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मगध-शाहाबाद में 2019 की सफलता दोहरा पाएगा NDA?, 2020 विधानसभा में भारी पड़ा था महागठबंधन - lok sabha election 2024

BIHAR POLITICS: 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर कब्जा किया था. तब मगध और शाहाबाद की सभी सीटों पर भी NDA ने महागठबंधन का सूपड़ा साफ कर दिया था, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में बाजी पूरी तरह पलट गयी और महागठबंधन भारी पड़ा, जाहिर है 2024 के लोकसभा चुनाव में मगध-शाहाबाद में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है, पढ़िये पूरा विश्लेषण,

मगध-शाहाबाद में कड़ी टक्कर
मगध-शाहाबाद में कड़ी टक्कर
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 31, 2024, 2:03 PM IST

मगध-शाहाबाद में कड़ी टक्कर

पटनाः 2024 के लोकसभा चुनाव की जंग शुरू हो चुकी है. पहले चरण के लिए नामांकन का दौर भी खत्म हो चुका है और सभी दल एक-दूसरे को मात देने का दावा भी करने लगे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज कर महागठबंधन को करारी शिकस्त दी थी. मगध और शाहाबाद रेंज की सभी लोकसभा सीटों पर NDA ने जीत का परचम लहराया था लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में जिस तरह महागठबंधन ने पलटवार किया उससे एक बात साफ है कि इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान मगध-शाहाबाद में कांटे की टक्कर होनेवाली है.

2019 का प्रदर्शन दोहरा पाएगा NDA ? 2019 के लोकसभा चुनाव मगध-शाहाबाद रेंज की लोकसभा सीटों- पाटलिपुत्र, औरंगाबाद, नवादा, गया, जहानाबाद, आरा, सासाराम, बक्सर और काराकाट पर NDA ने शानदार प्रदर्शन किया और जीत दर्ज की लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में बाजी पलट गयी और इन सभी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाले विधानसभा सीटों में अधिकतर पर महागठबंधन के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. ऐसे में सवाल ये है कि क्या NDA 2019 वाली सफलता दोहरा पाएगा ?

विधानसभा सीटों पर महागठबंधन भारी
विधानसभा सीटों पर महागठबंधन भारी

पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जाः पाटलिपुत्र लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से 2019 में बीजेपी के रामकृपाल यादव सांसद चुने गये लेकिन एक साल बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में NDA को एक भी सीट नहीं मिली. इस लोकसभा क्षेत्र की 6 विधानसभा सीटों में से दानापुर, मनेर और मसौढ़ी पर आरजेडी का कब्जा है वहीं फुलवारी और पालीगंज पर माले तो विक्रम पर कांग्रेस का कब्जा है.

जहानाबाद की सभी 5 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के विधायकः बात जहानाबाद की करें तो यहां 2019 में जेडीयू के चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी ने जीत दर्ज की लेकिन विधानसभा चुनाव में NDA को एक भी सीट नहीं मिली. जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों में से मखदुमपुर, अतरी और कुर्था पर आरजेडी का कब्जा है तो अरवल और घोसी पर माले का कब्जा है.

औरंगाबाद की 6 सीटों में 4 महागठबंधन के पासः कमोबेश यही हालत औरंगाबाद में भी है जहां लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी के सुशील कुमार सिंह ने जीत दर्ज की लेकिन विधानसभा चुनाव में उलटफेर हो गया.इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आनेवाली 6 विधानसभा सीटों में से गोह, औरंगाबाद, कुटुंबा, नबीनगर पर महागठबंधन का कब्जा है जबकि ओबरा और रफीगंज में बीजेपी के विधायक हैं.

नवादा में भी महागठबंधन भारीः नवादा की बात करें तो 2019 में NDA की ओर से एलजेपी कैंडिडेट चंदन कुमार सिंह ने आरजेडी की विभा देवी को मात दी, लेकिन विधानसभा की 6 सीटों में से महागठबंधन ने 4 सीटों पर कब्जा कर लिया. जिनमें नवादा, हिसुआ, गोविंदपुर और रजौली हैं जबकि वारसिलीगंज में बीजेपी और बरबीघा में जेडीयू काबिज है.

