मेरठ : लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. चुनावी माहौल में वोटर खामोश हैं और कुछ खास बात करने से बचते नजर आ रहे हैं. मेरठ में इस बार का चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय है. यहां एक तरफ बीजेपी ने रामायण धारावाहिक में राम का किरदार निभा चुके अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, दूसरी ओर गठबंधन ने पूर्व मेयर सुनीता वर्मा को मैदान में उतारा है. वहीं, बसपा ने भी बीजेपी से नाराज चल रहे त्यागी समाज के देववृत त्यागी को मेरठ से प्रत्याशी बनाकर दलित, मुस्लिम, त्यागी समाज में पैठ बनाने की कोशिश की है.
'अच्छे कैंडिडेट को चुनना चाहिये' : ईटीवी भारत की टीम मुस्लिम वोटर के मूड को जानने के लिये पहुंची. चुनाव को लेकर क्या माहौल है, इसे लेकर हमने मुस्लिम धर्मगुरु जैनुल राश्दीन से बातचीत की. शहर के इमाम जैनुल राश्दीन ने कहा कि चुनाव में मतदान हर मुसलमान का अधिकार है. संविधान कहता है कि हमें अपने अधिकार को जानना चाहिए और सोच समझकर अच्छे कैंडिडेट को चुनना चाहिये, फिर चाहे वो किसी भी मजहब का हो या किसी भी पार्टी का हो. हमें ये नहीं देखना चाहिये कि ये प्रत्याशी किस धर्म से आता है. हमें देखना चाहिए कि वो प्रत्याशी सब को साथ लेकर चलने वाला हो, नफरत से दूर रहने वाला हो. शिक्षा, रोजगार, शहर के विकास को लेकर अपनी जिम्मेदारी समझता हो.
भाजपा प्रत्याशी पर कसा तंज: समाजवादी पार्टी नेता आदिल चौधरी ने बताया कि इस बार गठबंधन पर मुस्लिम समाज को मतदान करने के लिये मेहनत की जा रही है, क्योंकि गठबंधन की प्रत्याशी सुनीता वर्मा पूर्व में मेयर भी रह चुकी हैं ओर लोगों के काम आई हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा प्रत्याशी अरुण गोविल का शहर में विरोध हो रहा है. उन्होंने कहा कि असल मे जो लोग उनसे मिलना चाहते हैं, उनसे मिलने के लिए अरुण गोविल अपनी लग्जरी गाड़ी से भी नहीं निकलते हैं.
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ऐसे नहीं थे. वो तो लोगों के आदर्श हैं. उनका किरदार निभाना और उनके बताये रास्तों पर चलना दोनों अलग बातें हैं. उन्होंने अगर सच में श्रीराम का किरदार ठीक से निभाया होता, तो आज अरुण गोविल सबके दिलों में जगह बना चुके होते. तब लोग उनका आशीर्वाद लेते और उनका विरोध नहीं करते. जीतने के बाद तो वह अपने घर से भी बाहर नहीं निकलेंगे.
चुनाव को लेकर काफी उत्साह : वहीं, स्थानीय लोगों ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान बनाया है. इस संविधान में सभी धर्मों के आजादी से रहने और अपने त्योहारों को मनाने की इजाजत है. उसके बाद भी आज का माहौल क्या है, ये सब जानते हैं. चुनाव में पहले दो समुदायों का मुकाबला होता था. अब सब जान चुके हैं कि इससे लोगों का अपना ही नुकसान है.
कुछ पार्टियां लोगों को आपस में लड़ाकर अपना काम निकल लेती थीं. अब यहां यह नहीं होगा. मुस्लिम समाज में लोकसभा के चुनाव को लेकर काफी उत्साह है. इस बार के चुनाव में मेरठ, हापुड़ लोकसभा से किसी भी मुस्लिम कैंडिडेट को टिकट नहीं दिया गया है. मेरठ हापुड़ लोकसभा के चुनाव में प्रत्याशी मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिये पुरजोर कोशिश कर रहे हैं.