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बीजेपी की रैलियों में किसान और खलिहान पर जोर, छत्तीसगढ़ में भगवा कमल खिलाने की बीजेपी की सियासी तैयारी - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

बीजेपी के चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी का फोकस किसानों और आदिवासियों पर है. भारतीय जनता पार्टी जानती है कि छत्तीसगढ़ में किसान और आदिवासी वोटर ही किसी भी पार्टी की नैया पार लगा सकते हैं. पार्टी की रणनीति है कि छ्त्तीसगढ़ की सभी सीटों पर भगवा कमल खिलाने के लिए किसान और आदिवासी दोनों का साथ होना जरूरी है.

lok sabha election 2024
भगवा कमल खिलाने की बीजेपी की सियासी तैयारी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 23, 2024, 10:50 PM IST

Updated : Apr 23, 2024, 11:01 PM IST

रायपुर: बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी राजनीतिक खेती में उम्मीदों और वादों के हर उस बीज को बो रही है जिससे उसे छत्तीसगढ़ की सभी 11 सीटों पर भगवा रंग की लहलहाती फसल देखने को मिले. बीजेपी ने इसके लिए अपने तरकश से हर तीर को निशाने पर मारने के लिए तैयार कर रखा है. बीजेपी के सभी कद्दावर नेता छत्तीसगढ़ में इसी रणनीति के तहत काम पर लगे हैं. इस चुनाव प्रचार में किसान केवल एक मुद्दा नहीं है. सभी राजनीतिक दल किसानों को अपने पाले में करने की जुगत भिड़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक के भाषणों में किसान की समस्याएं और उनको दिए जाने वाले लाभ बड़े मुद्दों में शामिल है. बीजेपी के सभी बड़े नेताओं के भाषणों को अगर गौर से सुना जाए तो किसान उनकी जुबान पर हैं. केंद्र और राज्य सरकार लगातार धान खरीदी से लेकर किसान सम्मान निधि

राजनीति के केंद्र में किसान: राजनीतिक मुद्दे से छत्तीसगढ़ का कोई मंच इससे अलग नहीं हो रहा है. बात प्रधानमंत्री की करें या फिर गृह मंत्री की भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा की या फिर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की, सभी मंच जो राजनीतिक फतह के लिए सज रहे हैं उसमें किसान और किसानों के लिए दिए जाने वाले सरकारी वादों की बातें हर जुबान पर है. वजह साफ है कि किसान वाली खेती अगर मजबूत हो गई तो बीजेपी के 11 सीटों पर लगाई जान वाली फसल भगवा रंग की हो सकती है.

चुनावी सभाओं में बीजेपी खेल रही किसान कार्ड: 2024 के सियासी दंगल में किसान का मुद्दा मजबूती से हर मंच पर रखा जा रहा है नरेंद्र मोदी ने बस्तर से चुनावी प्रचार को शुरू किया और छत्तीसगढ़ में बीजेपी के मजबूत मुद्दों को रखने का काम किया. छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनने के बाद बीजेपी ने 13 लाख किसानों को धान के बकाया बोनस की राशि का 3716 करोड़ का भुगतान करने का निर्णय लिया था. जिसे भाजपा की सरकार ने कर दिया. किसानों के लिए प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान के खरीद का निर्णय सरकार ने लिया था. जिसको लगातार पूरा किया जा रहा है. कृषक उन्नति योजना के तहत 10000 करोड रुपए की राशि का भुगतान करने का प्रावधान रखा गया है इस पर भी सरकार काम कर रही है.इसके अलावा पीएम मोदी की किसान सम्मान योजना के तहत मिलने वाली राशि भी शामिल है. किसानों को दो साल के बोनस का बकाया भी दिया गया है. इस तरह बीजेपी छत्तीसगढ़ में किसानों के मुद्दे पर काम करने का दम भर रही है और हर रैली में इसको जनता के सामने बीजेपी के आला नेता रख रहे हैं.