विधानसभा सीटों पर महागठबंधन भारी
विधानसभा सीटों पर महागठबंधन भारी

बक्सर की सभी 6 सीटों पर महागठबंधन के विधायकः 2019 के लोकसभा चुनाव में बक्सर लोकसभा सीट से बीजेपी के अश्विनी चौबे ने आरजेडी के जगदानंद सिंह को मात दी थी,लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में बक्सर लोकसभा के अंतर्गत आनेवाली विधानसभा की सभी 6 सीटों- बक्सर, ब्रह्मपुर, डुमरांव, रामगढ़, राजपुर और दिनारा पर महागठबंधन ने कब्जा कर लिया.

आरा लोकसभा की 5 सीटों पर महागठबंधन काबिजः यही हाल आरा लोकसभा सीट का भी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के आर के सिंह ने सीपीआई एमएल के राजू यादव को हराया लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में आरा और बड़हरा विधानसभा सीट को छोड़कर बाकी 5 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के कैंडिडेट जीतने में कामयाब रहे.

काराकाट की सभी 6 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जाः बात काराकाट की करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के महाबली सिंह ने आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा को हराया था लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान काराकाट लोकसभा सीट के अंतर्गत आनेवाली सभी 6 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की.

सासाराम की 6 सीटों में 4 पर महागठबंधनः 2019 के लोकसभा चुनाव में सासाराम सीट से बीजेपी के छेदी पासवान ने कांग्रेस की मीरा कुमार को हराया, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में बाजी पलट गयी. विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन ने मोहनिया, भभुआ, सासाराम और करगहर सीटों पर कब्जा कर लिया और एनडीए के हिस्से में चैनपुर और चेनारी ही आ पाई.

'2020 की सफलता दोहराएंगे': 2020 के विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन से आरजेडी उत्साहित है और पार्टी का मानना है कि "2024 के लोकसभा चुनाव में भी 2020 वाली सफलता दोहराएंगे." आरजेडी के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी का कहना है कि "तेजस्वी यादव की जन विश्वास यात्रा के कारण स्थिति पहले से भी बेहतर हुई है जो लोकसभा चुनाव के नतीजों में दिखाई देगी."

'ये देश के विकास का चुनाव है': हालांकि बीजेपी इसे दूसरे नजरिये से देखती है. बीजेपी का मानना है कि " ये विधानसभा का चुनाव नहीं है बल्कि लोकसभा का चुनाव है." बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि "ये देश के विकास का चुनाव है, राष्ट्रवाद का चुनाव है, मोदी की गारंटी का चुनाव है और इस बार 39 की जगह सभी 40 सीटों पर NDA की भारी जीत होगी."

'स्थिति बदल चुकी है': वहीं जेडीयू का मानना है कि 2020 के विधानसभा चुनाव वाली स्थिति अब बदल चुकी है. 2020 में जेडीयू से बगावत कर चुनाव लड़नेवाले पार्टी के वरिष्ठ नेता श्रीभगवान सिंह कुशवाहा की मानें तो "सभी जानते हैं कि 2020 में स्थिति अलग थी. तब NDA में वैसी एकजुटता नहीं थी. लेकिन इस बार NDA पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ रहा है, लिहाजा सभी 40 सीटों पर जीत दर्ज करेगा."

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?: वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि "विधानसभा चुनाव का वोटिंग पैटर्न अलग होता है जबकि लोकसभा चुनाव का अलग. ऐसे में ये कहना कि 2020 वाली स्थिति होगी सही नहीं होगा.इस बार नरेंद्र मोदी के नाम पर वोटिंग होगी और मोदी मैजिक चल रहा है जिसका लाभ एनडीए को मिलेगा."
चिराग के साथ आने से NDA मजबूतः राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि "2020 में एनडीए का परफॉर्मेंस इसलिए खराब हुआ क्योंकि चिराग पासवान ने जेडीयू के अधिकांश उम्मीदवारों के खिलाफ अपना उम्मीदवार दिया था जिसका शाहाबाद और मगध पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा. लेकिन इस बार चिराग पासवान भी एनडीए के साथ है इसलिए 2020 वाली स्थिति तो नहीं होगी यह तय है ."

मगध-शाहाबाद में होगी कड़ी टक्करः लोकसभा और विधानसभा चुनावों का वोटिंग पैटर्न अलग होता है ये बात 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव में भी दिखी थी. 2014 में राज्य की 32 सीटों पर जीत दर्ज करनेवाले NDA की 2015 के विधानसभा चुनाव में हार हुई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा जब NDA ने मगध-शाहाबाद की सभी सीटों सहित 39 सीटों पर कब्जा किया. लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि मगध-शाहाबाद में तो कड़ी टक्कर होनेवाली है.

