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लोकसभा चुनाव 2024 चौथा चरण; NDA और INDI गठबंधन में दिखी टक्कर, हाथी रहा सुस्त - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

How Many Seats BJP Samajwadi Party Congress Get: 2019 के चुनाव में चौथे चरण की सभी 13 सीटों पर भाजपा का कब्जा हुआ था. इस चरण की सभी 13 सीटों पर अबकी बार कांटे की टक्कर देखने को मिली है. भारतीय जनता पार्टी का भले इन सभी सीटों पर कब्जा बना हुआ है लेकिन इस बार के चुनाव में सियासी समीकरणों में फेरबदल की वजह से चुनाव परिणाम भी बदले हुए नजर आ सकते हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 चौथा चरण में किसको किससे मिली टक्कर.
लोकसभा चुनाव 2024 चौथा चरण में किसको किससे मिली टक्कर. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Desk Design)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 14, 2024, 12:22 PM IST

लखनऊ: How Many Seats BJP Samajwadi Party Congress Get: लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण का मतदान यूपी की 13 लोकसभा सीटों पर संपन्न हो गया. 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले चौथे चरण की तुलना में इस बार मतदान फीसद लगभग बराबर रहा. 2019 में इन 13 सीटों पर 58.75 फीसद मतदान हुआ था. भाजपा ने इतने मतदान में 13 की 13 सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं इस बार 58.05 मतदान हुआ है, जो मामूली कम रहा.

2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार के चुनाव में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. पिछले चुनाव में एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी का बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन था और राष्ट्रीय लोकदल भी सहयोगी दल के रूप में साथ था तो इस बार सियासी समीकरण काफी बदले हुए हैं.

इस बार के चुनाव में समाजवादी पार्टी का गठबंधन कांग्रेस के साथ हुआ है. वहीं बहुजन समाज पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है और खेल बिगाड़ने की भरपूर कोशिश की है. जबकि राष्ट्रीय लोक दल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी राजग के साथ चुनाव मैदान में है.

कई सीटों पर इंडी गठबंधन के उम्मीदवार बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी के हाथी की रफ्तार भले बढ़ाने की कोशिश हुई, लेकिन इंडी गठबंधन की उम्मीदवारों की राह मुश्किल करने की बात हर जगह खुलकर हुई तो जनता ने भाजपा और इंडी गठबंधन के बीच चुनाव करने का फैसला किया.

अधिकतर सीटों पर बसपा सिर्फ चुनाव मैदान में नजर आई लेकिन, कहीं पर अच्छी टक्कर देते हुए नहीं नजर आई. भाजपा और इंडी गठबंधन के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली. कई जगह पर बहुजन समाज पार्टी का चुनाव कराने के लिए लगने वाले बस्ते तक भी नहीं नजर आए.

कन्नौज लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: समाजवादी पार्टी के कभी गढ़ रहे कन्नौज में भी दिलचस्प लड़ाई देखने को मिली है. अखिलेश यादव के पक्ष में यहां सियासी समीकरण बदल सकते हैं जबकि लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी की जनता में नाराजगी के चलते चुनाव परिणाम भी वहां पर बदले हुए नजर आ सकते हैं.

चौथे चरण के मतदान में सबसे चर्चित सीट कन्नौज लोकसभा रही है. यहां पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इंडी गठबंधन के प्रत्याशी रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी से सुब्रत पाठक चुनाव मैदान में हैं. पाठक उपचुनाव जीतकर कन्नौज में भगवा फहराने का काम किए थे.

इस चुनाव में अखिलेश यादव और सुब्रत पाठक के बीच सीधी लड़ाई देखने को मिली. बहुजन समाज पार्टी यहां अपना अस्तित्व बचाने के लिए चुनाव लड़ती हुई दिखी. भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट देने के लिए पहुंचने वाले मतदाताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आकर्षण नजर आया.

वहीं कुछ जगहों पर सत्ता विरोधी लहर का भी असर देखने को मिला. कन्नौज लंबे समय तक समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट रही है. ऐसे में अखिलेश यादव के खुद चुनाव लड़ने से यहां पर सियासी समीकरण समाजवादी पार्टी के पक्ष में जा सकते हैं.

