जयपुर. राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटों पर चुनावी रंग जमने लगा है. इन सीटों पर दो चरण में 19 और 26 अप्रैल को मतदान होना है. लोकसभा चुनाव के रण में उतरे प्रत्याशी जहां मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. प्रदेश की 25 में से दस सीट ऐसी हैं, जो दोनों ही पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई हैं और इन सीटों पर चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों के साथ ही पार्टी के दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. ऐसे में प्रत्याशियों के साथ ही दिग्गज नेताओं ने भी इन सीटों पर पूरी ताकत झोंक रखी है. आने वाले दिनों में इन सीटों पर चुनावी रंग पूरे परवान पर रहने की उम्मीद है.
कोटा - ओम बिड़ला और प्रह्लाद गुंजल में सीधा मुकाबला : लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला भाजपा के टिकट पर कोटा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. राजनीती के शुरुआती दौर में बिड़ला के साथी रहे प्रह्लाद गुंजल कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं. गुंजल ने पिछले दिनों भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा और उन्हें टिकट मिला. इसके बाद गुंजल और पूर्व मंत्री शांति धारीवाल के बीच नोंक-झोंक ने भी सुर्खियां बटोरी थी. यह सीट ओम बिड़ला और प्रह्लाद गुंजल के लिए नाक की लड़ाई है.
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जालोर-सिरोही - पूर्व सीएम गहलोत की साख से जुड़ी : जालोर-सिरोही सीट पर भाजपा के लुंबाराम चौधरी के सामने पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं. प्रचार की कमान खुद अशोक गहलोत ने संभाल रखी है. इस सीट पर प्रवासी मारवाड़ियों का प्रभाव माना जता है. इसलिए गहलोत चेन्नई, बेंगलुरू, हैदराबाद और मुंबई भी प्रचार करने पहुंचे थे. वैभव 2019 में जोधपुर से लोकसभा का चुनाव हार गए थे. अब जालोर-सिरोही से मैदान में हैं.
सीकर - गोविंद डोटासरा की प्रतिष्ठा का सवाल : सीकर में भाजपा के दो बार के सांसद सुमेधानंद सरस्वती और कॉमरेड अमराराम के बीच टक्कर है. कांग्रेस ने सीपीआईएम के लिए गठबंधन के तहत यह सीट छोड़ी है. यहां कांग्रेस-सीपीआईएम के गठबंधन में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की अहम भूमिका रही है. सीकर डोटासरा का गृहक्षेत्र भी है.
दौसा - पायलट, किरोड़ी की साख जुड़ी : दौसा में कांग्रेस के टिकट पर सचिन पायलट के करीबी मुरारीलाल मीणा चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा ने कन्हैयालाल मीणा को मैदान में उतारा है. यह सीट कभी सचिन पायलट के परिवार की कर्मभूमि रही तो भाजपा के किरोड़ी लाल मीणा का भी दौसा से जुड़ाव रहा है. ऐसे में मुरारीलाल और कन्हैयालाल के साथ ही सचिन पायलट और मुरारीलाल मीणा की प्रतिष्ठा भी इस सीट से जुड़ी हुई है.
चूरू - राजेंद्र राठौड़ की नाक का सवाल बनी सीट : भाजपा ने चूरू से पैरालंपिक मैडलिस्ट देवेंद्र झाझड़िया को चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि भाजपा से टिकट कटने के बाद कांग्रेस का हाथ थामने वाले राहुल कस्वां को कांग्रेस ने टिकट दिया है. विधानसभा चुनाव में राजेंद्र राठौड़ की हार के बाद लगातार बयानबाजी, राहुल कस्वां का भाजपा से टिकट कटने और उनके कांग्रेस से चुनाव लड़ने के कारण चूरू प्रदेश की चर्चित सीटों में से एक है. इस सीट की हार जीत भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ के लिए भी नाक का सवाल बना हुआ है.
टोंक-सवाई माधोपुर पर भी पायलट की छाया : सचिन पायलट अभी टोंक से विधायक हैं और टोंक-सवाई माधोपुर सीट से कांग्रेस ने उनके करीबी हरिश्चंद्र मीणा को टिकट दिया है. उनका मुकाबला दो बार के सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया से है. सचिन पायलट के प्रभाव और उनके करीबी हरिश्चंद्र मीणा के चुनावी मैदान में उतरने के कारण पायलट की प्रतिष्ठा भी इस सीट से जुड़ी हुई है.
नागौर - लगातार दूसरी बार ज्योति-हनुमान में टक्कर : कभी कांग्रेस की राजनीती में दबदबा रखने वाले मिर्धा परिवार की राजनीतिक विरासत संभाल रही ज्योति मिर्धा इस सीट पर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. उनके सामने रालोपा-कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर हनुमान बेनीवाल मैदान में हैं. पिछली बार इस सीट पर ज्योति मिर्धा ने कांग्रेस से और हनुमान बेनीवाल ने रालोपा-भाजपा गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था. दोनों के बीच बयानबाजी इस चुनाव में खासी सुर्खियां बटोर रही है और इस सीट पर दोनों प्रत्याशियों की साख दांव पर है.
बाड़मेर-जैसलमेर - त्रिकोणीय मुकाबले से हॉट सीट : इस सीट पर भाजपा ने एक बार फिर कैलाश चौधरी पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने रालोपा से आए उम्मेदाराम बेनीवाल को टिकट दिया है. शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी भी इस सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने दोनों ही प्रमुख पार्टियों को अपने निशाने पर लिया हुआ है. इस सीट पर होने वाली हर एक सियासी गतिविधि पर सबकी निगाह बनी हुई है.
बांसवाड़ा-डूंगरपुर - सस्पेंस ने बढ़ाई सरगर्मी : कांग्रेस नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीय के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने के बाद से ही बांसवाड़ा-डूंगरपुर का नाम लोगों की जुबां पर चढ़ा हुआ है. भाजपा ने मालवीय को टिकट देकर मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस अभी भी भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) से गठबंधन की संभावनाएं तलाश रही हैं. हालांकि, कांग्रेस ने अर्जुन बामणिया को टिकट देने की घोषणा की, लेकिन उन्होंने नामांकन नहीं भरा. कांग्रेस के टिकट पर अरविंद डामोर ने नामांकन दाखिल किया है.
झुंझुनूं - कांग्रेस के ओला परिवार का रहा दबदबा : झुंझुनूं सीट पर कांग्रेस के ओला परिवार का लंबे समय से दबदबा रहा है. इस चुनाव में कांग्रेस ने बृजेंद्र ओला पर दांव खेला है. उनके सामने भाजपा के उम्मीदवार शुभकरण चौधरी हैं. जाट राजनीती के लिहाज से भी यह सीट काफी अहम मानी जाती है. बृजेंद्र ओला लगातार चार बार के विधायक हैं और उनके पिता शीशराम ओला झुंझुनूं सीट से छह बार सांसद रहे. इस सीट की सियासी गतिविधि पर भी सबकी निगाह है.