छत्तीसगढ़ में कितने फीसदी किसान: छत्तीसगढ़ में किसानों की बात करें तो लगभग 70% से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर है. यह अलग बात है कि परंपरागत खेती के अलावा इसमें जंगल भी उसमें जुड़ा हुआ है. इस वोट बैंक को पकड़ने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है. इनमें सबसे ज्यादा संख्या धान किसानों की है. बीजेपी हर मंच से किसानों की बातों को रख रही है इसकी वजह बीजेपी को साफ पता है कि अगर किसानों का साथ छत्तीसगढ़ में मिल जाए तो उसे अच्छी सीटें मिल सकती है. नरेंद्र मोदी के ड्रोन दीदी वाला फार्मूला भी किसानों के उर्वरक पर होने वाले खर्च के कम होने का एक उदाहरण है. साथ ही छत्तीसगढ़ में लगभग 100 वन उत्पाद को सरकार ने अपनी लिस्ट में शामिल किया है, जिससे वैसे किसानों को ज्यादा सहूलियत मिलेगी जो लोग जंगल के उत्पाद से जीवन चलाते हैं.

"छत्तीसगढ़ की राजनीति में 2018 वाल समीकरण बीजेपी के लिए चिंता और चिंतन दोनों का विषय है. 2014 में बीजेपी की जब सरकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आ रही थी तो किसानों को लेकर सबसे ज्यादा बात की गई थी. किसानों की कमाई दोगुनी होगी यह लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सड़क से सदन कहते रहे थे. लेकिन 18 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में जनता ने बीजेपी के वादे पर भरोसा नहीं किया और छत्तीसगढ़ के बनाने के बाद से लगातार चल रही भाजपा की सरकार को बदल दिया. 5 सालों तक भूपेश बघेल की सरकार रही, बीजेपी भूपेश बघेल के सरकार को घेरने के लिए भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठा रही है, जो छत्तीसगढ़ में अभी बीजेपी के चुनावी एजेंडे के अनुसार प्रासंगिक भी है. 2018 के झटके को याद रख बीजेपी लगातार केंद्र में किसानों को रख रही है": दुर्गेश भटनागर, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक

धान का कटोरा है छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है. धान की बंपर खेती के बावजूद यहां के किसान नक्सली क्षेत्रों से पलायन को मजबूर हैं. कोयले के खदान होने के बाद भी पलायन एक बड़ी समस्या छत्तीसगढ़ के युवाओं और मजदूरों के लिए रही है. बीजेपी का ये फार्मूला अगर फिट बैठ गया. तीन निशाने पर लग गया तो बस्तर से लेकर रायपुर तक कमल खिल सकता है. बीजेपी को भी भरोसा है कि धान का बोनस, महतारी वंदन योजना का लाभ किसान सम्मान निधि जैसी योजनाएं उसे फायदा जरूर देंगी.

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राजनीति के केंद्र में किसान: राजनीतिक मुद्दे से छत्तीसगढ़ का कोई मंच इससे अलग नहीं हो रहा है. बात प्रधानमंत्री की करें या फिर गृह मंत्री की भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा की या फिर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की, सभी मंच जो राजनीतिक फतह के लिए सज रहे हैं उसमें किसान और किसानों के लिए दिए जाने वाले सरकारी वादों की बातें हर जुबान पर है. वजह साफ है कि किसान वाली खेती अगर मजबूत हो गई तो बीजेपी के 11 सीटों पर लगाई जान वाली फसल भगवा रंग की हो सकती है.