ये भी पढ़ेंःMY समीकरण से लालू का मोह भांग! जातिगत जनगणना के बाद मुसलमानों की हिस्सेदारी घटी? - Lok Sabha Election 2024

ये भी पढ़ेंःबिहार में मोदी को पटखनी देने की 'लालू' की 'चाणक्य नीति', एक क्लिक में जानिए क्या है पूरा गेम प्लान - Lok Sabha Election 2024

मगध-शाहाबाद में कड़ी टक्कर

पटनाः 2024 के लोकसभा चुनाव की जंग शुरू हो चुकी है. पहले चरण के लिए नामांकन का दौर भी खत्म हो चुका है और सभी दल एक-दूसरे को मात देने का दावा भी करने लगे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA ने बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत दर्ज कर महागठबंधन को करारी शिकस्त दी थी. मगध और शाहाबाद रेंज की सभी लोकसभा सीटों पर NDA ने जीत का परचम लहराया था लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में जिस तरह महागठबंधन ने पलटवार किया उससे एक बात साफ है कि इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान मगध-शाहाबाद में कांटे की टक्कर होनेवाली है.

2019 का प्रदर्शन दोहरा पाएगा NDA ? 2019 के लोकसभा चुनाव मगध-शाहाबाद रेंज की लोकसभा सीटों- पाटलिपुत्र, औरंगाबाद, नवादा, गया, जहानाबाद, आरा, सासाराम, बक्सर और काराकाट पर NDA ने शानदार प्रदर्शन किया और जीत दर्ज की लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में बाजी पलट गयी और इन सभी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाले विधानसभा सीटों में अधिकतर पर महागठबंधन के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. ऐसे में सवाल ये है कि क्या NDA 2019 वाली सफलता दोहरा पाएगा ?

विधानसभा सीटों पर महागठबंधन भारी
विधानसभा सीटों पर महागठबंधन भारी

पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जाः पाटलिपुत्र लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से 2019 में बीजेपी के रामकृपाल यादव सांसद चुने गये लेकिन एक साल बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में NDA को एक भी सीट नहीं मिली. इस लोकसभा क्षेत्र की 6 विधानसभा सीटों में से दानापुर, मनेर और मसौढ़ी पर आरजेडी का कब्जा है वहीं फुलवारी और पालीगंज पर माले तो विक्रम पर कांग्रेस का कब्जा है.

जहानाबाद की सभी 5 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के विधायकः बात जहानाबाद की करें तो यहां 2019 में जेडीयू के चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी ने जीत दर्ज की लेकिन विधानसभा चुनाव में NDA को एक भी सीट नहीं मिली. जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र की 5 विधानसभा सीटों में से मखदुमपुर, अतरी और कुर्था पर आरजेडी का कब्जा है तो अरवल और घोसी पर माले का कब्जा है.

औरंगाबाद की 6 सीटों में 4 महागठबंधन के पासः कमोबेश यही हालत औरंगाबाद में भी है जहां लोकसभा चुनाव में तो बीजेपी के सुशील कुमार सिंह ने जीत दर्ज की लेकिन विधानसभा चुनाव में उलटफेर हो गया.इस लोकसभा सीट के अंतर्गत आनेवाली 6 विधानसभा सीटों में से गोह, औरंगाबाद, कुटुंबा, नबीनगर पर महागठबंधन का कब्जा है जबकि ओबरा और रफीगंज में बीजेपी के विधायक हैं.

नवादा में भी महागठबंधन भारीः नवादा की बात करें तो 2019 में NDA की ओर से एलजेपी कैंडिडेट चंदन कुमार सिंह ने आरजेडी की विभा देवी को मात दी, लेकिन विधानसभा की 6 सीटों में से महागठबंधन ने 4 सीटों पर कब्जा कर लिया. जिनमें नवादा, हिसुआ, गोविंदपुर और रजौली हैं जबकि वारसिलीगंज में बीजेपी और बरबीघा में जेडीयू काबिज है.

विधानसभा सीटों पर महागठबंधन भारी
विधानसभा सीटों पर महागठबंधन भारी

बक्सर की सभी 6 सीटों पर महागठबंधन के विधायकः 2019 के लोकसभा चुनाव में बक्सर लोकसभा सीट से बीजेपी के अश्विनी चौबे ने आरजेडी के जगदानंद सिंह को मात दी थी,लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में बक्सर लोकसभा के अंतर्गत आनेवाली विधानसभा की सभी 6 सीटों- बक्सर, ब्रह्मपुर, डुमरांव, रामगढ़, राजपुर और दिनारा पर महागठबंधन ने कब्जा कर लिया.

