कुचामनसिटी: कुचामन न्यायालय में साल 2024 की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन शनिवार को किया गया. राष्ट्रीय लोक अदालत में राजीनामे के साथ कई प्रकरणों का निस्तारण किया गया.
न्यायालय में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में कई पीड़ितों को बड़ी राहत मिली. कइयों की जिंदगी बदल दी तो, कई लोगों की स्याह जिंदगी में खुशियों और शांति के रंग भर दिए. सालों से कोर्ट में चल रहे मामले कुछ मिनटों में निपट गए. लोक अदालत में किसी की हार नहीं बल्कि दोनों की होती है, जीत की खुशी सबके चेहरे पर नजर आई. लोक अदालत में आते वक्त चेहरे पर मायूसी के भाव थे, तो लौटते वक्त यही चेहरे खुशी से सरोबार नजर आए.
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के निदेर्शन एवं अध्यक्ष तालुका विधिक सेवा समिति सुंदर लाल खरोल के आदेशानुसार ऑनलाइन और ऑफलाइन राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन कुचामन न्यायालय में किया गया. अध्यक्ष तालुका विधिक सेवा समिति और अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश सुंदर लाल खरोल ने बताया कि लोक अदालत में प्रिलिटिगेशन, पोस्टलिटिगेशन एवं राजस्व के प्रकरणों को चिहिन्त कर समझाइश के प्रयास किए गए. जलदाय विभाग, विद्युत विभाग, दूरसंचार विभाग, बैंकों, बीमा कंपनियों से जुड़े मामलों के साथ कई अन्य प्रकरण समझाइश कर राजीनामे के जरिए केस निस्तारित किए गए.
सरकार को मिला 2 करोड़ का राजस्व: लोक अदालत में विद्युत विभाग से जुड़े कई प्रकरण भी निस्तारित किए गए. अधिशाषी अभियंता महेश शर्मा ने भी कई मामलों के राजीनामे होने में महत्वपूर्ण भूमिका इन मामलों के निस्तारण होने से सरकार के राजस्व में भी फायदा हुआ है. इन मामलों के निपटने से सरकार को करीब 2 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ. कुचामन तहसीलदार महेन्द्र मुण्ड ने कहा कि जमीनी विवाद को लेकर कोर्ट में नहीं आना चाहिए. कोशिश हो कि आपस में बैठकर विवाद को खत्म करें. अगर किसी तरह से कोई समझौता न हो, तो ही कोर्ट या थाने का सहारा लें. इसी क्रम में नावा शहर के वरिष्ठ सिविल न्यायालय परिसर में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया.
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तालुका विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष व एसीजेएम धर्मेन्द्र सिंह जाखड़ की अध्यक्षता में आयोजित लोक अदालत में 77 मामलों का निस्तारण किया गया. एसीजेएम जाखड़ ने बताया कि राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मेड़ता के निर्देशानुसार शनिवार को लोक अदालत का आयोजन किया गया. जिसमें बेंच मेंबर रोहित छीपा ने पक्षकारों को ज्यादा से ज्यादा राजीनामा करने के लिए प्रेरित किया.
एसीजेएम जाखड़ ने बताया कि लोक अदालत में सभी पक्षकारों को राजीनामा करना चाहिए, जिससे न्यायालय में वर्षों से चल रहे पुराने प्रकरण का फैसला लोक अदालत के माध्यम से हो सके. इससे पक्षकारो में आपस में समन्वय बना रहे. लोक अदालत में फौजदारी, दीवानी, एनआई एक्ट, भरण-पोषण के राजीनामा योग्य कुल 77 प्रकरण को निस्तारित किया गया.