कानपुर लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: कानपुर लोकसभा सीट पर भी लड़ाई दिलचस्प रही है. यहां पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों के बीच टक्कर देखने को मिली है. बीजेपी ने यहां से रमेश अवस्थी व कांग्रेस ने आलोक मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा है.

इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी को लेकर मतदाताओं में कोई उत्साह नहीं दिखा. शहरी मतदाताओं में मतदान को लेकर बहुत उत्साह देखने को नहीं मिला. हालांकि 50% के आसपास मतदान हुआ है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों चुनाव जीतने के दावे कर रही हैं. जीत के अंतर में काफी उतार-चढ़ाव भी देखने को मिल सकता है.

सीतापुर लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: सीतापुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी बार राजेश वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है. सत्ता विरोधी लहर सीतापुर में भी देखने को मिली है. कई जगहों पर भाजपा प्रत्याशी के पिछले काफी समय से लगातार एक ही चेहरा देखने की वजह से मतदाताओं में नाराजगी देखने को मिली है.

जातीय समीकरण को देखते हुए यहां पर इंडी गठबंधन के अंतर्गत कांग्रेस प्रत्याशी राकेश राठौर कई जगहों पर अच्छा चुनाव लड़ते हुए नजर आए हैं. बीजेपी के राजेश वर्मा व कांग्रेस के राकेश राठौर के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली है. यहां पर चुनाव परिणाम में बदलाव देखने को मिल सकता है.

हरदोई लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: हरदोई लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अपने वर्तमान सांसद जयप्रकाश रावत को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं समाजवादी पार्टी ने ऊषा वर्मा को टिकट दिया. सपा और बीजेपी के बीच यहां पर सीधी लड़ाई देखने को मिली है.

जयप्रकाश रावत की क्षेत्र में उपलब्धता को लेकर मतदाताओं में गुस्सा भी नजर आया. वहीं ऊषा वर्मा पिछले दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना कर चुकी हैं. उनकी तरफ से इस चुनाव को आखिरी चुनाव की बात कहकर मतदाताओं से भावनात्मक अपील भी की गई थी. यहां पर चुनाव परिणाम में फेरबदल भी संभव है.

मिश्रिख लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: हरदोई सीतापुर और कानपुर जिलों की विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई मिश्रिख लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अशोक रावत व गठबंधन प्रत्याशी संगीता राजवंशी के बीच जमकर मुकाबला देखने को मिला है.

संगीता राजवंशी को टिकट आखिरी समय में मिला था. पहले उनके ही परिवार को टिकट दिया गया था लेकिन स्थानीय स्तर पर हुए विरोध के बाद में संगीता को टिकट दिया गया. अशोक रावत भी जातीय समीकरण को फिट करते हैं. ऐसे में चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में जा सकता है.

उन्नाव लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: उन्नाव लोकसभा सीट पर मोदी का चेहरा चुनाव लड़ता हुआ नजर आया है. यहां पर इंडी गठबंधन के अंतर्गत समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी अनु टंडन के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिला है. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी अशोक पांडे को लेकर मतदाताओं में बहुत ज्यादा उत्साह नहीं देखने को मिला है.

हालांकि बहुजन समाज पार्टी का कैडर वोट उन्हें मिल सकता है. बाकी जगहों पर बसपा प्रत्याशी को लेकर बहुत कोई उत्साह नहीं नजर आया. बीजेपी के साक्षी महाराज जातीय समीकरण को सजाते हुए एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल हो सकते हैं. हालांकि, इंडी गठबंधन की उम्मीदवार अनू टंडन भी इस बार सीधी टक्कर देती हुई नजर आई हैं.

धौरहरा लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: धौरहरा सीट पर सीधे तौर पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला है. यहां से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी रेखा वर्मा एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. समाजवादी पार्टी के टिकट पर यहां से आनंद भदौरिया चुनाव लड़ रहे हैं.

उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार रेखा वर्मा को जमकर टक्कर दी है. रेखा वर्मा की क्षेत्र में उपलब्धता को लेकर मतदाताओं में कुछ नाराजगी भी देखने को मिली है. यहां पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी श्याम किशोर अवस्थी भी अच्छा चुनाव लड़े हैं, ऐसे में लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है.

लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: खीरी लोकसभा सीट पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को कुछ समय पहले हुए किसान संघर्ष और हत्याकांड की वजह से क्षेत्र में नाराजगी का सामना करना पड़ रहा था.

इंडी गठबंधन से समाजवादी पार्टी के विधायक उत्कर्ष वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं. जातीय समीकरण को देखते हुए इस लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला हुआ है. बहुजन समाज पार्टी ने सिख समाज से आने वाले अंशु कालरा को चुनाव मैदान में उतारा है.

बहराइच लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: बहराइच लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने डॉ. आनंद कुमार गोद को चुनाव मैदान में उतारा है. समाजवादी पार्टी ने यहां से रमेश गौतम को टिकट दिया था. यहां पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला है.

बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार ब्रजेश सोनकर को लेकर जनता में बहुत ज्यादा उत्साह देखने को नहीं मिला. सीधी टक्कर भाजपा और सपा के बीच देखने को मिली है. सुरक्षित सीट पर अनुचित समाज के मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और राशन योजना को तवज्जो देते हुए मतदान किया है.

शाहजहांपुर लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: शाहजहांपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अरुण सागर और समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी ज्योत्सना गोंड के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला है.

बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी दोदराम वर्मा को सिर्फ बहुजन समाज पार्टी का काडर वोट मिलने की संभावना है. इस लोकसभा सीट पर राम मंदिर व केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ भाजपा उम्मीदवार को मिल सकता है. राम मंदिर का असर भी यहां पर देखने को मिला है.

इटावा लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: इटावा लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया व समाजवादी पार्टी के जितेंद्र दोहरे में सीधा मुकाबला देखने को मिला है. बहुजन समाज पार्टी यहां पर लड़ाई से बाहर नजर आई है.

सपा प्रत्याशी दोहरी समाज से होने की वजह से इसका फायदा समाजवादी पार्टी को मतदान में मिला है तो समाजवादी पार्टी के पक्ष में चुनाव जा सकता है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और तमाम अन्य मुद्दों को लेकर भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला है.

अकबरपुर लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: अकबरपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने दो बार के सांसद देवेंद्र सिंह भोले को एक बार फिर टिकट दिया है. उनका सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी के राजा रामपाल से रहा है.

बसपा प्रत्याशी राजेश कुमार द्विवेदी यहां लड़ाई में मजबूत नजर नहीं आए. स्थानीय स्तर पर बीजेपी सांसद की कुछ जगहों पर नाराजगी भी बड़ा मुद्दा था लेकिन राम मंदिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा चेहरा और राशन योजना का लाभ भाजपा को सीट पर मिल सकता है.

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला है. भारतीय जनता पार्टी ने यहां से मुकेश राजपूत और समाजवादी पार्टी ने डॉ. नवल किशोर शाह के कुछ चुनाव मैदान में उतारा है.

यहां पर दोनों के बीच अच्छी लड़ाई देखने को मिली है. बसपा उम्मीदवार को लेकर मतदाताओं में बहुत ज्यादा उत्साह देखने को नहीं मिला है. कुछ जगहों पर भाजपा प्रत्याशी का स्थानीय स्तर पर विरोध बड़ा मुद्दा बना हुआ था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी लहर का फायदा प्रत्याशी को मिल सकता है.