आरा लोकसभा की 5 सीटों पर महागठबंधन काबिजः यही हाल आरा लोकसभा सीट का भी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के आर के सिंह ने सीपीआई एमएल के राजू यादव को हराया लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में आरा और बड़हरा विधानसभा सीट को छोड़कर बाकी 5 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के कैंडिडेट जीतने में कामयाब रहे.

काराकाट की सभी 6 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन का कब्जाः बात काराकाट की करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू के महाबली सिंह ने आरएलएसपी के उपेंद्र कुशवाहा को हराया था लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान काराकाट लोकसभा सीट के अंतर्गत आनेवाली सभी 6 विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की.

सासाराम की 6 सीटों में 4 पर महागठबंधनः 2019 के लोकसभा चुनाव में सासाराम सीट से बीजेपी के छेदी पासवान ने कांग्रेस की मीरा कुमार को हराया, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में बाजी पलट गयी. विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन ने मोहनिया, भभुआ, सासाराम और करगहर सीटों पर कब्जा कर लिया और एनडीए के हिस्से में चैनपुर और चेनारी ही आ पाई.

'2020 की सफलता दोहराएंगे': 2020 के विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन से आरजेडी उत्साहित है और पार्टी का मानना है कि "2024 के लोकसभा चुनाव में भी 2020 वाली सफलता दोहराएंगे." आरजेडी के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी का कहना है कि "तेजस्वी यादव की जन विश्वास यात्रा के कारण स्थिति पहले से भी बेहतर हुई है जो लोकसभा चुनाव के नतीजों में दिखाई देगी."

'ये देश के विकास का चुनाव है': हालांकि बीजेपी इसे दूसरे नजरिये से देखती है. बीजेपी का मानना है कि " ये विधानसभा का चुनाव नहीं है बल्कि लोकसभा का चुनाव है." बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह का कहना है कि "ये देश के विकास का चुनाव है, राष्ट्रवाद का चुनाव है, मोदी की गारंटी का चुनाव है और इस बार 39 की जगह सभी 40 सीटों पर NDA की भारी जीत होगी."

'स्थिति बदल चुकी है': वहीं जेडीयू का मानना है कि 2020 के विधानसभा चुनाव वाली स्थिति अब बदल चुकी है. 2020 में जेडीयू से बगावत कर चुनाव लड़नेवाले पार्टी के वरिष्ठ नेता श्रीभगवान सिंह कुशवाहा की मानें तो "सभी जानते हैं कि 2020 में स्थिति अलग थी. तब NDA में वैसी एकजुटता नहीं थी. लेकिन इस बार NDA पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ रहा है, लिहाजा सभी 40 सीटों पर जीत दर्ज करेगा."

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक?: वहीं राजनीतिक विशेषज्ञ रवि उपाध्याय का कहना है कि "विधानसभा चुनाव का वोटिंग पैटर्न अलग होता है जबकि लोकसभा चुनाव का अलग. ऐसे में ये कहना कि 2020 वाली स्थिति होगी सही नहीं होगा.इस बार नरेंद्र मोदी के नाम पर वोटिंग होगी और मोदी मैजिक चल रहा है जिसका लाभ एनडीए को मिलेगा."
चिराग के साथ आने से NDA मजबूतः राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि "2020 में एनडीए का परफॉर्मेंस इसलिए खराब हुआ क्योंकि चिराग पासवान ने जेडीयू के अधिकांश उम्मीदवारों के खिलाफ अपना उम्मीदवार दिया था जिसका शाहाबाद और मगध पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा. लेकिन इस बार चिराग पासवान भी एनडीए के साथ है इसलिए 2020 वाली स्थिति तो नहीं होगी यह तय है ."

मगध-शाहाबाद में होगी कड़ी टक्करः लोकसभा और विधानसभा चुनावों का वोटिंग पैटर्न अलग होता है ये बात 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के विधानसभा चुनाव में भी दिखी थी. 2014 में राज्य की 32 सीटों पर जीत दर्ज करनेवाले NDA की 2015 के विधानसभा चुनाव में हार हुई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा जब NDA ने मगध-शाहाबाद की सभी सीटों सहित 39 सीटों पर कब्जा किया. लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि मगध-शाहाबाद में तो कड़ी टक्कर होनेवाली है.

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