रायपुर: अमित शाह ने चुनावी सभा में कहा है कि 4 जून के बाद कांग्रेस मल्लिकार्जुन खड़गे पर हार का ठीकरा फोड़ेगी. ऐसे में यदि छत्तीसगढ़ की बात छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस अधिकतम दो ही सीटों पर जीत मिली है. ऐसे में इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यदि दो सीट से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करती है तो जीत का ताज किसे पहनाया जाएगा ये बड़ा सवाल है. साथ ही यदि दो सीट से कम पर जीत पार्टी हासिल करती है तो हार का ठीकरा किस पर फोड़ा जाएगा. नतीजों से पहले इन तमाम दावों पर अटकलों का सियासी बाजार गर्म है.
राज्य गठन के बाद से बीजेपी का जीत का रिकार्ड बेहतर: तीसरे चरण का मतदान सात मई को होना है. सात मई को सात सीटों पर वोटिंग है. यदि लोकसभा चुनाव के इतिहास पर नजर डाला जाए तो राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस छत्तीसगढ़ में 11 में से अधिकतम दो सीट ही जीत सकी है. साल 2004 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छत्तीसगढ़ की कुल 11 लोकसभा सीटों में से महज दो सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही. महासमुंद से कांग्रेस उम्मीदवार अजीत जोगी और राजनांदगांव से देवव्रत सिंह ने जीत हासिल की थी. वहीं साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार रहे डॉक्टर चरण दास महंत ने कोरबा लोकसभा सीट से जीत हासिल की.
जीत का पिछला ट्रैक रिकार्ड: साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे ताम्रध्वज साहू ने दुर्ग लोकसभा सीट से जीत हासिल की. यदि पिछले लोकसभा चुनाव 2019 की बात की जाए तो इस बार भी कांग्रेस 11 में से दो लोकसभा सीटों बस्तर और कोरबा में जीतने में कामयाब रही. बस्तर से कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज ने जीत हासिल की. वर्तमान में दीपक बैज कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हैं. कोरबा से ज्योत्सना महंत सांसद चुनी गईं. इस तरह से कहा जा सकता है कि राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस अधिकतम दो लोकसभा सीटें ही जीतने में कामयाब रही है.
टूटेगा हार का सिलसिला: इस बार कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. कांग्रेस का दावा है कि इस बार लोकसभा चुनाव में पहले से बेहतर प्रदर्शन होगा. यदि कांग्रेस का यह दावा सही रहा और इस बार लोकसभा सीट में कांग्रेस दो से अधिक सीट जीतने में कामयाब रही तो इस जीत का ताज किसके सर चढ़ेगा ये नतीजों के बाद देखना दिलचस्प होगा. अमित शाह ने चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भरे मंच से कहा था कि 4 जून के बाद लोकसभा चुनाव में मिली हार का ठीकरा कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सर पर फोड़ेगी. यही वजह है कि अमित शाह के इस बयान के बाद अब छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का ठीकरा किस पर फूटेगा, कांग्रेस को जीत मिलती है तो उसका ताज किसको पहनाया जाएगा इस पर चर्चा शुरु हो चुकी है.
''छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में यदि कांग्रेस को हार मिलती है तो उसका ठीकरा कहीं ना कहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर फूटेगा. यदि जीत मिलती है तो उसका श्रेय भी भूपेश बघेल को जाना चाहिए. इसकी मुख्य वजह भी है. छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा हुआ है जब कांग्रेस की 5 साल सरकार के बाद लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भूपेश बघेल के कार्यकाल के 5 सालों के लेखा-जोखा को लेकर जनता के बीच जा रही है. यदि भूपेश बघेल के इस कार्यकाल को जनता सराहती है और ज्यादा सीटों पर कांग्रेस को जीत दिलाती है, तो इसका श्रेय सीधे तौर पर भूपेश बघेल को जाएगा. यदि कांग्रेस को हार मिलती है और दो सीट से भी काम सीट कांग्रेस जीत पाती है तो उसका ठीकरा भी कहीं ना कहीं भूपेश बघेल पर ही फूटेगा''. - उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, रायपुर
चार जून को आएंगे नतीजे: तीसरे चरण के मतदान के बाद जब चार जून को नतीजे आएंगे तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. इस बार के चुनाव प्रचार में दोनों ही पार्टियों ने जीत के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.