क्या कहते हैं जानकार: राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी है. सपा इस बार वह कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडी गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रही है. अखिलेश यादव ने जातीय समीकरणों पर फोकस करते हुए अति पिछड़ी जातियों को चुनाव में ज्यादा हिस्सेदारी देते हुए प्रत्याशी घोषित किया है. इससे समाजवादी पार्टी को फायदा मिल सकता है. कई सीटों पर समाजवादी पार्टी या इंडी गठबंधन के प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों से सीधा मुकाबला करते हुए दिखे हैं. पिछले चुनाव और इस चुनाव में दलों के बीच नए गठबंधन सियासी समीकरणों में फेरबदल कर सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः कोरोना वैक्सीन को लेकर PM मोदी के खिलाफ वाराणसी कोर्ट में याचिका; झूठ बोलकर लाभ लेने का आरोप

लखनऊ: How Many Seats BJP Samajwadi Party Congress Get: लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण का मतदान यूपी की 13 लोकसभा सीटों पर संपन्न हो गया. 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले चौथे चरण की तुलना में इस बार मतदान फीसद लगभग बराबर रहा. 2019 में इन 13 सीटों पर 58.75 फीसद मतदान हुआ था. भाजपा ने इतने मतदान में 13 की 13 सीटों पर कब्जा जमाया था. वहीं इस बार 58.05 मतदान हुआ है, जो मामूली कम रहा.

2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार के चुनाव में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं. पिछले चुनाव में एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी का बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन था और राष्ट्रीय लोकदल भी सहयोगी दल के रूप में साथ था तो इस बार सियासी समीकरण काफी बदले हुए हैं.

इस बार के चुनाव में समाजवादी पार्टी का गठबंधन कांग्रेस के साथ हुआ है. वहीं बहुजन समाज पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है और खेल बिगाड़ने की भरपूर कोशिश की है. जबकि राष्ट्रीय लोक दल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी राजग के साथ चुनाव मैदान में है.

कई सीटों पर इंडी गठबंधन के उम्मीदवार बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी के हाथी की रफ्तार भले बढ़ाने की कोशिश हुई, लेकिन इंडी गठबंधन की उम्मीदवारों की राह मुश्किल करने की बात हर जगह खुलकर हुई तो जनता ने भाजपा और इंडी गठबंधन के बीच चुनाव करने का फैसला किया.

अधिकतर सीटों पर बसपा सिर्फ चुनाव मैदान में नजर आई लेकिन, कहीं पर अच्छी टक्कर देते हुए नहीं नजर आई. भाजपा और इंडी गठबंधन के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली. कई जगह पर बहुजन समाज पार्टी का चुनाव कराने के लिए लगने वाले बस्ते तक भी नहीं नजर आए.

कन्नौज लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: समाजवादी पार्टी के कभी गढ़ रहे कन्नौज में भी दिलचस्प लड़ाई देखने को मिली है. अखिलेश यादव के पक्ष में यहां सियासी समीकरण बदल सकते हैं जबकि लखीमपुर खीरी में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ टेनी की जनता में नाराजगी के चलते चुनाव परिणाम भी वहां पर बदले हुए नजर आ सकते हैं.

चौथे चरण के मतदान में सबसे चर्चित सीट कन्नौज लोकसभा रही है. यहां पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इंडी गठबंधन के प्रत्याशी रहे हैं. वहीं भारतीय जनता पार्टी से सुब्रत पाठक चुनाव मैदान में हैं. पाठक उपचुनाव जीतकर कन्नौज में भगवा फहराने का काम किए थे.

इस चुनाव में अखिलेश यादव और सुब्रत पाठक के बीच सीधी लड़ाई देखने को मिली. बहुजन समाज पार्टी यहां अपना अस्तित्व बचाने के लिए चुनाव लड़ती हुई दिखी. भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट देने के लिए पहुंचने वाले मतदाताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आकर्षण नजर आया.

वहीं कुछ जगहों पर सत्ता विरोधी लहर का भी असर देखने को मिला. कन्नौज लंबे समय तक समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट रही है. ऐसे में अखिलेश यादव के खुद चुनाव लड़ने से यहां पर सियासी समीकरण समाजवादी पार्टी के पक्ष में जा सकते हैं.

कानपुर लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: कानपुर लोकसभा सीट पर भी लड़ाई दिलचस्प रही है. यहां पर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों के बीच टक्कर देखने को मिली है. बीजेपी ने यहां से रमेश अवस्थी व कांग्रेस ने आलोक मिश्रा को चुनाव मैदान में उतारा है.

इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी को लेकर मतदाताओं में कोई उत्साह नहीं दिखा. शहरी मतदाताओं में मतदान को लेकर बहुत उत्साह देखने को नहीं मिला. हालांकि 50% के आसपास मतदान हुआ है. बीजेपी और कांग्रेस दोनों चुनाव जीतने के दावे कर रही हैं. जीत के अंतर में काफी उतार-चढ़ाव भी देखने को मिल सकता है.

सीतापुर लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: सीतापुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी बार राजेश वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है. सत्ता विरोधी लहर सीतापुर में भी देखने को मिली है. कई जगहों पर भाजपा प्रत्याशी के पिछले काफी समय से लगातार एक ही चेहरा देखने की वजह से मतदाताओं में नाराजगी देखने को मिली है.

जातीय समीकरण को देखते हुए यहां पर इंडी गठबंधन के अंतर्गत कांग्रेस प्रत्याशी राकेश राठौर कई जगहों पर अच्छा चुनाव लड़ते हुए नजर आए हैं. बीजेपी के राजेश वर्मा व कांग्रेस के राकेश राठौर के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली है. यहां पर चुनाव परिणाम में बदलाव देखने को मिल सकता है.

हरदोई लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: हरदोई लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर अपने वर्तमान सांसद जयप्रकाश रावत को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं समाजवादी पार्टी ने ऊषा वर्मा को टिकट दिया. सपा और बीजेपी के बीच यहां पर सीधी लड़ाई देखने को मिली है.

जयप्रकाश रावत की क्षेत्र में उपलब्धता को लेकर मतदाताओं में गुस्सा भी नजर आया. वहीं ऊषा वर्मा पिछले दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना कर चुकी हैं. उनकी तरफ से इस चुनाव को आखिरी चुनाव की बात कहकर मतदाताओं से भावनात्मक अपील भी की गई थी. यहां पर चुनाव परिणाम में फेरबदल भी संभव है.

मिश्रिख लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: हरदोई सीतापुर और कानपुर जिलों की विधानसभा सीटों को मिलाकर बनाई गई मिश्रिख लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अशोक रावत व गठबंधन प्रत्याशी संगीता राजवंशी के बीच जमकर मुकाबला देखने को मिला है.

संगीता राजवंशी को टिकट आखिरी समय में मिला था. पहले उनके ही परिवार को टिकट दिया गया था लेकिन स्थानीय स्तर पर हुए विरोध के बाद में संगीता को टिकट दिया गया. अशोक रावत भी जातीय समीकरण को फिट करते हैं. ऐसे में चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में जा सकता है.

उन्नाव लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: उन्नाव लोकसभा सीट पर मोदी का चेहरा चुनाव लड़ता हुआ नजर आया है. यहां पर इंडी गठबंधन के अंतर्गत समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी अनु टंडन के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिला है. बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी अशोक पांडे को लेकर मतदाताओं में बहुत ज्यादा उत्साह नहीं देखने को मिला है.

हालांकि बहुजन समाज पार्टी का कैडर वोट उन्हें मिल सकता है. बाकी जगहों पर बसपा प्रत्याशी को लेकर बहुत कोई उत्साह नहीं नजर आया. बीजेपी के साक्षी महाराज जातीय समीकरण को सजाते हुए एक बार फिर चुनाव जीतने में सफल हो सकते हैं. हालांकि, इंडी गठबंधन की उम्मीदवार अनू टंडन भी इस बार सीधी टक्कर देती हुई नजर आई हैं.

धौरहरा लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: धौरहरा सीट पर सीधे तौर पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला है. यहां से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी रेखा वर्मा एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. समाजवादी पार्टी के टिकट पर यहां से आनंद भदौरिया चुनाव लड़ रहे हैं.

उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार रेखा वर्मा को जमकर टक्कर दी है. रेखा वर्मा की क्षेत्र में उपलब्धता को लेकर मतदाताओं में कुछ नाराजगी भी देखने को मिली है. यहां पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी श्याम किशोर अवस्थी भी अच्छा चुनाव लड़े हैं, ऐसे में लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है.