चुनावी सभाओं में बीजेपी खेल रही किसान कार्ड: 2024 के सियासी दंगल में किसान का मुद्दा मजबूती से हर मंच पर रखा जा रहा है नरेंद्र मोदी ने बस्तर से चुनावी प्रचार को शुरू किया और छत्तीसगढ़ में बीजेपी के मजबूत मुद्दों को रखने का काम किया. छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार बनने के बाद बीजेपी ने 13 लाख किसानों को धान के बकाया बोनस की राशि का 3716 करोड़ का भुगतान करने का निर्णय लिया था. जिसे भाजपा की सरकार ने कर दिया. किसानों के लिए प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान के खरीद का निर्णय सरकार ने लिया था. जिसको लगातार पूरा किया जा रहा है. कृषक उन्नति योजना के तहत 10000 करोड रुपए की राशि का भुगतान करने का प्रावधान रखा गया है इस पर भी सरकार काम कर रही है.इसके अलावा पीएम मोदी की किसान सम्मान योजना के तहत मिलने वाली राशि भी शामिल है. किसानों को दो साल के बोनस का बकाया भी दिया गया है. इस तरह बीजेपी छत्तीसगढ़ में किसानों के मुद्दे पर काम करने का दम भर रही है और हर रैली में इसको जनता के सामने बीजेपी के आला नेता रख रहे हैं.


छत्तीसगढ़ में कितने फीसदी किसान: छत्तीसगढ़ में किसानों की बात करें तो लगभग 70% से ज्यादा आबादी खेती पर निर्भर है. यह अलग बात है कि परंपरागत खेती के अलावा इसमें जंगल भी उसमें जुड़ा हुआ है. इस वोट बैंक को पकड़ने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है. इनमें सबसे ज्यादा संख्या धान किसानों की है. बीजेपी हर मंच से किसानों की बातों को रख रही है इसकी वजह बीजेपी को साफ पता है कि अगर किसानों का साथ छत्तीसगढ़ में मिल जाए तो उसे अच्छी सीटें मिल सकती है. नरेंद्र मोदी के ड्रोन दीदी वाला फार्मूला भी किसानों के उर्वरक पर होने वाले खर्च के कम होने का एक उदाहरण है. साथ ही छत्तीसगढ़ में लगभग 100 वन उत्पाद को सरकार ने अपनी लिस्ट में शामिल किया है, जिससे वैसे किसानों को ज्यादा सहूलियत मिलेगी जो लोग जंगल के उत्पाद से जीवन चलाते हैं.

"छत्तीसगढ़ की राजनीति में 2018 वाल समीकरण बीजेपी के लिए चिंता और चिंतन दोनों का विषय है. 2014 में बीजेपी की जब सरकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आ रही थी तो किसानों को लेकर सबसे ज्यादा बात की गई थी. किसानों की कमाई दोगुनी होगी यह लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सड़क से सदन कहते रहे थे. लेकिन 18 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में जनता ने बीजेपी के वादे पर भरोसा नहीं किया और छत्तीसगढ़ के बनाने के बाद से लगातार चल रही भाजपा की सरकार को बदल दिया. 5 सालों तक भूपेश बघेल की सरकार रही, बीजेपी भूपेश बघेल के सरकार को घेरने के लिए भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठा रही है, जो छत्तीसगढ़ में अभी बीजेपी के चुनावी एजेंडे के अनुसार प्रासंगिक भी है. 2018 के झटके को याद रख बीजेपी लगातार केंद्र में किसानों को रख रही है": दुर्गेश भटनागर, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक

धान का कटोरा है छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है. धान की बंपर खेती के बावजूद यहां के किसान नक्सली क्षेत्रों से पलायन को मजबूर हैं. कोयले के खदान होने के बाद भी पलायन एक बड़ी समस्या छत्तीसगढ़ के युवाओं और मजदूरों के लिए रही है. बीजेपी का ये फार्मूला अगर फिट बैठ गया. तीन निशाने पर लग गया तो बस्तर से लेकर रायपुर तक कमल खिल सकता है. बीजेपी को भी भरोसा है कि धान का बोनस, महतारी वंदन योजना का लाभ किसान सम्मान निधि जैसी योजनाएं उसे फायदा जरूर देंगी.

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Last Updated : Apr 23, 2024, 11:01 PM IST
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