांग्रेस पंचायत स्तर पर करेगी किसान जागृत सम्मेलन, पूर्व मंत्री चांदना ने मोदी की गारंटी को जुमला और भजनलाल सरकार को बताया वंडर कार

राजनीति में बनते-बिगड़ते समीकरण : राजनीति में कोई स्थाई दोस्त-दुश्मन नहीं होता, यह नागौर संसदीय क्षेत्र की राजनीति से प्रमाणित हो रहा है. यहां कांग्रेस-भाजपा के नेता अपने-अपने मतलब से समय-समय पर पाला बदलते नजर आए हैं. पिछले तीन चुनाव कांग्रेस से लड़ चुकीं ज्योति मिर्धा इस बार भाजपा प्रत्याशी हैं. कांग्रेस से सांसद रहे रामरघुनाथ चौधरी की पुत्री बिन्दू चौधरी उनके सामने भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुकीं हैं. पिछली बार हनुमान बेनीवाल भाजपा समर्थित आरएलपी से प्रत्याशी थे, वहीं, इस बार यदि आरएलपी चुनाव लड़ती है तो उन्हें भाजपा को टक्कर देनी होगी. इससे पहले नावां से विधायक रह चुके हरीशचन्द्र कुमावत ने अपना प्रथम चुनाव नाथूराम मिर्धा के सहयोग से जीता था. वहीं, इस चुनाव के बाद वे नाथूराम मिर्धा के सामने ही लोकसभा प्रत्याशी रहे.

नागौर में त्रिकोणीय मुकाबला

नागौर. लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोरों पर हैं. इस बीच अगर राजस्थान की एक लोकसभा सीट नागौर की बात करें तो यह बेहद चर्चित सीट है. आगामी चुनाव में भाजपा ने इस सीट से कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हुईं ज्योति मिर्धा को प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा और आरएलपी (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलती है.

राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों में से नागौर लोकसभा सीट के तहत 8 विधानसभाएं आती हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में इस सीट से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल जीते हैं. इस सीट पर इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के सीआर चौधरी का कब्जा था. ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में भी भाजपा, कांग्रेस और आरएलपी के बीच टक्कर देखने को मिल सकती है. राजस्थान में नागौर जिले की राजनीति के समीकरण पूरे राजस्थान के समीकरणों को बदलने में अहम भूमिका निभाते हैं.

पढ़ें. बीजेपी के मिशन 400 पार के लिए दिग्गजों ने संभाला मोर्चा, दौसा में राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कार्यकर्ताओं को दिया जीत का मंत्र

नागौर संसदीय क्षेत्र से 11 बार कांग्रेस प्रत्याशी विजयी हो चुके हैं, जबकि 3 बार भाजपा प्रत्याशियों को जीत मिली है. वर्ष 2019 के चुनाव में यह सीट भाजपा के समर्थन से आरएलपी के खाते में गई थी. हालांकि, नागौर संसदीय क्षेत्र में 8 विधानसभा क्षेत्र लाडनूं, डीडवाना, जायल, नागौर, खींवसर, मकराना, परबतसर और नावां शामिल हैं. इस संसदीय क्षेत्र से नाथूराम मिर्धा सबसे अधिक 6 बार सांसद रह चुके हैं. वे पांच बार कांग्रेस से और एक बार निर्दलीय विजयी हो चुके हैं. नाथूराम मिर्धा के पुत्र भानुप्रकाश मिर्धा भी उनके निधन के तुरंत बाद सहानुभूति लहर की चलते एक बार उपचुनाव में विजयी हो चुके हैं. उनकी पोती ज्योति मिर्धा भी एक बार सांसद रह चुकीं हैं. ज्योति अब तक तीन चुनाव लड़ चुकीं हैं, जिनमें से मात्र एक ही चुनाव में विजयी हो पाईं हैं. अबकी बार ज्योति मिर्धा भाजपा प्रत्याशी के रूप में चौथा चुनाव लड़ने जा रही हैं.

2019 में भाजपा के सहयोग से आरएलपी विजयी : वर्ष 2019 के चुनाव में राजस्थान में नागौर सीट पर आरएलपी-भाजपा का गठबंधन हुआ था. इसमें आरएलपी प्रमुख हनुमान बेनीलवाल ने कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति मिर्धा को शिकस्त दी थी. इस बार ज्योति मिर्धा भाजपा प्रत्याशी घोषित हो चुकीं हैं, लेकिन कांग्रेस या आरएलपी ने फिलहाल अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. इससे पहले वर्ष 2014 में सीआर चौधरी ने त्रिकोणीय संघर्ष में जीत दर्ज की थी.

पढ़ें. कांग्रेस पंचायत स्तर पर करेगी किसान जागृत सम्मेलन, पूर्व मंत्री चांदना ने मोदी की गारंटी को जुमला और भजनलाल सरकार को बताया वंडर कार

राजनीति में बनते-बिगड़ते समीकरण : राजनीति में कोई स्थाई दोस्त-दुश्मन नहीं होता, यह नागौर संसदीय क्षेत्र की राजनीति से प्रमाणित हो रहा है. यहां कांग्रेस-भाजपा के नेता अपने-अपने मतलब से समय-समय पर पाला बदलते नजर आए हैं. पिछले तीन चुनाव कांग्रेस से लड़ चुकीं ज्योति मिर्धा इस बार भाजपा प्रत्याशी हैं. कांग्रेस से सांसद रहे रामरघुनाथ चौधरी की पुत्री बिन्दू चौधरी उनके सामने भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुकीं हैं. पिछली बार हनुमान बेनीवाल भाजपा समर्थित आरएलपी से प्रत्याशी थे, वहीं, इस बार यदि आरएलपी चुनाव लड़ती है तो उन्हें भाजपा को टक्कर देनी होगी. इससे पहले नावां से विधायक रह चुके हरीशचन्द्र कुमावत ने अपना प्रथम चुनाव नाथूराम मिर्धा के सहयोग से जीता था. वहीं, इस चुनाव के बाद वे नाथूराम मिर्धा के सामने ही लोकसभा प्रत्याशी रहे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.