लखीमपुर खीरी लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: खीरी लोकसभा सीट पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को कुछ समय पहले हुए किसान संघर्ष और हत्याकांड की वजह से क्षेत्र में नाराजगी का सामना करना पड़ रहा था.

इंडी गठबंधन से समाजवादी पार्टी के विधायक उत्कर्ष वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं. जातीय समीकरण को देखते हुए इस लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला हुआ है. बहुजन समाज पार्टी ने सिख समाज से आने वाले अंशु कालरा को चुनाव मैदान में उतारा है.

बहराइच लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: बहराइच लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने डॉ. आनंद कुमार गोद को चुनाव मैदान में उतारा है. समाजवादी पार्टी ने यहां से रमेश गौतम को टिकट दिया था. यहां पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला है.

बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार ब्रजेश सोनकर को लेकर जनता में बहुत ज्यादा उत्साह देखने को नहीं मिला. सीधी टक्कर भाजपा और सपा के बीच देखने को मिली है. सुरक्षित सीट पर अनुचित समाज के मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और राशन योजना को तवज्जो देते हुए मतदान किया है.

शाहजहांपुर लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: शाहजहांपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अरुण सागर और समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी ज्योत्सना गोंड के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला है.

बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी दोदराम वर्मा को सिर्फ बहुजन समाज पार्टी का काडर वोट मिलने की संभावना है. इस लोकसभा सीट पर राम मंदिर व केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ भाजपा उम्मीदवार को मिल सकता है. राम मंदिर का असर भी यहां पर देखने को मिला है.

इटावा लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: इटावा लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया व समाजवादी पार्टी के जितेंद्र दोहरे में सीधा मुकाबला देखने को मिला है. बहुजन समाज पार्टी यहां पर लड़ाई से बाहर नजर आई है.

सपा प्रत्याशी दोहरी समाज से होने की वजह से इसका फायदा समाजवादी पार्टी को मतदान में मिला है तो समाजवादी पार्टी के पक्ष में चुनाव जा सकता है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और तमाम अन्य मुद्दों को लेकर भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदाताओं में उत्साह देखने को मिला है.

अकबरपुर लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: अकबरपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने दो बार के सांसद देवेंद्र सिंह भोले को एक बार फिर टिकट दिया है. उनका सीधा मुकाबला समाजवादी पार्टी के राजा रामपाल से रहा है.

बसपा प्रत्याशी राजेश कुमार द्विवेदी यहां लड़ाई में मजबूत नजर नहीं आए. स्थानीय स्तर पर बीजेपी सांसद की कुछ जगहों पर नाराजगी भी बड़ा मुद्दा था लेकिन राम मंदिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़ा चेहरा और राशन योजना का लाभ भाजपा को सीट पर मिल सकता है.

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर किसको मिल रही बढ़त: फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर मतदाताओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला है. भारतीय जनता पार्टी ने यहां से मुकेश राजपूत और समाजवादी पार्टी ने डॉ. नवल किशोर शाह के कुछ चुनाव मैदान में उतारा है.

यहां पर दोनों के बीच अच्छी लड़ाई देखने को मिली है. बसपा उम्मीदवार को लेकर मतदाताओं में बहुत ज्यादा उत्साह देखने को नहीं मिला है. कुछ जगहों पर भाजपा प्रत्याशी का स्थानीय स्तर पर विरोध बड़ा मुद्दा बना हुआ था लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी लहर का फायदा प्रत्याशी को मिल सकता है.

क्या कहते हैं जानकार: राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी है. सपा इस बार वह कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडी गठबंधन के साथ चुनाव लड़ रही है. अखिलेश यादव ने जातीय समीकरणों पर फोकस करते हुए अति पिछड़ी जातियों को चुनाव में ज्यादा हिस्सेदारी देते हुए प्रत्याशी घोषित किया है. इससे समाजवादी पार्टी को फायदा मिल सकता है. कई सीटों पर समाजवादी पार्टी या इंडी गठबंधन के प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों से सीधा मुकाबला करते हुए दिखे हैं. पिछले चुनाव और इस चुनाव में दलों के बीच नए गठबंधन सियासी समीकरणों में फेरबदल कर सकते हैं.

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