लखनऊ : इस लोकसभा चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी पिछले 10 साल के सबसे असफल अध्यक्ष साबित हुए हैं. 2014, 2017, 2019 और 2022 में सभी अध्यक्षों ने बीजेपी को जीत दिलाई. स्वतंत्र देव सिंह ने तो दो चुनाव में बीजेपी को जीत दिलाई. मगर भूपेंद्र सिंह चौधरी के लिए साल 2024 का लोकसभा चुनाव असफलता वाला रहा है.
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी के पद से त्यागपत्र देने को लेकर गुरुवार की रात अफवाह फैल गई थी. जिसका उन्होंने खुद भी खंडन किया है. मगर इस सब के बीच भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि निकट भविष्य में संगठन में बड़ी कार्रवाई की जा सकती है. मुरादाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी दिवंगत कुंवर सर्वेश सिंह की हार के बाद लोग चचर्चाएं कर रहे हैं. संगठन में भी अंदरखाने बुधवार वोटों की गणना हो रही है.
लक्ष्मीकांत बाजपेई को 2014 में मिली सफलता
साल 2014 के चुनाव के समय उत्तर प्रदेश में वर्तमान में राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेई प्रदेश अध्यक्ष थे. उस समय भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 में से 73 लोकसभा सीटों पर कामयाबी हासिल की थी. जिनमें से 71 बीजेपी ने जीती थीं और दो उसके सहयोगी अपना दल के खाते में गई थीं. लक्ष्मीकांत बाजपेई इस समय पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री और राज्यसभा सांसद हैं.
केशव ने 2017 में दिलाई जीत
साल 2017 का चुनाव और केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य साल 2017 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे. उस समय हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर यूपी की 403 में से 325 विधानसभा सीटें जीत ली थीं. इसके बाद में केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के दो बार उप मुख्यमंत्री बन चुके हैं.
महेंद्र नाथ पांडेय ने 2019 में दिलाई विजय
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र नाथ पांडेय साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश अध्यक्ष थे. महेंद्र नाथ पांडेय जब प्रदेश अध्यक्ष थे तब भारतीय जनता पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का गठबंधन होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 64 लोकसभा सीटें जीत ली थीं. महेंद्र नाथ पांडेय साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भी प्रदेश अध्यक्ष थे. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दूसरी बार उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव जीता था. अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बीजेपी को उत्तर प्रदेश में 275 के करीब सीटें मिली थीं.
भूपेंद्र सिंह मुरादाबाद में भी नहीं दिला पाए जीत
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भूपेंद्र सिंह चौधरी के अध्यक्ष रहते हुए भाजपा को खासतौर पर पश्चिम उत्तर प्रदेश में काफी उम्मीद थी. मुरादाबाद के रहने वाले भूपेंद्र सिंह चौधरी जाट समुदाय से आते हैं. जाट समुदाय के प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन के बावजूद भाजपा को पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारी असफलता का सामना करना पड़ा. मुरादाबाद और संभल की सीट भी बीजेपी हार गई. इससे पहले भूपेंद्र सिंह चौधरी के कार्यकाल में बीजेपी घोसी और खतौली से उपचुनाव हारी. आजमगढ़ और रामपुर के उपचुनाव बीजेपी ने जीते थे. मगर इस बार लोकसभा चुनाव में यह दोनों सीट भाजपा फिर हार गई. पिछले 10 साल में पहली बार हुआ है कि चुनाव के समय जो प्रदेश अध्यक्ष है, उसने सफलता का स्वाद नहीं चखा.
हार के बाद उड़ी इस्तीफे की अफवाह
बीजेपी की उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में हुई हार के बाद गुरुवार की शाम भूपेंद्र सिंह चौधरी के दिल्ली में होने के दौरान उनके इस्तीफे की अफवाह उड़ गई थी. इससे पहले पूरे दिन बीजेपी में कार्रवाई की खबरें चलती रही थीं. मगर BJP प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने कहा कि उनके इस्तीफ़ा देने की खबर ग़लत है. उन्होंने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया है. न ही उनकी बीजेपी अध्यक्ष से अब तक कोई मुलाक़ात हुई है.